भोपाल। मनोज साहू रेलवे स्टेशन नामक व्यक्ति भोपाल का मावा माफिया बनता जा रहा है। बीते रोज फिर 6 लाख रुपए का मिलावटी मावा पकड़ा गया और ड्रायवर ने बताया कि वह यह सप्लाई मनोज साहू के लिए लेकर जा रहा था। इससे पहले भी तीन बार मनोज साहू को सप्लाई के लिए जा रहा मावा पकड़ा जा चुका है।
खाद्य अधिकारी अरुणेश पटेल ने बताया कि बैरसिया पुलिस को सूचना मिली थी कि मिलावटी मावे की एक खेप बैरसिया पहुंचने वाली है। इस पर पुलिस ने घेराबंदी कर एक बस एमपी-09 (जीएफ 5457) को संदेह के आधार पर रोक लिया। तलाशी लेने पर बस में 50 डलियों में 40 क्विंटल मावा मिला। यह मावा रेलवे स्टेशन क्षेत्र स्थित मनोज साहू का है। इससे पहले भी तीन बार मनोज साहू का मावा जब्त हो चुका है।
अब तक घपाया जा चुका है 8 करोड़ का मावा
सूत्र बताते हैं कि अब तक भोपाल में करीब 8 करोड़ रुपए का नकली मावा घपाया जा चुका है और यह भोपाल की हर छोटी से बड़ी दुकान तक सप्लाई किया गया है। मावा माफिया के सूत्र दावा करते हैं कि भोपाल में कोई भी व्यापारी ऐसा नहीं है जिसने नकली मावा न लिया हो।
मजबूत है मनोज का नेटवर्क
मनोज साहू नामक इस व्यक्ति का नेटवर्क बहुत मजबूत है। इसकी पकड़ तीनों तरफ है। यह नकली मावा सबसे सस्ती दरों पर बनाने वाले कारीगरों को व्यक्तिगत रूप से जानता है। इसे मालूम है कि ग्वालियर में यह कारोबार कौन कौन करता है। दूसरे भोपाल के लगभग सभी व्यापारियों को सप्लाई भी करता है और तीसरा प्रशासन पर भी मजबूत पकड़ बनी हुई है। जब जब नकली मावा पकड़ा गया और लेब भेजा गया, वहां से जो रिपोर्ट आईं हमेशा चौंकाने वाली थीं। लेब ने मनोज को हमेशा एनओसी दी है।
8 गुना मुनाफा होता है नकली मावा में
नकली मावा में करीब 8 गुना मुनाफा होता है। यह मुनाफा पूरे चैनल को होता है, इसलिए मिष्ठान व्यापारी ही आगे बढ़कर अपने आर्डर बुक कराते हैं। इस कारोबार में झूठ बिल्कुल नहीं बोला जाता। नकली मावा बताकर ही नकली बेचा जाता है और उसकी कीमत भी कम होती है। रिटेलर्स जरूरत आम उपभोक्ताओं को असली बताकर नकली मावा थमा देते हैं, लेकिन उन्हें सब पता होता है। थोक बाजार में नकली मावा 125 से 175 रुपए प्रति किलो के दाम पर आसानी से मिल जाता है।
प्रशासन भी सब जानता है
प्रशासन भी इस मिलावटखोरी से अनभिज्ञ नहीं है और ऐसा भी नहीं है कि वो आम नागरिकों को मिलावटी मावे से बचाने के लिए कार्रवाई करते हैं। वो तो केवल मीडिया के दबाव में दो चार केस बना देते हैं, वो भी उन व्यापारियों के जिन्होंने असली मावा उनके घर न भेजा हो। यदि एक भी ईमानदार कार्रवाई हो जाए तो पूरे भोपाल में मिठाई की दुकान ही नहीं बचेगी।