उस बच्चे की मौत के जिम्मेदार हम सब हैं

राकेश दुबे@प्रतिदिन। “सुरक्षित प्रसव” के गीत गाती शिवराज सिंह सरकार के मुंह पर कटनी जिले में घटी घटना तमाचे से कम नहीं है। जननी एक्सप्रेस और जाने कितने विशेषण से भूषित सरकार बताइए। अस्पताल के ठीक सात सौ मीटर पीछे कोई बच्चा जमीन पर गिरकर मर जाए, तो इसकी जिम्मेदारी किसकी है ? क्या हमारा समाज भी इतना निष्ठुर हो गया है कि दर्द से तड़प रही एक महिला को वह अस्पताल तक नहीं पहुंचा सकता ? समाज तो सरकारी गीत सुनकर सब ठीक है मान लेता है। हकीकत तो वो ही जानता है जिस पर गुजरती है। कटनी के पास बरमानी में जननी एक्सप्रेस के आभाव में प्रसूता की कोख से गिरे जमीन पर गिरे बच्चे के प्राण निकल गये।

यह घटना हुई इससे ठीक एक दि‍न बाद देश की संसद में स्‍वास्‍थ्‍य एवं परि‍वार कल्‍याण मंत्री फग्‍गन सि‍ह कुलस्‍ते ने एक सवाल के जवाब में बताया था कि भारत के महापंजीयक का नमूना पंजीकरण प्रणाली यानी एसआरएस की रि‍पोर्ट के मुताबि‍क 2015 में देश में प्रति एक हजार शि‍शु जन्‍म पर 37 बच्‍चों की मौत हो जाती है| पांच साल तक के बालकों की  मृत्यु दर यानी अंडर फाइव मोर्टेलि‍टी के मामले में यह आंकडा प्रति हजार जीवि‍त जन्‍म पर 43 है। इसी तरह मात मृत्यु दर के मामले में यह संख्‍या प्रति एक लाख प्रसव पर 167 है।

इसी सवाल के जवाब में आगे बताया गया कि देश में 39 प्रतिशत बच्‍चों की मौत कम वजन या समय से पूर्व प्रसव के कारण, 10 प्रति‍शत बच्‍चों की मौत एक्‍सपीसिया या जन्‍म आघात के कारण, 8 प्रति‍शत बच्‍चों की मौत गैर संचारी रोगों के कारण, 17 प्रति‍शत बच्‍चों की मौत नि‍मोनि‍या के कारण, 7 प्रति‍शत बच्‍चों की मौत डायरि‍या के कारण, 5 प्रतिशत बच्‍चों की मौत अज्ञात कारण, 4 प्रति‍शत बच्‍चों की मौत जन्‍मजात वि‍संगति‍यों केकारण , 4 प्रति‍शत बच्‍चों की मौत संक्रमण के कारण, 2 प्रति‍शत बच्‍चों की मौत चोट के कारण, डेढ प्रति‍शत बच्‍चों की मौत बुखार के कारण और पांच बच्‍चों की मौत अन्‍य कारणों से होती है। कटनी में घटी घटना और मौत इनमे से किसी श्रेणी में नही आएगी। यह सरकार द्वरा भारी प्रचार के कारण असंवेदनशील होते जा रहे समाज का नतीजा है।

सवाल यह है कि अस्‍पताल के ठीक सामने एक प्रसूता प्रसव करती है, बच्‍चे की मौत हो जाती है। हमारा समाज उसकी मौत को खड़े-खड़े देखता रहता है। इस मौत के मुकदमे की सुनवाई  कि‍स अदालत में होगी ? सरकार की नीति और नीयत का सवाल तो है ही और हम सब भी अर्थात समाज  कठघरे में खड़े है।
श्री राकेश दुबे वरिष्ठ पत्रकार एवं स्तंभकार हैं।        
संपर्क  9425022703        
rakeshdubeyrsa@gmail.com
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