
पीड़ित कुलदीप शर्मा ने 2008 में पटवारी की परीक्षा दी थी। तब 48 परीक्षार्थियों पर आरोप लगा कि उनकी डीसीए की मार्कशीट फर्जी है। वर्ष 2013 में तत्कालीन भिंड कलेक्टर एम सिबि चक्रवर्ती ने सभी मार्कशीट को वेरिफाई कराने के लिए संबंधित संस्थानों में भेजा। इसमें कुलदीप शर्मा पुत्र गुरु नारायण शर्मा ने डीसीए का कोर्स माखनलाल चतुर्वेदी संस्थान से किया था। वहीं परीक्षा में शामिल एक अन्य उम्मीदवार कुलदीप शर्मा पुत्र सीताराम शर्मा ने यह कोर्स अन्य संस्थान से किया था।
कोर्ट में याचिकाकर्ता कुलदीप शर्मा के अधिवक्ता अतुल गुप्ता और अरूण शर्मा ने तर्क रखा कि शासन ने वेरिफाई के लिए कुलदीप पुत्र गुरुनारायण शर्मा की जगह कुलदीप शर्मा पुत्र सीताराम शर्मा की डीसीए की मार्कशीट माखनलाल चतुर्वेदी कॉलेज में जांच के लिए भेज दी। जिसे संस्थान ने फर्जी बता दिया।
भिंड कलेक्टर ने इस आधार पर फर्जी मार्कशीट के मामले में याचिकाकर्ता के खिलाफ भी थाने में एफआईआर दर्ज कराने के आदेश दे दिए, लेकिन याचिकाकर्ता परीक्षार्थी निर्दोष है, इसलिए उसके खिलाफ दर्ज एफआईआर को रद्द किया जाए। हाईकोर्ट ने याचिका पर सुनवाई के बाद परीक्षार्थी के खिलाफ दर्ज एफआईआर रद्द करते हुए, भिंड कलेक्टर पर 5000 की कॉस्ट लगाई।