गुरुदत्त राजवैद्य, हरदा। सांप्रदायिक सौहार्द की ऐसी मिसाल कम ही देखने को मिलती हैं जहां हिन्दू परिवार मुस्लिमों के मोहर्रम त्योहार को पूरी शिद्दत के साथ मनाता हो। वह भी करीब 135 वर्ष से। यह परिवार न केवल मोहर्रम के दस दिनों में अल्लाह की इबादत करता है, बल्कि मोहर्रम की सात और नौ तारीख को 'शाह-ए-बगदादÓ की सवारी भी निकालता है।
खास बात यह है कि परिवार की बहन-बेटी रक्षाबंधन और मकर संक्राति पर मायके आने से भले ही चूक जाएं, लेकिन मोहर्रम के इस आयोजन में शामिल होने से वे कभी नहीं चूकती। कुनबे के दूरदराज के रिश्तेदार भी मोहर्रम पर यहां आना नहीं भूलते। आयोजन में दोनों धर्मों को मानने वाले लोग आस्था के साथ शामिल होते हैं।
शहर के खेड़ीपुरा में जैन मंदिर के सामने रहने वाला वैद्य (नामदेव) परिवार तीन पीढिय़ों से 'गुलाब शाह गुलतुरे शाहÓ जिन्हें "शाह-ए-बगदाद" बोला जाता है की सवारी निकालता है। पिछले 135 वर्ष से यह परंपरा का निर्वहन करने वाली परिवार की यह तीसरी पीढ़ी है। मोहर्रम की सात और नौ तारीख को निकलने वाले बाने में पेशे से एकाउंटेंट बसंत वैद्य छड़ी उठाकर शहर में गश्त पर निकलते हैं। इस दौरान विभिन्न दरगाह और अलावा पर जियारत के बाद अलसुबह फज़र की नमाज के पहले छड़ी को ठंडा (विसर्जन)कर दिया जाता है। वैद्य परिवार से जुड़े न्याज़ मोहम्मद ने बताया कि गश्त के पूर्व इशा की नमाज़ के बाद वैद्य परिवार के घर में लोभान छोड़कर अल्लाह की इबादत की जाती है। 'शाह-ए-बगदादÓ के दरबार में आने वाले फरियादी अपनी बात रखते हैं और मन्नत मांगते हैं।
शहर के खेड़ीपुरा में जैन मंदिर के सामने रहने वाला वैद्य (नामदेव) परिवार तीन पीढिय़ों से 'गुलाब शाह गुलतुरे शाहÓ जिन्हें "शाह-ए-बगदाद" बोला जाता है की सवारी निकालता है। पिछले 135 वर्ष से यह परंपरा का निर्वहन करने वाली परिवार की यह तीसरी पीढ़ी है। मोहर्रम की सात और नौ तारीख को निकलने वाले बाने में पेशे से एकाउंटेंट बसंत वैद्य छड़ी उठाकर शहर में गश्त पर निकलते हैं। इस दौरान विभिन्न दरगाह और अलावा पर जियारत के बाद अलसुबह फज़र की नमाज के पहले छड़ी को ठंडा (विसर्जन)कर दिया जाता है। वैद्य परिवार से जुड़े न्याज़ मोहम्मद ने बताया कि गश्त के पूर्व इशा की नमाज़ के बाद वैद्य परिवार के घर में लोभान छोड़कर अल्लाह की इबादत की जाती है। 'शाह-ए-बगदादÓ के दरबार में आने वाले फरियादी अपनी बात रखते हैं और मन्नत मांगते हैं।
विरोध के समय नर्मदा में छोड़ आए थे छड़ी
जबलपुर निवासी रविशंकर वैद्य बताते हैं कि इसी क्षेत्र में रहने वाले एक राजस्थानी परिवार 'शाह-ए-बगदादÓ की सवारी निकालता था। बचपन में उनके पिता श्री चुन्नीलाल वैद्य मोहर्रम के बाने में छड़ी के साथ घूमते थे। एक बार मोहर्रम के पूर्व उक्त परिवार बाहर चला गया। जिसके चलते मोहर्रम पर बाबा की सवारी नहीं निकल पाई। इससे मायूस पिताजी त्योहार पर मुंह लटकाए खड़े थे। उसी दौरान वे बेहोश हो गए। होश में आने पर उन्होंने लोगों को राजस्थानी परिवार के घर के सामने ले जाकर दरवाजे पर लटके ताले को हाथ से छूआ तो वह खुल गया।
अंदर प्रवेश करने पर नज़र आया कि बाबा की छड़ी तैयार रखी है। तब से उन्होंने करीब 70 वर्ष तक बाबा की सवारी निकाली। उस दौरान सांप्रदायिक विरोध सामने आने पर स्नान के लिए गए श्री चुन्नीलाल वैद्य ने नर्मदा में बाबा की छड़ी विसर्जित कर दी। इसके बाद मोहर्रम के दौरान आने वाली अमावस्या पर जब वे नर्मदा में स्नान कर रहे थे तभी छड़ी उनके हाथ में आ गई।
तब उन्होंने प्रण किया कि चाहे कुर्बान होना पड़े, लेकिन बाबा की सवारी वे जरूर निकालेंगे। श्री वैद्य ने बताया कि वृद्ध होने पर पिताजी ने उनके बड़े भाई किशनलाल वैद्य को छड़ी बक्शी। भाई ने अगले 45 वर्ष अपने पिता के दायित्व को आगे बढ़ाते हुए बड़े बेटे बसंत को यह कार्य सौंप दिया। उनका भतीजा बसंत, बीते 20 वर्षों से बाबा की खिदमत में लगा है। परिवार के अन्य सदस्य भी इस कार्य में पूरा सहयोग करते हैं।
घर में दस दिन सजा रहता है दरबार
बसंत वैद्य के मित्र मदनलाल शर्मा ने बताया कि पैगम्बर हज़रत मोहम्मद के नवासे इमाम हसन और इमाम हुसैन की शहादत की याद में मनाए जाने वाले मोहर्रम त्योहार के दस दिन तक श्री वैद्य के घर में बाबा का दरबार फूलों से सजा रहता है। इस दौरान घर में रोशनी भी की जाती है। सुबह और शाम को लुभाने छोडऩे के बाद इबादत होती है, जिसमें दोनों सभी समुदाय के लोग शामिल होते हैं।
वैद्य बोलते हैं फर्राटेदार उर्दू और अरबी
वैसे श्री वैद्य हिन्दी के अलावा अन्य कोई भाषा का ज्ञान नहीं रखते, लेकिन बाबा की सवारी आने पर वे फर्राटेदार उर्दू और अरबी बोलते हैं। श्री शर्मा ने बताया कि गश्त के दौरान अनेक बार लोगों ने उर्दू भाषा में लिखी पर्ची हाथ में थमा उसे पढ़कर सुनाने का कहते हुए उनका इंम्तिहान भी लिया। पर्ची हाथ में आने के पूर्व ही श्री वैद्य ने उसे फर्राटे से बोलकर सुना दिया कि उसमे क्या लिखा है।