
जानकारी के अनुसार 10वीं परीक्षा के गणित प्रश्नपत्र के दौरान पोरसा स्थित शा. कन्या प्रा. विद्यालय में निधि राजावत निवासी भिण्ड अपने साथी शिवम तोमर पुत्र बडे सिंह तोमर निवासी पोरसा के साथ खुद को आईएएस बताकर परीक्षा के दौरान फोटो व वीडियो ग्राफी कराने लगी जब केन्द्राध्यक्ष एस के दीक्षित को उक्त मामले की सूचना प्राप्त हुई तो वह निधि राजावत से मिलने पहुँचा जिस पर से निधि ने अपना परिचय आईएएस के रूप में बताया और उल्टा केन्द्राध्यक्ष को डाँटने व धमकाने लगी। फर्जी आईएएस निधि राजावत ने केन्द्राध्यक्ष से रिश्वत की मांग की। केंद्राध्यक्ष भी झांसे में आ गया। तभी तहसीलदार पोरसा को केशर एज्युकेशन केन्द्र पर ज्ञात हुआ कि कोई महिला आईएएस अफसर पोरसा में परीक्षा केन्द्रों का निरीक्षण कर रही है तो तहसीलदार भूपेन्द्र सिंह सकते में आ गये और उन्होंने एसडीएम सहित वरिष्ठ अधिकारियों से जानकारी चाही।
जब ज्ञात हुआ कि जिले में कोई भी महिला आईएएस अफसर जांच के लिए नहीं आई है तो उन्होंने इस फर्जी आईएएस निधि राजावत का पीछा किया शा. कन्या विद्यालय में जाकर पकड़ लिया। उसने स्वयं को आईएएस अफसर बताया और कहा कि मैं परीक्षा जाँच हेतु भोपाल से नियुक्त की गई हूँ। जब तहसीलदार ने निधि से आईएएस होने का प्रमाण मांगा तो सारा मामला खुलकर सामने आ गया। तहसीलदार ने तुरंत पोरसा थाने को सूचना कर फर्जी आईएएस निधि को उसके साथी शिवम तोमर सहित हवालात की हवा खाने के लिए भेज दिया
4 दिन पहले आई थी यहां
पुलिस द्वारा पकडे गये शिवम तोमर ने बताया कि 4 दिन पूर्व निधि राजावत उसे मिली थी और उसने बताया था कि वह एसडीएम के पद पर नियुक्त है तथा बोर्ड की परीक्षाओं मे जांच हेतु पोरसा नियुक्त की गई है। निधि ने शिवम से रहने के लिए मकान की व्यवस्था करने की भी बात कही जिस पर से शिवम ने अपने पिता पंचायत सचिव बडे सिंह तोमर की पहचान का फायदा उठाते हुए पोरसा में ही रहने वाले जगदीश शर्मा का मकान परीक्षा समाप्ति तक किराये से दिलवा दिया।
नौकरी का झांसा देकर असिस्टेंट बना लिया
पुलिस कैद में मौजूद शिवम तोमर ने बताया कि निधि राजावत ने उसे सरकारी नौकरी दिलाने का वायदा किया था और कहा कि परीक्षा के दौरान वह अपनी मोटर साइकिल से उसे परीक्षा केन्द्रों पर साथ लेकर जाया करे जिस पर शिवम तैयार हो गया और पकडे जाने तक पोरसा के अनेकों परीक्षा केन्द्रों पर पहुँचकर शिवम भी केन्द्राध्यक्षों से जबरन धन वसूली में शामिल रहा। सूत्र बताते हैं कि शिवम तोमर से निधि राजावत की पुरानी जान पहचान है जिस वजह से पोरसा में आते ही निधि ने सर्वप्रथम शिवम तोमर से ही सम्पर्क कर इस धोखाधडी के कार्य को अंजाम दिया है।