नई दिल्ली। हिमाचल प्रदेश में आउटसोर्स कर्मियों के लिए नीति बनाने को कैबिनेट से मंजूरी मिलने पर भले ही सत्ता पक्ष के नेता खुद की वाहवाही कर रहे हैं, लेकिन आउटसोर्स कर्मचारी सरकार के इस रुख को लेकर खासे नाराज हैं। संयुक्त आउटसोर्स कर्मचारी संघ ने सरकार को चेतावनी दी है कि वह अपने किए वायदे को पूरा करते हुए कर्मचारियों को निजी कंपनियों के चंगुल से बाहर निकाले, वरना आने वाले विधानसभा चुनाव में आउटसोर्स कर्मचारी सरकार को अपना जवाब देंगे।
आउटसोर्स कर्मचारी महासंघ के अध्यक्ष धीरज चौहान ने कहा कि मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह ने खुद आउटसोर्स कर्मचारियों को रेगुलर करने का एलान किया था। बजट भाषण में भी उन्होंने यही बात दोहराई थी। इसके बाद आउटसोर्स कर्मचारियों ने उनका अभिवादन भी किया था, लेकिन मुख्यमंत्री अपने वायदे से मुकर रहे हैं।
कहा कि कंपनियां कर्मचारियों से ज्यादा काम लेकर न्यूनतम वेतन भी नहीं दे रही। यही नहीं, उनकी वजह से कर्मचारियों को प्रताड़ना झेलनी पड़ती है। मुख्यमंत्री सिर्फ भत्ते और छुट्टी का झुनझुना थमाकर कर्मचारियों से किए वायदे को पूरा करने से बचना चाहते हैं। चौहान ने कहा कि अगर सरकार ने कर्मचारियों को कंपनियों के चंगुल से नहीं निकाला तो वह आने वाले विधानसभा चुनाव में अपने मत का विवेक के साथ इस्तेमाल कर सरकार को जवाब देंगे।