मप्र के कृषि मंत्री ने खोली अनाज घोटाले की पोल | AGRICULTURAL PRODUCE SCAM

भोपाल। मप्र के कृषि मंत्री गौरीशंकर बिसेन अपने बयानों के कारण काफी चर्चा में हैं। वो इन दिनों सच बोल रहे हैं। कुछ रोज पहले उन्होंने बताया था कि कैसे उन्हे एक मामले में बचाने के लिए कलेक्टर ने सबूत नष्ट कर दिए थे। अब उन्होंने 5 बार कृषि कर्मण अवार्ड जीत चुके मध्यप्रदेश में चल रहे अनाज घोटाले की पोल खोल दी है। उन्होंने कहा कि राशन दुकानों से बंटने वाला 90 फीसदी गेहूं दोबारा मंडियों में बने खरीद केंद्रों तक बिकने पहुंच जाता है। इसे सख्ती से रोकना होगा। री-साइकिल होने से भी खरीदी का आंकड़ा बढ़ रहा है। यही नहीं, सार्वजनिक वितरण प्रणाली (पीडीएस) के तहत जो गेहूं बंटता है, उसमें से भी 50 फीसदी खाने लायक नहीं होता। 

बिसेन ने यह बात केंद्रीय कृषि लागत एवं मूल्य आयोग की शुक्रवार को समन्वय भवन में हुई बैठक में कही। इसमें आयोग के अध्यक्ष विजय पाल शर्मा समेत गुजरात, महाराष्ट्र, छत्तीसगढ़, राजस्थान और मप्र के भी प्रतिनिधि मौजूद रहे। आयोग सभी रीजन में जाकर 2017-18 के सीजन के लिए गेहूं का समर्थन मूल्य निर्धारित करना चाह रहा है। सभी राज्यों के सुझाव आने के बाद इसे तय किया जाएगा। बिसेन ने इसी बैठक में कहा कि किसानों का ऋण माफ नहीं करना चाहिए। यूपी में जिन लोगों के कर्ज माफ हुए हैं, वे ईमानदार नहीं हैं। ईमानदार होते तो कर्ज ही नहीं लेते। 

गेहूं खरीदी को लेकर उन्होंने कहा कि जब तक आखिरी किसान उपज मंडी खरीद केंद्र तक न पहुंच जाए, खरीदी जारी रखनी चाहिए। कृषि मंत्री का सुझाव भी था कि समर्थन मूल्य बढ़ाने की बजाए उपज को बढ़ाने की प्रयास होने चाहिए। उन्होंने 150 रुपए बोनस को बंद करने पर कहा, इस फैसले का राजनीतिक नुकसान हो रहा है। किसानों की हालत अलग खराब है। बिसेन ने मप्र में सिंचाई रकबे पर भी सवाल खड़े कर दिए। उन्होंने बालाघाट का उदाहरण देते हुए कहा कि 40 लाख हैक्टेयर में सिंचाई का आंकड़ा भी सही नहीं है। बहरहाल, आयोग की टीम सुझाव लेकर रवाना हो गई। 

दो बार टोका पर नहीं रुके 
जब बिसेन यह बोल रहे थे तब कृषि विभाग के प्रमुख सचिव डॉ. राजेश राजौरा ने दो बार पर्ची भेजी। बताया जा रहा है कि यह उन्हें टोकने के लिए थी। बिसेन इसके बाद भी नहीं रुके। अंतत: डॉ. राजौरा को बोलना पड़ा कि विषयांतर हो रहा है। यह बैठक भी शुक्रवार सुबह 10 बजे रखी गई थी, जिसमें बिसेन सवा घंटे लेट पहुंचे। 

मैंने तो सख्ती से रोकने की बात की थी : बिसेन 
बैठक में उनके द्वारा कही गई बातों के बारे में जब पूछा गया तो बिसेन ने कहा कि मैंने तो री-साइकिल हो रहे गेहूं को सख्ती से रोकने की बात कही है। जहां तक खराब गेहूं बंटने की बात है तो मैंने कहा था कि यदि पीडीएस के गेहूं को साफ करके बांटा जाए तो यह उपभोक्ताओं के लिए ठीक होगा। सिंचाई को लेकर भी बातें सही नहीं हैं। मैंने कहा था कि 40 लाख हैक्टेयर के अलावा भी कपिल धारा के कुएं और स्टॉप डेम से सिंचाई हो रही है। दरअसल, इस बैठक में सुझाव देने थे। इन्हें गलत अर्थों में लिया जा रहा है। 

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