मनमोहन, जी इनसे भी कुछ सीखिए

राकेश दुबे@प्रतिदिन/ आप तो देश-विदेश खूब घूमे हैं और अभी भी घूम ही रहे हैं। आप उरुग्वे,बुल्गारिया और ट्यूनीशिया के नाम तो जानते ही होंगे। इन देशों में आप ही की तरह सत्ता के शीर्ष हैं या रहे हैं। इन लोगों ने जो मिसाल कायम की हैं ,उनसे कुछ सीखा जा सकता है। वैसे आप जैसा ज्ञानी पुरुष हर घटना से कुछ सीखता होगा, ऐसा मुगालता है। बाकी, आप बता सकते हैं।

सबसे पहले उरुग्वे। यहाँ के सत्ता प्रमुख हैं जोसे एल्बर्तो मुजिका कोर्देनो। छोटा सा देश प्रति व्यक्ति औसत आय 5000 रूपए। आप अर्थशास्त्री हैं, इसीलिए अर्थशास्त्र की भाषा में लिखने की कोशिश कर रहा हूँ। कोर्देनो को प्रतिमाह 13330 डालर वेतन मिलता है, लेकिन 12000 डालर गरीबों में बाँट देते हैं| खुद का खर्च अपनी जमीन पर फूलों की खेती से निकालते हैं और बिना किसी ताम-झाम के एक कमरे के घर में रहते हैं। तभी प्रति व्यक्ति औसत आय बढ़ी होगी। 

बुल्गारिया के प्रधानमंत्री बोरिसोव ने इस्तीफा दे दिया, क्योंकि उनके देश के नागरिक पुलिस द्वारा पीटे गये। बोरिसोव का मानना था की बहु राष्ट्रीय कम्पनी ने बिजली की दरें सरकार से पूछे बगैर बढ़ा दीं। विरोध करने पर नागरिकों की पिटाई हुई। दिल्ली में तो गैंगरेप के बाद प्रदर्शनकारी पीटे गये थे, आपका मौन मुश्किल से टूटा था।

भारत में संसद कभी भी ठप्प हो जाती है। राजनीतिक हालात आप से बेहतर कौन समझ सकता है। रोज़ नये घोटाले सामने आ रहे हैं। ऐसे ही हालात ट्यूनीशिया के प्रधानमंत्री हामिद जमाली ने इस्तीफा दे कर स्वीकार कर लिया कि चुनाव बेहतर हैं। यह सही है हमारा भारत बड़ा देश है और हमें इस पर गर्व है, पर कभी किसी छोटे देश से भी कुछ सीखने को मिले तो सीख लेने में हर्ज ही क्या है। (लेखक वरिष्ठ पत्रकार एवं ख्यात स्तंभकार हैं।)

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