
घोटाले की गंभीरता और संदिग्ध मौतों की बढ़ती सनसनी के बाद सुप्रीम कोर्ट ने देश की सबसे बड़ी जांच एजेंसी को छानबीन की जवाबदारी सौंपी थी। पांच महीने बीत गए लेकिन अब तक न तो कोई रैकेटियर सामने आया और न ही किसी की गिरफ्तारी हो पाई।
इस बीच सीबीआई ने एसटीएफ से मामले अपने हाथ में ले लिए, कुछ में एफआईआर बाकी है। स्थिति यह है कि पांच महीने का समय उसे अपनी टीम और दफ्तर को सेटल करने में ही लग गए। दो दिन पहले ही सीबीआई ने दूसरे भवन में कामकाज शुरू किया। इस बीच पूछताछ और साक्ष्यों की छानबीन ही चलती रही। पूर्व जांच एजेंसी एसटीएफ की लीक से हटकर जांच में कोई बड़ा खुलासा सामने नहीं आया है।
पुनर्विवेचना चल रही है, टेलीकाम कंपनियों से डिटेल मांगने, जेल में बंद आरोपियों से पूछताछ और केस से जुड़े दस्तावेजों के कलेक्शन से इतर प्रगति नहीं दिखती। इसलिए मामले से जुड़े और पीड़ितों को नाउम्मीदी घेरने लगी है।
इस मामले में पूर्व जांच एजेंसी एसटीएफ ने करीब 2700 आरोपी बनाए थे, जिनमें से लगभग 2200 की गिरफ्तारी की गई। अभी 396 आरोपी फरार बताए गए हैं। सीबीआई की ओर से इन भगोड़ों को दबोचने अथवा ऐसे छात्र और उनके परिजन जो निर्दोष होने के बावजूद जेल में हैं, उनकी रिहाई के लिए कोई कदम उठाया हो ऐसी गतिविधि सामने नहीं आई। घोटाले से जुड़े अहम सबूतों से छेड़छाड़ किए जाने के आरोपों पर भी समाधानकारक कार्रवाई नहीं हुई। उल्लेखनीय है कि व्हिसल ब्लोअर से लेकर पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह भी इस मुद्दे पर आरोप लगा चुके हैं।