भोपाल। बीयू में 3 जनवरी को हुई छात्राओं से छेड़छाड़ और उसके बाद रजिस्ट्रार और कुलपति की प्रतिक्रियाओं के बाद जहां एक ओर राज्य शासन सख्त हो गया है वहीं राजभवन ने भी अपने तेवर तीखे कर लिए हैं। शीघ्र ही इस मामले में राजभवन कोई कड़ा संदेश दे सकता है।
बरकतउल्ला विश्वविद्यालय में 3 जनवरी को हुई छेड़छाड़ और मारपीट की घटना के मामले में शासन ने सख्त रुख अपना लिया है। इसके साथ ही राजभवन ने भी सख्ती कर ली है। अब राजभवन भी बीयू से जवाब तलब कर सकता है।
बीयू में 3 जनवरी को फिजिक्स डिपार्टमेंट की छात्राओं के साथ छेड़छाड़ हुई थी। इस घटना के बाद से बीयू की परेशानियां बढ़ती जा रही हैं। बीयू कुलपति से राजभवन पूछताछ कर चुका है। अब बीयू को इस संबंध में नोटिस भी जारी हो सकता है। उधर शासन ने नोटिस जारी करने की तैयारी कर ली है। लक्ष्मीकांत शर्मा ने इस घटना को लेकर चिंता भी व्यक्त की है।
इस मामले के बाद बीयू ने पक्षपातपूर्ण रवैया अपनाते हुए प्रो.आशा शुक्ला को नोटिस थमाया था, जो बीयू को महंगा साबित हो रहा है। इस मामले में बीयू कुलपति प्रो. निशा दुबे और रजिस्ट्रार संजय तिवारी घिर गए हैं। प्रो. आशा शुक्ला को दिए गए नोटिस को शासन की जांच कमेटी ने भी गलत बताया है। अब बीयू पर आरोप लग रहे हैं कि जिन प्रोफेसरों ने गलती की थी, उन्हें नोटिस नहीं दिया गया।
राजभवन के सूत्रों से मिल रही जानकारी के अनुसार बीयू की कुलपति निशा दुबे ने जिस तरह इस मामले को दबाने की कोशिश की एवं यूनिवर्सिटी में हिटलरशाही रवैया प्रदर्शित किया उससे राजभवन कतई संतुष्ट नहीं है। एक आला दर्जे के अधिकारी द्वारा मामले को दबाने की इस तरह सार्वजनिक कोशिश करना एवं सच को सामने आने से रोकने का प्रयास करना अब निशा दुबे को मंहगा पड़ सकता है। राजभवन सूत्रों की मानें तो राज्यपाल की ओर से इस मामले में शीघ्र ही कड़ा संदेश जारी हो सकता है। कड़ी कार्रवाई भी संभव है।