7 साल से लापता कर्मचारी मृत समझा जाए: हाईकोर्ट

हैदराबाद। हैदराबाद उच्च न्यायालय ने केंद्र सरकार को स्पष्ट किया कि यदि एक कर्मचारी सात साल तक लापता रहता है तो उसे मृत समझा जाए। साथ ही उसे मिलने वाली पेंशन व अन्य सुविधा लापता व्यक्ति के परिजनों को दी जाएं।

न्यायालय ने एक कर्मचारी की सात साल से लापता होने के कारण उसे नौकरी से निकाल दिये जाने और उसे मिलने वाली पेंशन व अन्य सुविधा उसके परिवार को नहीं देने की केंद्र सरकार की दलील को ठुकरा दिया है। साथ ही केंद्र सरकार को आदेश दिया कि लापता व्यक्ति की पत्नी को पेंशन व अन्य सुविधा दिया जाएं। न्यायाधीश न्यायमूर्ति वी. रामसुब्रह्मणियन व जी. श्याम प्रसाद की खंडपीठ ने हाल ही में यह फैसला सुनाया।

एलुरू संभाग के सेंट्रल एक्साइज असिस्टेंट कलेक्टर कार्यालय में मुद्रण आपरेटर के रूप में काम करने वाले व्यक्ति की पत्नी सरोजनी ने उसका पति लापता होने की शिकायत 4 सितंबर 1994 में थाने में शिकायत दर्ज की थी। पुलिस ने मामला दर्ज करके जांच आरंभ की और 1997 में अपनी रिपोर्ट सौंपी। इसी रिपोर्ट के आधार पर सरोजनी ने सात साल बाद सेंट्रल एक्साइज अधिकारियों को पेंशन व अन्य सुविधा देने के लिए आवेदन किया।

अधिकारियों ने बताया कि लापता व्यक्ति को नौकरी से निकाल दिया गया है। इसलिए पेंशन व अन्य सुविधा नहीं दिया जा सकता। परिणामस्वरूप सरोजनी ने केंद्रीय नागरिक ट्रिब्युनल का दरवाजा खटखटया। ट्रिब्युनल ने सरोजनी के समर्थन में फैसला सुनाया। केंद्र सरकार ने ट्रिब्युनल की फैसले को उच्य न्यायालय में चुनौती दी थी। उच्च न्यायालय ने ट्रिब्युनल के निर्णय को सही करार देते हुए फैसला सुनाया।

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