शिवराज सरकार वापस लेगी हेराल्ड को दी गई जमीन !

भोपाल। आमजन को शायद यह मुद्दा समझ न आए लेकिन भाजपा, कांग्रेस और मीडिया से जुड़े लोगों को यह मामला तत्काल समझ में आ जाएगा। जी हां, चर्चा हो रही है इसी बिल्डिंग की जिसे तत्कालीन मुख्यमंत्री अर्जुन सिंह समाचार पत्र हेराल्ड को लीज पर दिया था। अब वहां हेराल्ड के नाम की तख्ती तक नहीं है। सूत्र बता रहे हैं कि शिवराज सरकार यह लीज निरस्त करने का मन बना रही है।

आपको याद दिला दें कि जब अर्जुन सिंह मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री हुआ करते थे तो उन्होंने भोपाल में समाचार पत्रों को अपने दफ्तर खोलने के लिए जमीनें लीज पर दीं थीं। एमपी नगर जोर 1 में बना प्रेसकाम्पलेक्स वही है, लेकिन यहां लीज के नियमों का कितना पालन हो रहा है और कितना नहीं यह जांच का विषय है।

इसी क्रम में समाचार पत्र हेराल्ड को भी जमीन लीज पर दी गई थी परंतु अब यहां अखबार का कोई दफ्तर नहीं है, बल्कि एक शानदार शापिंग काम्पलेक्स तना खड़ा है। कुछ पुराने मीडिया से जुड़े भोपाली इसे गांधी का काम्पलेक्स भी कहते हैं।

इस मामले को लेकर स्वामी ने कांग्रेस अध्यक्ष पर भी निशाना साधा था। 1981 में अर्जुन सिंह की सरकार ने एसोसिएट जर्नल्स को जमीन दी थी। पिछले साल लीज की अवधि खत्म हो गई थी। इसके बाद मार्च में सरकार ने जमीन का आवंटन रद्द कर दिया था। बावजूद इसके जमीन का अधिकार पूर्व केन्द्रीय मंत्री तनवंत सिंह कीर के उत्तराधिकारियों के पास रहा।

वहीं प्रदेश के हाउसिंग एवं पर्यावरण मंत्री जयंत मलाया का कहना है कि प्रोपर्टी न तो बेची जा सकती है और न ही किराए पर दी जा सकती है। नियमों और शर्तो का उल्लंघन हुआ है। राज्य के हितों का संरक्षण किया जाएगा। कांग्रेस अब यह कहकर अपना पल्ला झाड़ रही है कि जमीन पूर्व मंत्री को बेची गई थी। कांग्रेस के वरिष्ठ नेता मोतीलाल वोरा नवंबर 2011 में भोपाल विकास प्राधिकरण को पत्र लिखा था। इसमें कहा गया था कि लीज डीड की सभी शर्तो का पालन किया गया है।

इस मामले पर कांग्रेस के प्रवक्ता मानक अग्रवाल का कहना है कि जब नेशनल हेराल्ड छपना बंद हो गया तो समाचार पत्र के ब्यूरो चीफ एक प्रस्ताव लेकर आए। इसके बाद ट्रस्ट ने जमीन बेचने का फैसला किया।

सूत्र बोलते हैं कि इस बहुचर्चित मामले में जमीन वापस लेकर शिवराज सिंह एक उदाहरण पेश करना चाहते हैं और इसकी संभावनाएं तलाशी जा रहीं हैं, परंतु सवाल यह भी उठता है कि जोन 1 में हेराल्ड के अलावा भी कई जमीनें ऐसी हैं जो अखबारों के संचालन के लिए लीज पर दी गईं थीं परंतु अब उनका व्यावसायिक उपयोग हो रहा है, क्या उनकी लीज भी निरस्त की जाएगी।

देखना रोचक होगा कि मध्यप्रदेश की भाजपा सरकार इस मामले में कोई कदम उठा पाती है या ....?

#buttons=(Ok, Go it!) #days=(20)

Our website uses cookies to enhance your experience. Check Now
Ok, Go it!