भोपाल। RADHESHYAM JULANIYA IAS को उनके अधीनस्थ हिटलर मानते हैं। ये मप्र के अकेले ऐसे आईएएस हैं जिनके खिलाफ सबसे ज्यादा आंदोलन हुए। कहते हैं कि ये जिस मीटिंग में मौजूद होते हैं, वहां सिर्फ इनकी की आवाज गूंजती है। बाकी सब प्रताड़ितों की तरह चुप रहते हैं परंतु इस कथित निर्दयी आईएएस को कुछ लोग बेहद प्यार करते हैं। देवतुल्य मानते हैं। श्योपुर में आदिवासियों ने अपने गांव का नाम इनके नाम पर 'जुलानियापुरा' रख लिया है। इसी के साथ आईएएस जुलानिया हमेशा के लिए अमर हो गए हैं और एक बार फिर प्रमाणित हो गया कि अच्छे काम कभी मरते नहीं हैं। वो हमेशा जिंदा रहते हैं।
मध्य प्रदेश में श्योपुर जिले का गांव जुलानियापुरा श्योपुर के पूर्व कलेक्टर और पंचायत ग्रामीण विकास विभाग के अपर मुख्य सचिव राधेश्याम जुलानिया के नाम पर बसाया गया है। साल 1995 में तत्कालीन कलेक्टर राधेश्याम जुलानिया दौरे पर निकले। दौरे की खबर पर सोंई और दांतरदा क्षेत्र के कुछ आदिवासी उनके पास पहुंचे, जिन्होंने कलेक्टर से जमीनें मांगीं। कलेक्टर ने संबंधित एडीएम को तत्काल जमीनें देखकर पट्टे देने के निर्देश दिए। इस पर प्रशासन ने करीब 15 आदिवासियों को सोंईकलां से 4 किमी दूर 7 से लेकर 10 बीघा भूमियों के पट्टे दिए, जिस पर यह आदिवासी आज भी खेती कर रहे है। अब इस गांव की आबादी 250 के करीब है और गांव में 47 घर हैं। आदिवासियों ने राधेश्याम जुलानिया के नाम पर ही गांव का नाम जुलानियापुरा रख दिया। यह गांव ग्राम पंचायत बर्धा में आता है। साथ ही राजस्व गांव का दर्जा भी मिल चुका है।
क्या कहते हैं गांववाले
पहले हम दूसरों के खेतों में मजदूरी कर जीवन यापन करते थे। जमीन को लेकर हम कई बार अफसरों के पास गए लेकिन, हमसे कोई नहीं मिला। सालों पहले जब कलेक्टर जुलानिया साहब थे, तब उनके पास गए तो उन्होंने जमीन दिला दीं। इस पर हमने गांव का नाम भी जुलानियापुरा रख दिया।
गणपति आदिवासी, स्थानीय निवासी जुलानियापुरा