
आठ साल की राजनीतिक आयु वाले राहुल बाबा ने जिस नब्ज पर हाथ रखा, उसे वे नेता जिनकी आयु आठ दशक की हो गई, नहीं जानते हैं? जानते हैं, परन्तु शायद राहुल बाबा जैसा भोलापन नहीं हैं |राहुल गाँधी ने स्व. राजीव गाँधी के उस जुमले को भी आगे बढ़ाया है,कि रुपया नीचे तक पूरा पहुंचे | रुपया तो इन निवेशकों और कुर्सियों पर बैठी इनकी कठपुतलियों के बीच ही रहता है और इन्हें धनी और धनी बनाता है |
थोड़े से पैसे नीचे आते हैं, परन्तु वहाँ तक नहीं पहुंचते,जहाँ आज नक्सलवाद इसी अभाव के कारण फलफूल रहा है| इस अंतर को पी चिदम्बरम गोलियों से पाटना चाहते हैं|राहुल बाबा ने कल आपने अपनी दादी और अपने पिताजी को भी याद किया था| वे दोनों भी गरीबी हटाने और गाँव तक सरकार पहुँचाने की बात कहते थे | उनके २० सूत्रीय कार्यक्रम को जिन लोगों ने सफल नहीं होने दिया, वे ही लोग भाजपा के अन्त्योदय के आड़े आये हैं| कुर्सी पर सदैव इन्हीं मोटे निवेशकों की कठपुतलियाँ रहती हैं |
आप की इस घोषणा से कि दो बार हारे हुए को टिकट नहीं मिलेगा, ने आज के अख़बार की सुर्खियाँ ही बदल दी है, अपने आका के कहने पर संगठन में आये और निवेशकों से बयाना ले चुके लोग आपकी घोषणा से आहत हो गये हैं| बेचारे! एक उद्योगपति ने बड़े मार्के की बात कही है “पार्टियाँ अपने विधायकों सांसदों और मंत्रियों की वार्षिक आय विवरणी देखें तो उनकी आय किसी उद्योग से ज्यादा तेज़ी से कैसे बढती है” इस खेल में सभी शामिल हैं|
सोनिया जी ने कल राजनीति को जहर कहा है,उनका अनुभव तब ही शुरू हुआ , जब गंगा विषाक्त हो चुकी थी | तीसरी पीढ़ी भारतीय संस्कृति में यश और कीर्ति की वाहक कही गई है, इसे शुरुआत मान लेते हैं |