WIPRO में JOB के नाम पर ठगी: दीपा गुप्ता फरार, साथी गिरफ्तार

भोपाल। विप्रो और इसकी जैसी बड़ी कंपनियों की एचआर अधिकारी बनकर बेरोजगारों के साथ ठगी करने वाली गाजियाबाद की 21 वर्षीय युवती दीपा गुप्ता रैकेट का भांडाफोड़ हो गया है। भोपाल साइबर पुलिस ने नोएडा स्थित ठगी के सेंटर से 5 जालसाजों को गिरफ्तार कर लिया है परंतु दीपा गुप्ता फरार हो गई। पुलिस उसकी तलाश में छापामारी कर रही है। साइबर पुलिस ने बताया कि शाईन डॉट कॉम में दर्ज बेरोजगारों का डाटा लेकर आरोपी गिरोह बेरोजगारों को ठगने का काम करता था। आरोपियों ने सिम, लेपटॉप, मोबाइल और बैंक एकाउंट फर्जी नाम पते पर लेकर यह पूरा जाल फैला रखा था। 

साइबर सेल भोपाल के अनुसार सोम्या पार्क लैंड, खजूरी कला, अवधपुरी निवासी राजन शर्मा पिता ओमप्रकाश शर्मा ने जॉब दिलाने के नाम पर ठगी की शिकायत की थी। उसने बताया कि उसने ऑन लाइन जॉब साइट शाइन डॉट कॉम और ग्लासडो डोर पर बायोडाटा दिया था। इसके बाद उसे कंपनी से फोन आया। उनका कहना था कि मेरा बायोडाटा चयनित किया गया है। उन्होंने फोन पर ही दो बार इंटरव्यू लिया। इसके बाद मुझे बताया गया कि विप्रो कंपनी में टेक्निकल सपोर्ट में नौकरी मिल गई है। उन्होंने एक खाता नंबर देते हुए मुझसे रजिस्ट्रेशन, प्रशिक्षण और अन्य नाम से 32 हजार 500 रुपए जमा करवाए।

रुपए जमा होते ही आरोपियों के मोबाइल फोन बंद हो गए। काफी प्रयास के बाद भी जब आरोपियों से संपर्क नहीं हुआ तो राजन सायबर सेल से मदद ली। जांच के बाद सायबर सेल ने नोएडा के मकान पर दबिश देकर पांच आरोपियों को धर दबोचा। किराय के मकान में आरोपी यह पूरा फर्जीवाड़ा कर रहे थे। मौका के फायदा उठाकर मास्टर माइंड युवती फरार हो गई।

पहले लेते थे विश्वास में फिर करते थे डिमांड
आरोपी भारत ही नहीं बल्कि दूसरे देशों में भी फर्जी कॉल करते थे। बातों ही बातों में पहले वे पीड़ित और उसके परिवार के बारे में पूरी जानकारी हासिल कर लेते थे। फिर उसकी हैसियत के अनुसार वह नौकरी दिलाने के नाम पर रुपयों की मांग करते थे। रकम इतनी और इस तरह से तय की जाती थी ताकि किसी को शक न हो। रुपए जमा होने के बाद वह सिम बंद कर देते थे। पीड़ित से वह एक ही बार रुपए लेते थे। पीड़ित से रुपए बैंक खातों, पेटीएम व एयर टेल मनी जैसे माध्यमों से लिए जाते थे।

ऐसे बना गिरोह
गिरोह बी.कॉम फाइनल ईयर के 24 वर्षीय छात्र गौरव राघव ने अपनी दोस्त गाजियाबाद निवासी दीपा गुप्ता के साथ मिलकर शुरू किया था। गौरव पहले कॉल सेंटर चलाता था। इसी दौरान उसकी मुलाकात दीपा, मोहित और करण से हुई थी। दीपा ने ही फर्जी तरीके से जल्द रुपए कमाने का आईडिया दिया था। उसके बाद उन्होंने यह गिरोह बना लिया। गिरोह में रुपए आपस में काम के आधार पर बांटे जाते थे।

#buttons=(Accept !) #days=(20)

Our website uses cookies to enhance your experience. Check Now
Accept !