कभी सब्जियां बेचा करते थे, आज 800 करोड़ की काली कमाई का आरोप

एनसीपी नेता छगन भुजबल कभी उधार पैसे लेकर सब्जिया बेचा करते थे, आज उन पर 800 करोड़ रुपए का घोटाला करने का आरोप है। हम आपको बता रहें हैं उनके बचपन से लेकर अब तक की कहानी। 

पचास के दशक की बात है, जब एक युवा इंटर कॉलेज कॉम्पिटिशन में वन एक्ट प्ले करने स्टेज पर चढ़ता है और धांसू प्रफोर्मेंस देते हैं। उसके बाद वहीं युवा विजेता घोषित होता हैं और ये विजेता थे वीरमाता जीजाबाई टेक्नोलॉजिकल इंस्टीट्यूट कॉलेज, मटुंगा के छात्र छगन भुजबल और रनर-अप रहे अभिनेता अमजद खान। 

भुजबुल के नाम से मशहूर 69 वर्षीय एनसीपी नेता को प्रवर्तन निदेशालय(ईडी) द्वारा भ्रष्टाचार के आरोप में 14 मार्च को गिरफ्तार कर लिया गया। उन पर आरोप है कि 2004-14 तक कांग्रेस-एनसीपी की सरकार में पीडब्ल्यूडी मंत्री रहते हुए उन्होंने भ्रष्टाचार किया था। भुजबल और उनके भाई-बहन नासिक के बगवनपुरा की संकड़ी गलियों में बड़े हुए हैं। यहां उनका परिवार मुस्लिम परिवारों के साथ कंधा से कंधा मिलाकर रहता था। भुजबल के माता-पिता की मौत उस वक्त हो गई थी, जब वे दो साल के थे। 

एक इंटरव्यू में उन दिनों के बारे में भुजबल बताते हैं कि मुझे और मेरे भाई-बहनों को मेरी मां की चाची जानकीबाई ने पाला था, जिसे हम लोग दादी कहते थे। जानकीबाई के पति पुलिस विभाग में थे। ये दिन बहुत ही मुश्किल भरे थे। भुजबल ने बाद में अपने बचपन में नासिक में एक फैमिली समारोह को याद करते हुए बताते थे कि उन्होंने करी में पानी मिलाया था, क्योंकि उन्हें लग रहा था कि कहीं ये कम न पड़ जाए। 

हर सुबह छगन और उनके बड़े भाई मगन अंजिरवाड़ी से बायकुल्ला सब्जी मंडी पैदल जाते थे। वहां माली जाति (छगन भी इसी जाति से ताल्लुक रखते हैं) के लोग पैसे इकट्ठे करते थे और दोनों भाईयों की सब्जी खरीदने के लिए मदद करते थे। दोनों भाई और उनकी चाची मिलकर मझगांव के घर के बाहर सब्जी बेचा करते थे। उसके बाद भुजबल बायकुल्ला सब्जी मंडी में सब्जी बेचने के लिए 35 वर्गफीट की जगह पाने में कामयाब रहे। 

उनके बड़े भाई मगन की मौत 80 के दशक में हो गई और उसके बाद मगन के बेटे समीर उनके साथ आ गए। समीर अभी मनी लॉन्ड्रिंग मामले में न्यायिक हिरासत में हैं। ईडी ने भुजबल और उनके रिश्तेदारों के खिलाफ मामला दर्ज किया था। भुजबल पर नई दिल्ली में महाराष्ट्र सदन और मुंबई में कलिना सेंट्रल लाइब्रेरी बनाने के लिए ठेका अपने ही परिवार के सदस्यों को देने का आरोप है। छगन का साम्राज्य बांद्रा में खड़ी मुंबई एजुकेशन ट्रस्ट की विशाल इमारत भुजबल की बिजनस साम्राज्य की गवाही देती है। इस ट्रस्ट की शुरुआत 19989 में की गई थी, जहां बिजनस मैनेजमेंट, इंजीनियरिंग और फार्मेसी सहित कई कोर्स करवाए जाते हैं। यह ट्रस्ट नासिक में भुजबल नोलेज सिटी भी चलाता है, जिसके चार कॉलेज चलते हैं। 

कुछ साल बाद भुजबल ने नासिक और लोनावाला सहित कई अन्य जगह जमीन खरीद ली। भुजबल परिवार का घर नासिक स्थित भुजबल फार्म में है। इस घर को 2012-14 में दोबारा से तैयार किया गया था, जब भुजबल पीडब्ल्यूडी मंत्री थे। 

नासिक के एक मराठी अखबार से जुड़े पत्रकार का कहना है कि यह एक बड़ी इमारत है, जो कि पांच एकड़ में फैले भुजबल फार्म के बीच में है। इसमें स्वीमिंग पूल, टेनिस कोर्ट, लाइब्रेरी, होम थिएटर, और मिनी ऑडिटोरियम है। यह बंगला आयात किए गए फर्नीचर और महंगे आर्टवर्क के लिए जाना जाता है। यह दो साल में बनकर तैयार हुआ था। भुजबल परिवार यहां मई-जून2014 में शिफ्ट हुआ था। भुजबल फार्म में कुछ ही लोग जाते हैं और बंगले में एंट्री पाने वाले लोग तो बहुत ही कम हैं। नासिक-औरंगाबाद रोड़ पर 15 किलोमीटर दूर शिलापुर गांव में बायोमास पावर प्लांट आर्म्सस्ट्रोंग एनर्जी प्राइवेट लिमिटेड है। 

यह प्लांट भुजबल के बेटे पंकज और भतीजे समीर का है। प्लांट का नाम आर्म्सस्ट्रोंग भुजबल का ट्रांसलेशन है। साल 2009 में शुरू होने के बाद से यह प्लांट बंद पड़ा है। एक गार्ड इसके गेट पर बैठा रहता है और वह अंडर रिपेयरिंग का काम होने की बात कहता है। गार्ड किसी को भी अंदर नहीं जाने देता। 

नासिक जिला सहकारी बैंक के अधिकारियों का कहना है कि इस फर्म ने 11 करोड़ रुपए का लोन लिया था, जिसे चुकाया नहीं गया। बैंक के एक अधिकारी ने नाम नहीं प्रकाशित करने की शर्त पर बताया कि लोन का एक सिंगल रुपया भी वापस नहीं किया गया। भुजबल के रसूख की वजह से उनके खिलाफ कोई एक शब्द भी नहीं बोलता। फर्म ने 20 करोड़ रुपए के लोन के लिए दोबारा से एप्लाई किया था, लेकिन बैंक पहले ही घाटे में चल रहा है, ऐसे में बैंक ने सीधे ही लोन के आवेदन को खारिज कर दिया। 

एंटी करप्शन ब्यूरों में आम आदमी पार्टी की अंजली दमनिया द्वारा दर्ज कराई गई शिकायत के मुताबिक महाराष्ट्र सदन को तैयार करने का ठेका आर्म्सस्ट्रोंग और भुजबल की अन्य अन्य कंपनियों को दिया गया। आर्म्सस्ट्रोंग बायोगैस प्लांट पहले जय इलेक्ट्रॉनिक्स के नाम से जाना जाता था, जो कि पहले एक्ट्रेस अमिषा पटेल के पिता जय पटेल की कंपनी थी। यह कंपनी कैनरा बैंक के 11.75 करोड़ रुपए नहीं चुका पाई थी, जिसके बाद कुछ साल पहले आर्म्सस्ट्रोंग एनर्जी ने इसे खरीद लिया। 

भुजबल परिवार की नासिक में भुजबल नॉलेज सिटी के अलावा कुछ अन्य प्रॉपर्टी भी हैं जैसे, आर्म्सस्ट्रोंग वाटर प्यूरीफायर, चंद्राई बंगला, गणेश बंगला, आठ एकड़ में फेले खेत और अन्य। भुजबल का कुछ सालों में रियल एस्टेट का साम्राज्य मुबंई और नासिक तक बढ़ गया है। जून 2015 में महाराष्ट्र सदन स्कैम में उनके खिलाफ मामला दर्ज कराया जाने के बाद महाराष्ट्र एसीबी ने अच्वान गांव में उनकी प्रॉपर्टी पर छापा मारा था। 

मुटंगा में एक इंजीनियरिंग छात्र भुजबल ने शिवाजी पार्क में शिवसेना प्रमुख बाल ठाकरे की एक रैली अटैंड की थी, जहां वे सेना चीफ के भाषण से काफी प्रभावित हुए और उसके बाद शिवसेना ज्वाइन करने का फैसला किया। साल 1973 में ठाकरे ने उनकी बीएमसी पार्षद बनने में मदद की। उसके बाद वे दो बार मेयर भी रहे। 1985 में मझगांव से शिवसेना विधायक बने और दो बार जीते लेकिन बाद में शिवसेना में रहते हुए उन्हें चीजें कुछ अपने मुताबिक नहीं लग रही थी। जब 1991 में मंडल आंदोलन अपने चरम पर था तो यह कहते हुए कि पार्टी छोड़ दी की शिवसेना ओबीसी आरक्षण के खिलाफ है। 

उसके बाद उन्होंने अपने आपको बतौर ओबीसी नेता पेश किया लेकिन जो उन्हें जानते हैं उनका कहना है कि उनके पार्टी छोड़ने की मुख्य वजह थी कि वे महसूस कर रहे थे कि उन्हें साइडलाइन कर दिया गया है। 1990 के विधानसभा चुनाव में जब सेना और भाजपा के गठबंधन ने 85 सीटें जीती थीं तो उन्होंने सोचा था कि उन्हें विपक्ष नेता बनाया जाएगा, लेकिन ठाकरे ने मनोहर जोशी को विपक्ष का नेता बना दिया। शिव सेना छोड़ने के बाद भुजबल कांग्रेस ज्वाइन कर ली। उन्होंने 10 दिन नागपुर में गुजारे थे, उन्हें डर था कि कहीं शिवसेना उन पर हमला न कर दे। उसके बाद शरद पवार ने कांग्रेस छोड़कर एनसीपी का गठन कर लिया, जिसके बाद छगन जुड़ गए। 

उसी साल कांग्रेस-एसीपी गठबंधन की सरकार बनी और भुजबल को डिप्टी सीएम बनाया गया, इसके साथ ही उनके पास गृहमंत्रालय भी था। होम मिनिस्टर रहते हुए उन्होंने ऐसे कदम उठाए जिनके बारे में सोचा भी नहीं जा सकता। उन्होंने बाल ठाकरे को गिरफ्तार करने की अनुमति दी। ठाकरे पर शिवसेना के मुखपत्र सामना में भड़काऊ लेख लिखने का आरोप था। गिरफ्तारी के कुछ घंटों बाद ही ठाकरे को जमानत पर रिहा कर दिया गया। लेकिन तब तक ठाकरे परिवार ने भुजबल के खिलाफ जंग शुरू कर दी थी। 15 साल बाद दोनों परिवारों में रिश्ते सही हुए। साल 2003 में उनकी तेलगी स्कैम में कथित भूमिका के चलते उन्हें इस्तीफा देना पड़ा था लेकिन बाद में जांच एजेंसियों ने उन्हें क्लिनचिट दे दी थी। 

उस कार्यकाल के दौरान वे सरकार से बाहर ही रहे। लेकिन जब कांग्रेस-एनसीपी का गठबंधन दोबारा से सत्ता में आया ता उन्हें पीडब्ल्यूडी मंत्री बनाया गया। ईडी द्वारा अटैच की गई प्रॉपर्टी -ईडी ने नवी मुंबई में 97 हजार वर्गफीट में फैली 160 करोड़ रुपए कीमत की प्रॉपर्टी को अटैच कर लिया। यह भुजबल परिवार की प्रॉपर्टी थी, जो कि देविशा इंफ्रास्ट्रक्चर के नाम से थी। यह कंपनी नवी मुंबई में हैक्स वर्ल्ड हाउसिंग सोसाइटी के नाम से हाउसिंग प्रोजेक्ट चलाती है। -इसके साथ ही एजेंसी ने बांद्रा में हबीब महल और सांताक्रुज में ला पेटीट फ्लियूर के नाम से अटैच की हैं, जिनकी कीमत 250 करोड़ रुपए है। हबीब महल पंकज और समीर भुजबल की थी। दूसरी इमारत प्रवेश कंस्ट्रक्शन द्वारा बनाई गई थी। पंकज और समीर इस फर्म के 2007 से 2011 तक डायरेक्टर थे। -ईडी अभी मालेगांव में गिरनार सुगरकेन मील्स को अटैच करने की योजना बना रही है, जो कि भुजबल परिवार की है। 

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