प्रतिभा किसी आरक्षण की मोहताज नहीं जेईई मेंस के रिजल्ट ने प्रमाणित कर दिया

अनिल नेमा। जे.ई.ई. मेन्स का रिजल्ट केन्द्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड ने कल जारी किया। उदयपुर के एस.सी वर्ग के कल्पित वीरवाल ने इस परीक्षा में देश भर में टॉप किया। कल्पित का अकल्पित काम ये था कि निगेटिव मार्किग के बाबजूद अटैम्प्ट भौतिक, रसायन और गणित के सभी के सभी सवाल का परफैक्ट जबाब और 360/360 मार्किग...पहली बार दलित (विशुद्ध राजनैतिक शब्द) छात्र का यह कारनामा।  कुछ समय पहले देश की सबसे प्रतिष्ठित परीक्षा ‘‘सिविल सेवा परीक्षा’’ में इसी वर्ग की टीना डाबी ने भी टाप कर ठीक वैसा ही किया जैसे बरसों पहले एकलव्य ने अचूक निशान को भेद कर इतिहास को आलोकित किया था। ये दोनों उदाहरण इस बात के संकेत है कि ‘‘प्रतिभा’’ किसी की बपौती नहीं और अब वोट बैक से पोषित आरक्षण व्यवस्था के पुनरावलोकन समय की आवश्यकता है। 

अब सामजिक समरसता का माहौल है ‘‘सब पढ़े और सब बढ़े’’ की सोच देश की फिजाओं मे है .........फिर........अब आरक्षण की जरूरत.......पर अफसोस वर्तमान जातिगत व्यवस्था से अलग कर ‘वास्तविक आर्थिक और सामजिक पिछड़ेपन’ से सम्बद्ध करने का राजनैतिक साहस किसी में नहीं है? आरक्षण ने समाज को सिर्फ और सिर्फ बाटने का काम किया है! आरक्षण ने जातियों मे असमानताएं ही पैदा की है! आरक्षण का फायदा जाति विशेष को न होकर के जाति के अंदर पहले से व्यवस्थित लोगो को ही हुआ है! आज भी आरक्षित जातियों के अंदर आर्थिक विषमतायें मोजूद है! कंही-कंही तो एक ही परिवार के सभी सदस्य सरकारी या गैर-सरकारी संस्थानों मे नौकरी कर रहे है और दूसरी तरफ एक ही परिवार के सभी सदस्य बेरोजगार है! क्या ये आर्थिक विषमतायें उचित है!

गौरतलब ये भी है संविधान निर्माताऔं ने पिछड़ों को अगड़ों के समकक्ष लाने के लिए दस वर्ष तक आरक्षण का प्रावधान किया था, जिसे दस-दस वर्ष तक बढ़ाने के बाद अब उसे अनंत कल तक बनाए रखने की व्यवस्था चल रही है, और ऐसा नेता लोग अपनी राजनीति कि दुकान को हमेशा चमकाए रखने के लिए करते हैं ? संविधान के अनुच्छेद 15(1), 16(1), और 29(3) में स्पष्ट शब्दों में सरकारी सेवाओं और शिक्षा संस्थाओं में जाति को आधार बनाने से वर्जित किया गया है। 

ऐसा कई बार होता है कि आरक्षण कि वजह से क्रीमी लेयर के लोग आर्थिक रूप से सशक्त होते हुए भी आगे बढ़ जाते हैं और आर्थिक रूप से कमजोर जनरल वर्ग के लोग पीछे रह जाते है साथ ही कम नंबर पाकर आरक्षित वर्ग के लोग नौकरी पा जाते हैं और अधिक नंबर पाकर जनरल वर्ग के लोग पीछे रह जाते है। जे.ई.ई का वर्तमान कट आॅफ मार्क्स देखे जनरल-81% ओ.बी.सी.- 49% एस.सी.-32% एस.टी.-27% क्या ये प्रतिभाओं के साथ न्याय है। पर जो भी हो अकल्पित स्कोर के लिये कल्पित को बधाई।

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