
उनका भाषण भी इतना ही धारदार था और तब भी देश चुनाव के मुहाने पर खड़ा था, लेकिन रास्ता चुनाव के स्थान पर आपातकाल की ओर चला गया था| इस बार भी ऐसा करने के प्रयास हो सकते हैं| तब तेजस्विता काले अध्याय में खो गई थी| राहुल बाबा यही “टर्निंग पॉइंट” है जहाँ से देश के लिए पहले फिर कांग्रेस के लिए कुछ किया जा सकता है| जैसा आपने स्वीकारा कि सोनिया जी चिंतित है,दुखी है,आपकी माँ है| उनसे ज्यादा दुखी हम सब की माँ भारत माता है, जिसे अंदर और बाहर दोनों ही और से लोग कचोट रहे हैं|
भारत के भाल पर लगे भ्रष्टाचार के कलंक और प्रगति की रफ्तार दोनों ही विरोधाभासी दिशा में है| देश के लोग मानते हैं कि आठ साल में जितना समझा राहुल बाबा|अब बहुत संभलकर चलना होगा, कांग्रेस के भीतर से कुछ और कांग्रेस से बाहर से बहुत कुछ समझना होगा | भारत में विदेश की तरह “वन वे ट्राफिक” नही है, यहाँ “मल्टीवे ट्राफिक” हैं|यहाँ कभी जिसे लोग पथ प्रदर्शक मानकर चल देते हैं, वह दिशासूचक न होकर भ्रम होता हैं और नतीजे में वे वंचित रह जाते है जिन तक लाभ पहुँचाने की मंशा होती है|वे व्यक्ति और देश दोनों होते हैं|
सही रास्ता तलाशना होता है,कोई बतायेगा इस भ्रम में मत रहिये, यहाँ सबके अपने एजेंडे है |देश को जिनने समझा और कांग्रेस को जिनने आन्दोलन बनाया था| वे महात्मा गाँधी थे| उनकी राय के विपरीत कांग्रेस पार्टी हो गई और आज आपको यह स्वीकार करना पड़ा कि कांग्रेस में कोई सिस्टम नहीं है, कांग्रेस के लिए नहीं अपने लिए ही सही कभी-कभी गांधीजी को पढ़ लिया करें तो बहुत कुछ नहीं थोड़ा-थोड़ा बदलाव आ हीजायेगा |यह देश के लिए शुभ होगा|