हीरोपंथी के लिए आधारहीन जनहित याचिकाएं बंद होनी चाहिए: हाईकोर्ट

चंडीगढ़। पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट ने आधारहीन जनहित याचिकाएं दायर करने पर कड़ा रुख दिखाया है। हाईकोर्ट ने कहा है कि जनहित याचिका (पीअाइएल) दायर कर हीरो बनने की प्रवृति बंद होनी चाहिए। इस तरह की याचिका दायर करने का उद्देश्‍य जनहित ही होना चाहिए न कि किसी के निजी हित को पूरा करना। हाई कोर्ट ने यह टिप्पणी हरियाणा में नियम 134ए के तहत के स्कूलों में एडमिशन को लेकर दायर जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए की। कोर्ट ने याचिकाकर्ता से पूछा कि उसका इस मामले में जनहित याचिका दाखिल करने का क्या मकसद है। उसकी इस विषय पर क्या दिलचस्‍पी है।

हाई कोर्ट ने कहा कि वैकल्पिक कानूनी अधिकारों का इस्तेमाल पहले किया जाए और यदि वहां से इंसाफ नहींं मिलता हो तभी हाई कोर्ट का रुख किया जाए। लेकिन, लगता है कि याची जनहित याचिका दाखिल कर हीरो बनने की कोशिश कर रहा है।

इस पर याची के वकील ने कहा कि वह रोहतक में वकील है और सामाजिक काम करता है। कोर्ट ने पूछा कि क्या एक वकील को यह नहीं पता कि जनहित याचिका दायर करने के लिए सुप्रीम कोर्ट की जजमेंट के अनुसार क्या नियम हैं। अगर वकील ही हीरो बनने के लिए अनावश्यक जनहित याचिका दायर करेंगे तो क्या किया जा सकता है।

बेंच ने कहा कि जनहित याचिका को ब्लैकमेल का माध्यम बनाने का प्रयास किया जा रहा है। पीआइएल माफिया सक्रिय हो रहा है और ऐसे में न्यायपालिका को इस प्रकार की दूषित याचिकाओं से बचाना हमारी जिम्मेदारी बन गई है। इसके साथ ही हाई कोर्ट ने स्पष्ट किया कि जनहित याचिका के माध्यम से समाज की सेवा करने में कोई बुराई नहीं है लेकिन इसके लिए पहले अपने स्तर पर भी समाज के लिए कोई कदम उठाया जाए। हाई कोर्ट में आधारहीन याचिका न दायर की जाए।

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