
मध्यप्रदेश सरकार के उजले नाम पर दुष्कर्म कालिख पोत रहे हैं | सरकार सदाचार के तावीज लिए घूम रही है, बेटी बचाओ अभियान का कीर्ति-कलश लेकर घूमनेवाली सरकार के मुँह पर दुष्कर्म के इतने सारे मामले किसी तमाचे से कम नहीं हैं |
प्रदेश में, 2012 में, बेटी बचाओ का नारा देने वाली सरकार की नाक के नीचे 3406 मामले दर्ज हुए|विदिशा जिले में हालही में हुए मामले ने बता दिया है कि बेटियां निरापद नहीं है|जनसंख्या वृद्धि से अपराध वृद्धि का तर्क देने वाले नेताओं और अफसरों को चीन के आंकड़ों और व्यवस्था के बारे में विचार करना होगा | वर्ष २०१० में चीन में कुल ११२ मामले दर्ज हुए| सम्पूर्ण समाज को सोचना चाहिए, यह क्या हो रहा है? हम कहाँ गलत हैं?
हम इलिनोर रूजवेल्ट नहीं है जो यह कह दें कि “महिलाएं टी-बैग की तरह होती हैं। गर्म पानी डालने से ही उनकी मजबूती जानी जा सकती हैं “| हम भारतीय पुरुष और प्रकृति अर्थात देवता के साथ देवी के पूजक है|हम गार्गी ,मैत्रयी सावित्री, सीता की संतान है, दुर्गा ,लक्ष्मी और सरस्वती के आराधक है | हमारे इतिहास का प्रारम्भ मातृरूप आदि शक्ति से होता है |हमारे किसी भी आख्यान में नारी का प्रादुर्भाव पुरुष के किसी अवयव से होने जेसे उदाहरण नही है|
जहाँ तक नारी स्वातन्त्र्य की बात है वह भी भारत के आख्यानों में है, कई विद्वान महिला ऋषियों का वर्णन यत्र तत्र मिलता है| आद्या शंकराचार्य और मंडन मिश्र की पत्नी का शास्त्रार्थ और कालिदास–विद्द्योत्मा के प्रसंग कपोल कल्पित नही हैं| मध्यप्रदेश सरकार ने सूर्य नमस्कार की पहल की है अच्छी बात है,पर एक दिन की कवायद से संस्कार नहीं बनते हैं| संस्कारों की पुनर्स्थापना करना होगी, प्रदेश के प्रत्येक घर में अलख जगाना होगा| विपरीत परिस्थति में प्रकृति ने हमेशा प्राकृतिक न्याय दंड को अपने हाथों में लेकर सजा दी है, जगत का कोई भी स्थावर, जंगम,जीव प्रकृति के न्याय से मुक्त नहीं है| दुष्कर्म करने वाले हैवानों को प्रकृति अगले जन्म में नपुंसक बनाती है |
(लेखक राजधानी के वरिष्ठ पत्रकार हैं और भोपालसमाचार.कॉम के पाठकों की खिदमत में रोजाना'प्रतिदिन'कॉलम लेकर हाजिर होंगे)