इन्दौर। आरएसएस के प्रचार प्रमुख ने कहा है कि संघ ने अनुशासन नहीं तोड़ा है। जहां अनुशासन में रहना चाहिए, वहां संघ अनुशासन में रहता है। हम अनुशासन में थे, हैं और रहेंगे। अनुशासन हमारा गहना है, लेकिन हम उन लोगों में से नहीं हैं कि कोई हमें तमाचा मारकर चले जाए और हम चुपचाप तमाचा खा लें। हम क्रांतिकारियों के सान्निध्य में पले-बढ़े हैं, इसलिए अत्याचार कभी बर्दाश्त नहीं करेंगे।
मोहन भागवत को परम पूज्य बताते हुए कहा गया कि उनके परम शक्तिपीठ में दिए गए बयान को तोड़ा-मरोड़ा गया। उन्होंने कोई अमर्यादित, महिला विरोधी बात नहीं की। एक समाचार एजेंसी के पत्रकार ने उनके बयान को तोड़-मरोडक़र समाज के सामने रखा और संघ की गलत छवि पेश करने की कोशिश की। उसी बयान को अपने निहित स्वार्थ के लिए कांग्रेस ने उपयोग में लेकर अकारण ही भागवतजी का पुतला फूंका।
संघ के लाखों-लाख कार्यकर्ता अनुशासन में रहते हैं, लेकिन कोई इस तरह की हरकत करे तो यह बर्दाश्त नहीं है। इसी का विरोध जताने उन्हीं लोगों के घर जाया गया, जो दोषी थे। आम जनता के साथ कोई दुव्र्यवहार नहीं किया गया। जब कार्यकर्ता रिपोर्ट लिखाने थाने गए तो पुलिस का दायित्व था कि वह रिपोर्ट लिखे। मनोज परमार के मामले में पुलिस तुरंत रिपोर्ट लिखती है और ऐसे नाजुक मामले में जब रिपोर्ट नहीं लिखकर अधिकारियों ने एक-दूसरे पर बात डालने की कोशिश की तो कार्यकर्ता उत्तेजित हुए और चक्काजाम किया।
हमने किसी प्रतिबंधित मार्ग पर लोगों को परेशान नहीं किया, बल्कि हमारी बात नहीं सुनी जा रही थी, इसका विरोध जताया और यह हमारा अधिकार है। कृपया कर आप संघ को उद्दंड नहीं कहें। हम फिर कहते हैं, कोई हमें छेड़ेगा तो हम उसे छोड़ेंगे नहीं।