नई दिल्ली। सर्जिकल स्ट्राइक पर छिड़ी बहस को शांत करने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने सभी मंत्रियों से इस बाबत होने वाली बयानबाजी के बीच न पड़ने की सख्त हिदायत दी है। बुधवार को कैबिनेट के सहयोगियों के साथ हुई एक अहम बैठक के दौरान पीएम ने यह निर्देश साफतौर पर अपने मंत्रियों को दिया है। इस संदेश में उन्होंने साफ कर दिया है कि सर्जिकल स्ट्राइक को लेकर कोई भी मंत्री बयानबाजी नहीं करेगा।
क्या थी 'सर्जिकल स्ट्राइक'
गौरतलब है कि बीते बुधवार (28 सितंबर) की रात भारत ने पीओके में मौजूद आतंकी शिविरों को खत्म करने के मकसद से वहां अपने जांबाज कमांडो की टीम भेजकर सर्जिकल स्ट्राइक को अंजाम दिया था। इसमें 48 आतंकवादी और 2 पाकिस्तानी सैनिक मारे गए थे जबकि आतंकवादियों के 7 शिविर तबाह कर दिए गए थे। उरी हमले के बाद बारामुला में सेना के मुख्यालय पर आतंकी हमले के बाद भारत द्वारा उठाया गया यह बड़ा कदम था। इन दोनोंं आतंकी हमलों में करीब 20 जवान शहीद हो गए थे।
क्यों शुरू हुआ विवाद
पाकिस्तान ने 'सर्जिकल स्ट्राइक' से इंकार करते हुए इसे झूठी खबर करार दिया था, लेकिन भारत के सभी राजनीतिक दल इस मामले में सरकार के साथ थे और प्रधानमंत्री के इस कदम की प्रशंसा कर रहे थे। इस बीच मोदी समर्थकों ने सोशल मीडिया पर अरविंद केजरीवाल और कांग्रेस की सरकारों को निशाना बनाते हुए राजनीति शुरू कर दी। इस बीच खबर आई कि भाजपा 'सर्जिकल स्ट्राइक' को यूपी में चुनाव का मुद्दा बनाएगी। बात बढ़ते बढ़ते मीडिया तक जा पहुंची और बयानबाजी शुरू हो गई। जब मोदी समर्थक दूसरे तमाम नेताओं को 'सर्जिकल स्ट्राइक' के नाम पर घेरने लगे तो दूसरे नेताओं ने भी 'सर्जिकल स्ट्राइक' की पॉलिटिक्स शुरू कर दी। अरविंद केजरीवाल सहित पी चिदंबरम और संजय निरूपम ने 'सर्जिकल स्ट्राइक' को फर्जी बताते हुए सबूत मांग लिए।