भोपाल। होशंगाबाद में तैनात एडीशनल एसपी अमृतलाल मीणा के फर्जी जाति प्रमाण पत्र मामले में हाईकोर्ट ने मध्यप्रदेश के पूरे के पूरे सिस्टम संचालकों को ही नोटिस जारी कर हाजिर होने के आदेश दिए हैं। इस मामले में पूरे सिस्टम में घुली भांग को एक बार फिर उजागर कर दिया है।
मामले के पिटीशनर सागर निवासी विनयकांत सुहाने के एडवोकेट निखिल तिवारी ने भोपालसमाचार.कॉम से चर्चा में पूरा मामला उजागर किया। उन्होंने बताया कि उनके पिटीशनर श्री सुहाने द्वारा उपलब्ध कराए गए दस्तावेज और कहानी इस प्रकार है।
वर्ष 1995—96 में हुई पीएससी परीक्षा में आरोपी अमृतलाल मीणा डीएसपी के लिए चयनित हुए। इस परीक्षा में उन्होंने स्वयं को अनुसूचित जनजाति का सदस्य बताया था एवं जो जाति प्रमाण पत्र लगाया गया था वो तहसील लटेरी जिला विदिशा से जारी किया गया बताया था।
1996 में चयनित हो जाने के बाद अमृतलाल मीणा को ज्वाइनिंग 1999 में मिली अर्थात सिलेक्शन के 3 साल तक उन्हें ज्वाइनिंग नहीं दी गई। इस दौरान यह मामला जांच के लिए हाईपॉवर स्क्रूटनी कमेटी में भेजने का विचार किया गया, परंतु बाद में नहीं भेजा गया और ज्वाइनिंग दे दी गई।
1999 से लगातार आज तक लगभग 15 साल तक अमृतलाल मीणा न केवल लगातार सेवा में हैं बल्कि इस दौरान उन्हें पदोन्नति भी मिली और वर्तमान में वो होशंगाबाद में एडीशनल एसपी के पद पर कार्यरत हैं।
पिटीशनर श्री सुहाने ने इस मामले की तह तक जाने के लिए आरटीआई के तहत तहसील लटेरी जिला विदिशा से जानकारी मांगी कि क्या अमृतलाल मीणा उनके प्रभावक्षेत्र के निवासी हैं, तहसील प्रशासन लटेरी द्वारा बताया गया कि अमृतलाल मीणा पुत्र श्री रामदयाल मीणा प्रपौत्र श्री बिहारीलाल मीणा उनके इलाके के निवासी नहीं हैं।
पहली संदेह की सुई यहीं पर आ टिकी। इधर अमृतलाल मीणा तहसील लटेरी से जारी जाति प्रमाण पत्र से नौकरी प्राप्त कर रहे हैं तो उधर तहसीलदार का कहना है कि वो यहां के निवासी ही नहीं हैं। यहां बता दें कि उन दिनों मध्यप्रदेश के केवल सिरोंज अनुविभाग में मीणा जाति को अनुसूचित जाति का दर्जा मिला था शेष मध्यप्रदेश में कहीं भी यह दर्जा नहीं मिला था।
अब सवाल यह उठता है कि यदि अमृतलाल मीणा लटेरी के निवासी नहीं हैं तो फिर कहां के निवासी हैं। पिटीशनर श्री सुहाने ने इसकी पड़ताल की तो आरटीआई के तहत मिली जानकारी में पता चला कि अमृतलाल मीणा पुत्र श्री रामदयाल मीणा प्रपौत्र श्री बिहारीलाल मीणा ग्राम हरीच्छा जिला गुना के निवासी हैं। प्रशासन ने इसकी पुष्टि की है।
यदि श्री मीणा गुना जिले के निवासी हैं तो वो किसी भी सूरत में अनुसूचित जनजाति से नहीं हो सकते। इस संदेह को लेकर पिटीशनर ने कई आला अधिकारियों से संपर्क किया एवं जांच करने की मांग की परंतु बजाए कोई जांच होने के मामला लगातार टाला गया। अंतत: पिटीशनर ने हाईकोर्ट की शरण ली।
हाईकोर्ट ने इस मामले में अमृतलाल मीणा के जाति प्रमाण पत्र एवं नौकरी से जुड़े तमाम अधिकारियों को तलब किया है। हाईकोर्ट ने एक नोटिस जारी कर मध्यप्रदेश के ग्रहसचिव, डीजीपी, एडीजी पुलिस प्रशासन, पीएससी के चैयरमैन, एससीएसटी आयोग, हाईपॉवर स्क्रूटनी कमेटी, कलेक्टर गुना एवं कलेक्टर विदिशा को तलब किया है।