भोपाल। कांग्रेस नेता माणक अग्रवाल ने भोपाल नगरनिगम पर आरोप लगाया है कि यहां कागजों में ही डेढ़ करोड़ की टंकियां खरीद ली गईं। उन्होंने कहा कि नगर निगम में भ्रष्टाचार भाजपा के संरक्षण में फलफूल रहा है।
मीडिया विभाग के अध्यक्ष मानक अग्रवाल ने कहा है कि भाजपा राज के चलते अभी तक सरकारी विभागों और उपक्रमों में ही भ्रष्टाचार के बड़े-बड़े कांड उजागर होते रहे हैं, किंतु अब नगर निगमों में पिछले कुछ वर्षों में हुए बड़े घोटाले भी प्रकाश में आने लगे हैं, जो साबित कर रहे हैं कि भ्रष्टाचार की दौड़ में नगर निगम भी सरकारी विभागों से किसी कदर पीछे नहीं है।
नगर निगमों में ऐसे-ऐसे चैकाने वाले भ्रष्टाचार सामने आ रहे हैं, जिन पर आसानी से विश्वास नहीं किया जा सकता। उन्होंने कहा है कि राजधानी भोपाल के नगर निगम पर वर्तमान में भाजपा का कब्जा है। इस नगर निगम के अधिकारियों ने पिछले वर्षों में पीने के पानी की 596 सीमेंट टंकियां केवल कागज पर खरीदकर करीब डेढ़ करोड़ रूपये का भ्रष्टाचार कर डाला है। नगर निगम का रिकार्ड तो कहता है कि ये टंकिया खरीदी गई हैं, किंतु न तो ये भोपाल शहर की कालोनियों में नजर आ रही हैं और न ही नगर निगम के स्टोर में उपलब्ध हैं। भोपाल में वर्तमान में लगभग 50 टंकियां ही भौतिक रूप से दिखाई दे रही है।
श्री अग्रवाल ने कहा है कि भोपाल नगर निगम में वैसे तो भ्रष्टाचार अब एक नियमित गतिविधि का रूप ले चुका है, किंतु सीमेंट टंकियों की फर्जी खरीदी में तो भ्रष्टाचार में बड़ी ऊंची छलांग लगाई है। नगर निगम ने वर्ष 2006 से 2012 सचदेवा इंजीनियर और मे. भारत इंजीनियंरिंग वर्क्स से करीब एक करोड़ 41 लाख रूपये की 596 सीमेंट टंकियों की खरीदी रिकार्ड में दर्शायी है, लेकिन दरअसल ऐसी कोई खरीदी हुई ही नहीं। निगम के चतुर चालाक अधिकारियों ने रिकार्ड में दर्शाया है कि खरीदी गई टंकियां कालोनियों में रखवा दी गई हैं और उनसे लोग पानी पी रहे हैं।
अपने भ्रष्टाचार को पुष्ट करने के लिए इन अधिकारियों ने करीब 18 लाख रूपये के खर्च से 441 लोहे के स्टैण्डों की फर्जी खरीदी भी दिखा दी है। स्पष्ट है कि जब टंकियां ही वास्तविक रूप में नहीं खरीदी गई, तो उनको रखने के लिए लोहे के स्टैण्डों की खरीदी का तो प्रश्न ही उपस्थित नहीं होता।
कांग्रेस के मीडिया विभाग के अध्यक्ष ने आगे कहा है कि इस भ्रष्टाचार के अंदर की कहानी बताने के लिए नगर निगम का कोई जवाबदार अधिकारी तैयार नहीं है। अधिकारी स्वयं को बैठक में व्यस्त बताते हैं तो सिटी इंजीनियर, जो कि एसी खरीदी का काम देखता है, ऐसी गोलमोल भाषा में बात करता है, जिसके आधार पर किसी भी निष्कर्ष तक नहीं पहुंचा जा सकता। यह अधिकारी कोई संतोषजनक जानकारी देने की बजाय उत्तराधिकारी की तरफ इशारा करके चुप्पी साध लेता है।
माणक ने कहा है कि भोपाल के नागरिकों को कागज की टंकियों से पानी पिलाने वाले अधिकारियों के भ्रष्टाचार की तह तक पहुंचना बहुत आवश्यक है, जिससे कि जनता से विभिन्न टैक्सों के रूप में वसूल की गई रकम को निगम के भ्रष्ट अधिकारी यूं न डकार सकें। श्री अग्रवाल ने लोकायुक्त से आग्रह किया है कि वे इस टंकी खरीदी कांड की अपने स्तर पर अविलंब जांच कराएं।