लव जिहाद का फैसला: ना पिता, ना पति: हादिया अब हॉस्टल में रहेगी | NATIONAL NEWS

नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने केरल के कथित लव जिहाद मामले में सोमवार (27 नवंबर) को अहम फैसला सुनाते हुए 25 वर्षीय हदिया को माता-पिता की कस्टडी से मुक्त करने का आदेश दिया है। इसके साथ ही कोर्ट ने हदिया की रुकी पढ़ाई पूरा करने के लिए तमिलनाडु के सलेम होम्योपैथी को भी निर्देश दिया है। कोर्ट ने केरल सरकार से कहा है कि पूरी सुरक्षा व्यवस्था के बीच हदिया को सादी वर्दीधारियों के साथ उसके कॉलेज में पहुंचाया जाय। चीफ जस्टिस न्यायमूर्ति दीपक मिश्रा की अध्यक्षता वाली पीठ ने हदिया को माता-पिता के संरक्षण से मुक्त करने का फैसला सुनाया और सलेम कॉलेज को उसके हाउस सर्जन की इंटर्नशिप पूरी करने देने का निर्देश दिया।

कोर्ट ने कहा कि उसे मेडिकल कॉलेज के नियम के मुताबिक लोगों से मिलने दिया जाए। यह फैसला पीठ में शामिल न्यायमूर्ति ए.एम. खानविलकर और न्यायमूर्ति डी.वाई चंद्रचूड़ द्वारा हदिया से 25 मिनट की बातचीत के बाद सुनाया। हदिया ने बातचीत के दौरान अपनी हाउस इंटर्नशिप पूरी करने और होम्योपेथिक डॉक्टर बनने की इच्छा जताई थी। कोर्ट ने केरल सरकार से कहा कि यह सुनिश्चित किया जाए कि हदिया को सादे कपड़े पहने पुलिस बलों के साथ सलेम मेडिकल कॉलेज सुरक्षित पहुंचाया जाए।

न्यायालय ने सोमवार को मुस्लिम युवक शफीन जहां से विवाह करने पर हदिया के विचार जानने के लिए न्यायालय के समक्ष पेश होने के लिए कहा था। उसके अभिभावकों ने आरोप लगाया था कि उसके साथ ‘जबरदस्ती कर धर्म बदलवाया’ गया है। उसके पिता अशोकन ने आरोप लगाया था कि उसे आईएसआईएस भर्ती करने वालों की बड़ी साजिश के तहत मोहरा बनाया गया है।

इससे पहले केरल उच्च न्यायालय ने शफीन जहां से उसके विवाह को अवैध घोषित कर दिया था और उसे उसके पिता के संरक्षण में भेज दिया था। शफीन जहां ने उसके बाद हदिया के साथ उसके विवाह को रद्द करने के केरल उच्च न्यायालय के आदेश और इस मामले की जांच एसआईटी से कराने के फैसले का चुनौती दी थी।

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