मध्यप्रदेश के स्वास्थ्य विभाग में 600000000000 का भ्रष्टाचार

भोपाल। जीरो गिनिए, कितने होते हैं, कितने गरीबों के झोंपड़ें, कितने मरीजों के आपरेशन, कितने बेरोजगारों को रोजगार, कितने स्कूल और कितने जनहितकारी कार्य हो सकते थे, ये आप केल्कूलेट कर लेना। हम तो केवल इतना बता रहे हैं कि मध्यप्रदेश के स्वास्थ्य विभाग में 6 अरब रुपए का भ्रष्टाचार हुआ है। यह आरोप लगाया है नेता प्रतिपक्ष अजय सिंह ने। 

नेता प्रतिपक्ष अजय सिंह ने आरोप लगाया है कि प्रतिवर्ष राष्ट्रीय ग्रामीण स्वास्थ्य मिशन और राज्य के बजट से लगभग 12 सौ करोड़ रूपये खर्च होने के बाद भी प्रदेश की स्वास्थ्य व्यवस्था चैपट है। मरीजों को दवाएं और इलाज दोनों नही मिल रहा है। उन्होंने मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चैहान से पूछा कि यह पैसा कहां जा रहा इसका हिसाब जनता को चाहिए। 

श्री सिंह ने कहा है कि पिछले नौ सालों में स्वास्थ्य विभाग में 6 अरब रूपये से अधिक का भ्रष्टाचार और काली कमाई छापों मिली है। उन्होंने मुख्यमंत्री से मांग की कि वे साहस दिखाएं और सिर्फ स्वास्थ्य विभाग में हुए भ्रष्टाचार की वे सीबीआई. से जांच कराएं। 

नेता प्रतिपक्ष श्री सिंह ने कहा कि प्रतिवर्ष मध्यप्रदेश में स्वास्थ्य सेवाओं के लिए केंद्र सरकार और राज्य सरकार का मिलाकर लगभग डेढ़ हजार करोड़ रूपये खर्च हो रहा है लेनिक भाजपा की पिछले नौ साल की सरकार में स्वास्थ्य व्यवस्थाएं चौपट हुई हैं वहीं स्वास्थ्य सूचकांक शिशु एवं मातृ मृत्यु दर में आज भी मध्यप्रदेश पूरे देश में और तो और बिहार से भी नीचे है। 

श्री सिंह ने कहा कि सरकार के प्रवक्ता कह रहे है कि उनके पास पाई-पाई का हिसाब है तो वे उस हिसाब को जनता को बताएं कि दवाओं पर मरीजों के इलाज पर, उपकरणों पर कितना व्यय हुआ? श्री सिंह ने कहा कि उनके पास जो हिसाब है उसमें स्वास्थ्य का पूरा बजट भ्रष्टाचार पर खर्च हो रहा जिसमें कई प्रमाण इस प्रदेश की जनता पिछले नौ साल में देख चुकी है।

स्वास्थ्य विभाग में पिछले नौ सालों में हुए भ्रष्टाचार के पाई-पाई का हिसाब

छापा:


  • पूर्व स्वास्थ्य मंत्री वर्तमान में पशुपाल मंत्री के भाई अभय विशनोई सहित, तत्कालीन स्वास्थ्य आयुक्त डा राजेश राजौरा, स्वास्थ्य संचालक डा. योगीराज शर्मा के यहां छापे। छापे दवा खरीदी में हुए घोटाले के संदर्भ में अभय विश्नोई के यहां छापे में 1.88 करोड़ रूपये की संपत्ति का पता चला। 

  • छापे में तत्कालीन स्वास्थ्य संचालक डा. योगीराज शर्मा के यहां 1.25 करोड़ रूपये नगद मिले जो गद्दों में, वाशिंग मशीन के अंदर से बरामद हुए और एक नोट गिनने की मशीन बरामद हुई। कुल बारह करोड़ रूपये की अघोषित संपत्ति का पता चला।

  • स्वास्थ्य आयुक्त डा. राजेश राजौरा पर आयकर विभाग ने अघोषित संपत्ति पर 5 करोड़ रूपये के कर चोरी का निर्धारण किया।

  • डाॅ. आशोक शर्मा स्वास्थ्य संचालक के यहां पड़े छापे में 75 लाख रूपए मिले।

  • डाॅ. ए.एन. मित्तल एवं मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चैहान के कथित मामा गणेश सिंह किरार के यहां से सवा सौं करोड़ रूपये की सम्पत्ति मिली।
  • स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों के खिलाफ सर्वाधिक 42 प्रकरण लोकायुक्त मंे दर्ज।
  • पल्स पोलियों टीकाकरण अभियान मे 2 करोड़ 65 लाख 85 हजार रूपये का भ्रष्टाचार हुआ। 
  • पल्स पोलियों टीकाकरण अभियान विज्ञापन प्रसारण एवं होर्डिंग में 38 लाख 88 हजार 286 रूपये का भ्रष्टाचार। 
  • राष्ट्रीय पल्स पोलियो टीकाकरण अभियान के बैनर मुद्रण में 1 करोड़ 35 लाख 6800 रूपये का भ्रष्टाचार। 
  • महामारी के नाम पर दवा एवं सामग्री खरीदी में 4 करोड़ की अनियमितता। 
  • स्वास्थ्य शिविर लगाने के नाम पर 32 लाख रूपये का घोटाला। 
  • जननी एक्सप्रेस योजना में अलीराजपुर और होशंगाबाद में घोटाले की शिकायत अलीराजपुर में 20 कि.मी. दूर सोरवा को 70 कि.मी. बताया। 
  • इसी तरह बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों में महामारी को रोकने के लिए दवा खरीदी में साढ़े पांच करोड़ रूपये का भ्रष्टाचार 
  • दवाओं की खरीदी में वर्ष 2006 में दस करोड़ के क्रय आदेश बगैर अनुमोदन के भुगतान भी किया।  
  • वर्ष 2007 में फिर से 3 करोड़ 56 लाख 53 हजार की दवाएं बगैर शीर्ष अधिकारियों के अनुमोदन के क्रय की गई। 
  • जिलों की बजट आवंटन में करोड़ों रूपये का भ्रष्टाचार।  
  • प्रशिक्षण के नाम पर भ्रष्टाचार।  
  • गांवो में साफ-सफाई और अन्य कार्य के लिए दिए गए 10 हजार रूपये की राशि में से प्रत्येक आशा कार्यकर्ता से तीन-तीन हजार रूपये कमीशन के रूप में वसूला गया। इस तरह 20 लाख रूपये का घोटाला। 
  • केन्द्र सरकार की दीनदयाल अन्त्योदय उपचार योजना में 6597.54 लाख रूपये का घोटाला। 
  • जबलपुर हाईकोर्ट ने दवा घोटाले की एक याचिका पर प्रदेश सरकार को 5 सौ करोड़ के दवा घोटाले की लोकायुक्त को विधि अनुसार जांच करने के निर्देश। 
  • जयपुर राजस्थान ड्रग फार्मास्यूटिकल लिमिटेड कंपनी से दवा खरीदी में करोड़ों रूपये का घोटाला। 
  • एनआरएचएम में कम्प्यूटर सहित अन्य उपकरणों की खरीदी में सरकार को लगाया चूना: दोगुनी कीमत में की डेढ़ करोड़ का घोटाला।  
  • 465 में खरीदी 217 की मच्छरदानी में 1 करोड़ 31 लाख रूपये का भ्रष्टाचार।  
  • ड्रग किट खरीदी में 25 करोड़ रूपये की अनियमित खरीदी। 
  • लेप्रोस्कोप खरीदी में करीब पांच करोड़ रूपये खर्च कर अमानक और अधिक मूल्य की खरीदी। 
  • एंटी टीवी ड्रग खरीदी लगभग 70 लाख रूपये का घोटाला। 
  • कार्ड प्रिटिंग में दीनदयाल अंत्योदय उपचार योजना के तहत सवा दो करोड़ रूपये का अनियमित भुगतान।
  • मलेरिया के रोकथाम के लिए टेमीफास खरीदी में 50 लाख का भ्रष्टाचार। 
  • मलेरिया की पायरेथ्रम सिंथेटिक पायरेथ्रोईट दवा की खरीदी काली सूची में दर्ज कंपनी से। 
  • राज्य स्वास्थ्य प्रबंधन एवं संचार संस्थान ग्वालियर में एक करोड़ रूपये का भ्रष्टाचार। 
  • हिमेटोलाजी रिएजेंट्स एवं डिजीटल एक्सरे फिल्मस् की अधिक दामों पर खरीदी। 
  • नियुक्ति में अनियमितता: राष्ट्रीय ग्रामीण स्वास्थ्य मिशन को चारागाह बनाकर नियुक्तियों में भारी मनमानी की गई। मिशन के वित्तीय सलाहकार निरंजन के पुत्र डाॅ. संजीव निरंजन को नियम विरूद्ध नियुक्ति 01.10.2008 को दी गई। जिस समय यह नियुक्ति पत्र जारी हुआ उस समय डाॅ. संजीव निरंजन एलएन मेडिकल काॅलेज से प्रति माह नियमित वेतन प्राप्त कर रहे थे। उन्होंने 14 माह तक एलएन मेडिकल काॅलेज और एनआरएचएम में साथ-साथ काम किया। बाद में मेडिकल काॅलेज ने इनके चरित्र पर लगे लांछन के कारण सेवा से पृथक कर दिया। बगैर किसी विज्ञापन जारी किए प्रदेश के बाहर के लोगों को नौकरी पर रखना यह एनआरएचएम की खासियत है। संविदा नियुक्ति में भारी भ्रष्टाचार करके ग्रामीण क्षेत्रों के स्वास्थ्य के लिए मिली राशि का दुरूपयोग किया गया। 
  • भारत सरकार ने इस बात पर गहरी आपत्ति दर्ज कराई कि मध्यप्रदेश में राष्ट्रीय ग्रामीण स्वास्थ्य मिशन का पैसा ऐसे कार्यों में खर्च किया गया जिसका प्रावधान मिशन की योजना में नहीं था। ऐसे 67.40 करोड़ रूपये का घोटाला मिशन की आडिट रिपोर्ट में उजागर हुआ। 259.62 लाख के लंबित भुगतान बिना बजट प्रावधान के किये गए। 
राष्ट्रीय ग्रामीण स्वास्थ्य मिशन के कार्यों की लोक सभा में गठित पब्लिक एकाउंट कमेटी ने आडिट की जो रिपोर्ट दी है वह मध्यप्रदेश के लिए बेहद शर्मनाक है। इस कमेटी के चेयरमेन भारतीय जनता पार्टी के वरिष्ठ सांसद मुरली मनोहर जोशी है। उन्होंने 25 मार्च 2011 को अपनी रिपोर्ट में यह टीप दी कि राष्ट्रीय ग्रामीण स्वास्थ्य मिशन का क्रियान्वयन जिस तरह से मध्यप्रदेश में हो रहा है वह ग्रामीण स्वास्थ्य पर एक मजाक है। रिपोर्ट में यह उल्लेखित किया गया कि स्वास्थ्य विभाग के भवन गोडाउन कम्युनिटी हाॅल और गांय के शेड के रूप में इस्तेमाल हो रहे है। डाॅक्टरों दवाओं की सप्लाई और प्रशिक्षित स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं का नितांत अभाव है। 

केन्द्र सरकार से मध्यप्रदेश को राष्ट्रीय ग्रामीण स्वास्थ्य मिशन एवं विदेशों से प्राप्त राशि का वर्षवार ब्यौरा

वर्ष प्राप्त राशि (करोड़ में)
2005-06 600
2006-07 600
2007-08 575.65
2008-09 593.62
2009-10 701.97
2010-11 771.56
2011-12 725.83
2012-13 1433.11

डी.एफ.आई.डी (ब्रिटेन से मिली सहायता वर्ष 2008-2012) 2000
नार्वे से मिली सहायता राशि 150
अन्य सहायता 459.09
योग 8610.83

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