भोपाल। MP में CM CANDIDATE की घोषणा अब CONGRESS का सबसे बड़ा विवाद हो गया है। DIGVIJAY SINGH के संपर्क में रहने वाले 10 बड़े नेताओं ने बिना चेहरे के चुनाव लड़ने की वकालत की है जबकि KAMAL NATH और JYOTIRADITYA SCINDIA से जुड़े नेता चाहते हैं कि जीतने के लिए चेहरा घोषित करके चुनाव लड़ना जरूरी है। कहा जा रहा है कि इस विवाद की जड़ दिग्विजय सिंह हैं। उन्होंने ही अपने समर्थक नेताओं को संदेश दिया कि बिना चेहरे के चुनाव लड़ने की मांग की जाए। आरोपों में घिरे दिग्विजय सिंह ने इस मामले में अपनी सफाई पेश की है।
पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह ने कहा है, 'न मुझे चुनाव लड़ना है और न चीफ मिनिस्टर बनना है। विधानसभा चुनाव में किसी को टिकट मिले या कोई चुनाव लड़े, मुझे इससे कोई लेना देना नहीं है। दिग्विजय के मुताबिक उनका एकमात्र उद्देश्य है मध्यप्रदेश में कांग्रेस की सरकार बनवाना।
नर्मदा परिक्रमा पर निकले दिग्विजय को 118 दिन हो चुके हैं। इस दौरान कांग्रेस के कई बड़े नेता, सामाजिक कार्यकर्ता, साधु-संत और प्रमुख लोग उनके साथ पैदल चले हैं। मध्यप्रदेश के तटीय जिलों में दिग्विजय की यात्रा को जनसमर्थन मिला है। यात्रा के दौरान जब वह मुख्यमंत्री शिवराज सिंह के गांव जैत पहुंचे तो खुद शिवराज के भाई नरेन्द्र ने दिग्विजय का स्वागत किया। जैत में जब मीडियाकर्मियों ने उन्हें घेर कर सवाल पूछे तो उन्होंने बिना लाग-लपेट के अपनी बात कही। परिक्रमा में राजनीति के जुड़ने के सवाल पर उन्होंने पलट कर सवाल किया कि क्या कोई राजनीतिक व्यक्ति धार्मिक नहीं हो सकता ?
परिक्रमा खत्म होते ही एकता यात्रा पर निकलूंगा
उन्होंने कहा कि मार्च में परिक्रमा खत्म होने के बाद अप्रेल में मैं प्रदेश में एकता यात्रा पर निकलूंगा और प्रदेश भर के कांग्रेस कार्यकर्ताओं का आपसी मनमुटाव दूर कराऊंगा। इस यात्रा का एकमात्र उद्देश्य कांग्रेस को प्रदेश में सत्ता में वापस लाना होगा। दिग्विजय यह कहना भी नहीं भूले कि इस बारे में वह पहले कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी से बात करेंगे। दिग्विजय के इस बयान से फिलहाल उन अटकलों पर रोक लगेगी जो इस यात्रा के साथ ही शुरु हुई थीं।
किसने किया मप्र में चेहरे का विरोध
प्रदेश अध्यक्ष अरुण यादव, अर्जुन सिंह के बेटे एवं नेताप्रतिपक्ष अजय सिंह, पूर्व केंद्रीय मंत्री और सांसद कांतिलाल भूरिया और राहुल की करीबी मीनाक्षी नटराजन का कहना है कि मप्र में कांग्रेस को बिना चेहरे के चुनाव लड़ना चाहिए जबकि सुरेश पचौरी ने अपना कोई विचार व्यक्त नहीं किया। उन्होंने कहा कि हाईकमान जो फैसला करेगा वही उचित होगा। कांग्रेस के विधायकों ने पहले चेहरे की मांग की लेकिन जैसे ही एक गोपनीय संदेश आया तो ज्यादातर अपनी मांग से मुकर गए।