भारतीय स्टेट बैंक ने चालान पर 32 फरवरी की सील लगा दी

राजेश शुक्ला/अनूपपुर। कहते हैं बैंकों के जमा निकासी वाले दस्तावेज प्रमाण होते हैं कि किस तारीफ में पैसा जमा किया गया। यदि यह सही है तो यहां 32 फरवरी की तारीख में बैंक ने काम किया है। अब आप पूछेंगे, फरवरी तो 28 की होती है। 32 तारीख तो साल के किसी भी में नहीं होती। शायद बैंक को यह पता नहीं था। सवाल यह है कि क्या बैंक में इस तरह की लापरवाही को नजरअंदाज किया जाना चाहिए। जबकि बैंक की सील ही इस बात का प्रमाण होती है कि व्यवहार किस तारीख में हुआ। 

सप्ताह भर पहले नगरपालिका में ठेकेदारों के भुगतान के लिये बाउचर बनाये गये थे। जिसका भुगतान के लिये इन बाउचरों को बैंक भेजा गया। बैंक भेजे जाने के बाद मिली पावती में बैंक ने 32 फरवरी की भुगतान की तारीख डाल दी। मामले की जानकारी लगने पर बैंक के स्टाफ ने लिपकीय त्रुटि बताते हुये मामले को तूल न देने की बात कही है।

बैंक की लापरवाही
बैंकिग सेक्टर में देश की सबसे अग्रणी बैंक होने के साथ भारतीय स्टेट बैंक शाखा अनूपपुर में गडबडियां से बैंकिग कामों पर सवालिया निशान खडे होते हैं कि आखिर कामों में व्यस्तता के दौरान चलान में सील लगने के साथ दर्ज तारीख पर ध्यान क्यों नहीं दिया गया। जबकि सील लगने के दौरान बैंकिग स्टाफ एकाउंटेंट बाकायदा रकम व चलान के बाउचरों की जांच-पडताल करते हैं। यह जांच केवल तारीख और रकम की ही होती है। 

32 तारीख का महीना
पांच दशक में कभी ऐसा मौका आता है जब फरवरी माह 29 दिनों का होता है बाकी शेष सालों में फरवरी 28 की मानी जाती है। लेकिन भारतीय स्टेट बैंक की शाखा अनूपपुर ने 28 फरवरी महीनों को दरकिनार करते हुये तारीखों में इजाफा किया और टैक्स के जमा चलान में 32 तारीख दर्ज कर दी।

इनका कहना है-
जल्दबाजी के कारण सील लगाने के दौरान तिथि चेंज हो गई होगी। 
रवि तिवारी, एकाउटेंट, भारतीय स्टेट बैंक शाखा अनूपपुर।
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बाउचर के अलावा सिस्टम में भी चलान की कापी दर्ज की जाती है। हमारा सिस्टम सही है। बाउचर में गलती हो सकती है। 
अमित तिर्की, सहायक प्रबंधक, भारतीय स्टेट बैंक, शाखा अनूपपुर।
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