नियन्त्रण रेखा अनियंत्रित

राकेश दुबे@प्रतिदिन। भारत और पाकिस्तान के बीच खिंची वास्तविक नियंत्रण रेखा अब अशांति रेखा में बदल चुकी है। पिछले कुछ महीनों से इसका आसमान या तो पाकिस्तान की ओर से लगातार हो गोलाबारी की वजह से गूंजता रहता है या फिर भारत की ओर से हो रही जवाबी गोलाबारी से। आस-पास के गांवों के लोग अपने घर और अपने खेत छोड़कर चले गए हैं। मौत के इस साये में भला कौन रहना चाहेगा? मगर न तो पाकिस्तान की ओर से होने वाली गोलाबारी रुक रही है और न आतंकवादियों की घुसपैठ।वैसे तो आतंकवादियों की घुसपैठ का सिलसिला हर साल नवंबर के महीने में अचानक बढ़ जाता है। यह घुसपैठ का आखिरी मौका होता है, इसके बाद बर्फ पड़ने लगेगी, तो तीन-चार महीनों के लिए यह काम असंभव हो जाएगा। लेकिन इस साल जो हो रहा है, वह कुछ ज्यादा ही गड़बड़ है।

विशेषज्ञ यह मान रहे हैं कि सीमा पर बढ़ रही इन झड़पों का मामला हर साल इस सीजन में होने वाली घुसपैठ या तात्कालिक तनाव भर नहीं है। इसके कारण पाकिस्तान की सेना से भी जुड़े हैं। पाकिस्तानी सेना के प्रमुख जनरल राहिल शरीफ अगले महीने रिटायर होने वाले हैं। प्रधानमंत्री नवाज शरीफ चाहते हैं कि राहिल रुखसत हों, तो वह अपने पंसद के किसी जनरल को सेना का प्रमुख बनाएं। लेकिन राहिल शरीफ इस कोशिश में हैं कि किसी तरह उन्हें सेवा-विस्तार मिल जाए। उनके सामने फिलहाल कोई और विकल्प नहीं है। इस समय दुनिया के जो हालात हैं, उनमें वह चाहकर भी जनरल जियाउल हक या जनरल परवेज मुशर्रफ नहीं हो सकते।

दो महीने पहले 28 सितंबर को जब भारत ने पाकिस्तान के खिलाफ सर्जिकल स्ट्राइक की थी, तो यह उम्मीद बंधी थी कि पाकिस्तान की फौज अपनी हरकतों से बाज आएगी और सीमा पर शांति कायम होगी। इसका असर भी दिखा था। इस स्ट्राइक ने पाकिस्तान को यह एहसास करा दिया था कि भारत अब हाथ पर हाथ धरकर नहीं बैठेगा। अभी नियंत्रण रेखा पर जो चल रहा है, उसे इससे जोड़कर नहीं देखा जा सकता। यह पाकिस्तान के आंतरिक सत्ता-संघर्ष का नतीजा है, जिसके चलते एक तरफ भारतीय सैनिक शहीद हो रहे हैं, तो दूसरी तरफ पाक सैनिक भी मारे जा रहे हैं। कारण जो भी हो, नियंत्रण रेखा पर जिस तरह की घटनाएं हो रही हैं, वे भारत को और भी आक्रामक रुख अपनाने पर मजबूर करेंगी। इसकी जरूरत भी है।
श्री राकेश दुबे वरिष्ठ पत्रकार एवं स्तंभकार हैं।        
संपर्क  9425022703        
rakeshdubeyrsa@gmail.com
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