गडकरी हों न हों, बाकी सारे रिपीट हो गए

भोपाल। मोहनप्यारे गडकरी को दूसरी बार अध्यक्ष बनाने के लिए भाजपा के संविधान में बदलाव किया गया परंतु पूर्ति ग्रुप के टंटों में उलझे गडकरी भले ही अध्यक्ष बनें या न बनें, बाकी सारे अध्यक्षों के रिपीट होने का सिलसिला लगातार जारी है। अब भोपाल के आलोक शर्मा भी रिपीट हो गए। 

भाजपा संगठन चुनाव में आलोक शर्मा दूसरी बार भोपाल शहर अध्यक्ष बने हैं। इधर ग्रामीण भोपाल से भक्तपाल को दूसरी बार अध्यक्ष बनने का मौका मिला। दोनों के नाम सर्वसम्मति से तय हुए हैं। प्रदेश प्रतिनिधियों के नाम की घोषणा कर दी गई।


भोपाल भाजपा शहर जिला अध्यक्ष के लिए महापौर के करबला स्थित सरकारी आवास में आज सुबह 10.30 बजे से चुनाव अधिकारी और विधायक जसवंत सिंह हाडा और संगठन मंत्री अमरदीप मौर्य ने मंडल अध्यक्षों और जिला प्रतिनिधियों से रायशुमारी की। इसी तरह ग्रामीण अध्यक्ष के लिए रायशुमारी का सिलसिला जारी रहा है। रायशुमारी में आलोक शर्मा का जिला भोपाल शहर अध्यक्ष और भक्तपाल सिंह का जिला भोपाल ग्रामीण का अध्यक्ष का नाम रायशुमारी में सामने आया। 

शाम को सांसद कैलाश जोशी के निवास पर इन नामों की घोषणा कर दी गई। वहीं,भोपाल शहर के प्रदेश प्रतिनिधियों की घोषणा की। इनमें महापौर कृष्णा गौर, विधायक जितेन्द्र डागा, आलोक संजर, रामदयाल प्रजापति, सलीम कुरैशी और अशोक चतुर्वेदी है।

भारानी भी रिपीट


बैरागढ़। बसंत भारानी को फिर से भाजपा मंडल का अध्यक्ष बना दिया गया। अब श्री भारानी तीसरी बार मंडल अध्यक्ष की कमान संभालेंगे। इस पद के लिए आधा दर्जन से भी अधिक दावेदार मैदान में थे। आश्चर्य की बात तो यह है कि विधायक जीतेन्द्र डागा जिस क्षेत्र में निवास करते हैं, उसी क्षेत्र में उनके पसंद के व्यक्ति को अध्यक्ष नहीं बनाया गया। जबकि प्रदेश भाजपा कार्यकारिणी सदस्य प्रकाश मीरचंदानी के समर्थक को अध्यक्ष बनाने से यहां के राजनैतिक समीकरण बदल गए हैं।

भाजपा मंडल अध्यक्ष पद को लेकर पिछले कई दिनों से माहौल गरमाया हुआ था। इस पद पर आधा दर्जन से अधिक दावेदार थे। विरोध के चलते इन पर नहीं लगी मुहर पहले इस पद पर भाजयुमो प्रदेश उपाध्यक्ष राहुल राजपूत का नाम तय हो गया था, लेकिन विरोध के चलते उनके नाम पर मुहर नहीं लग सकी। विधायक जीतेन्द्र डागा समर्थक किशन अच्छानी प्रबल दावेदार थे, लेकिन श्री डागा के विरोधियों की संख्या अधिक होने के कारण वे भी पीछे रह गए। इसी तरह राजेश हिंगोरानी को भी कई स्थानीय नेता आगे कर रहे थे, लेकिन उनके हाथ भी निराशा हाथ लगी।
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