भोपाल। टीम शिवराज ने धार के भोजशाला विवाद को निपटाने के लिए बुलवाए गए अपने केबीनेट मंत्री कैलाश विजयर्गीय की शर्तें नामंजूर कर दीं हैं। एक बिन्दू पर पूरी टीम एकजुट थी कि मध्यप्रदेश में दाम कोई भी कमाए, लेकिन नाम केवल एक ही कमाया जाएगा और वो है शिवराज सिंह चौहान।
धार का भोजशाला विवाद सरकार के लिए तनाव का कारण बना हुआ है। हिन्दू संगठन शिवराज सिंह को पुरानी सौगंध याद दिलाते हुए तमाम मांगें दोहरा रहे हैं तो शुक्रवार होने के कारण भोजशाला में नमाज अता भी की जानी है। हालांकि हिन्दू संगठनों ने नमाज का विरोध नहीं किया है, लेकिन सरकार को खतरा साफ महसूस हो रहा है। एक छोटी सी चूक भी सरकार को संकट में डाल सकती है।
निकट आ रहे विधानसभा चुनावों में शिवराज सरकार को दोनों वोटों की आवश्यकता है। यहां वो कट्टरवादी हिन्दुओं के वोटबैंक को खोना नहीं चाहती तो वहां कट्टर मुसलमानों के वोट पर भी डाका करने की तैयारी पिछले पांच सालों से कर रही है। पूरी योजना के तहत शिवराज सिंह चौहान को हमेशा उन स्थानों पर भेजा गया जहां मुसलमानों का हुजूम मौजूद था। हज हो या इज्तिमा, शिवराज सिंह चौहान को हर जगह प्रमुख उपस्थिति में दिखाया गया।
रणनीतिकारों की योजना पूरी तरह सफल भी हो रही थी और नरेन्द्र मोदी के विरुद्ध शिवराज सिंह चौहान की छवि एक लोकप्रिय नेता की बन भी गई है परंतु भोजशाला का संकट सामने आ खड़ा हुआ। अब केलेण्डर को तो बदला नहीं जा सकता, अत: वो बीच का रास्ता तलाशने में जुटे हुए हैं।
इसी मंथन के चलते कैलाश विजयर्गीय का नाम सामने आया। वो मुम्बई में अपनी पत्नि का इलाज करवा रहे थे। उन्हें तत्काल भोपाल बुलाया गया, लेकिन इससे पहले कि कैलाश विजयर्गीय से बात हो पाती, खबर मीडिया में लीक हो गई और मीडिया ने कैलाश विजयर्गीय को शिवराज सरकार का ट्रवल शूटर घोषित कर दिया।
शिवराज सिंह चौहान के रणनीतिकारों को बस यही पसंद नहीं आया। उनके हिसाब से शिवराज सिंह चौहान के सामने संकट ही नहीं है तो कैलाश संकट मोचक कैसे हो सकते हैं। पब्लिक प्लेटफार्म पर यह घोषित होने नहीं दिया जा सकता।
इधर जब कैलाश विजयर्गीय भोपाल आए तो उन्होंने सरकार का आदेश तो स्वीकार किया परंतु शर्तें भी रखीं। कैलाश विजयर्गीय का कहना था कि टारगेट अचीव हो जाएगा, लेकिन इंटरफेयर नहीं चाहिए। असंतुष्टों के लिए यह लाइन काफी थी। उन्होंने तत्काल अपना पासां फेंका और कैलाश को कटशार्ट कर डाला।
अब सरकार भोजशाला मामले को अपने स्तर पर देख रही है। वो वेट एण्ड वॉच की पोजीशन में है। उसके लिए राहत भरी खबर यह है कि अभी तक मुसलमानों ने इस मामले में कोई एलान नहीं किया है। स्थानीय स्तर पर मुसलमान, हिन्दुओं के साथ हैं एवं वो चाहते हैं कि इस बार भोजशाला में एक रिकार्ड बनाया जाए, दिनभर हिन्दुओं की पूजा भी चले और नमाज भी अता हो।
उमा भारती ने भी इस फंडे को हरी झण्डी दे दी है। मध्यप्रदेश में फ्रायरब्रांड से ज्यादा कट्टरहिन्दूवादी नेता की छवि रखने वाली उमा भारती का बयान शिवराज सरकार के लिए संजीवनी साबित हुआ और सरकार अब इसी लाइन पर काम कर रही है।
परिणति जो भी हो, लेकिन एक बार फिर यह जरूर प्रमाणित हो गया कि मध्यप्रदेश में दाम कोई भी कमाए, लेकिन नाम तो एक ही कमा सकता है और वो है 'शिवराज सिंह चौहान'