मप्र में अध्यापकों की मांग ही गलत है

साथियो, हम सब में यह जिज्ञासा है की हमें समान वेतन और 6वां वेतन मान मिलेगा या नही? वास्तविकता यह है की आदेश अनुसार हमें 2007 से शिक्षक के सामान वेतन मान लागू किया गया है और सेवा की गणना की गयी है, और इसी आधार पर अगस्त 2013 में हमें प्राप्त वेतन और सामान वेतनमान लागू कर के अंतर निकाला गया है।

इसमें 8 वर्ष का अंतर भी निकाला गया है, जबकि 1 अप्रैल 2007 से अगस्त 2013 तक कुल 6 वर्ष ही होते है। यह 8 वर्ष का अंतर इस बात का मतलब है ,2007 के पहले के प्रत्येक 3 वर्ष के एक पूर्ण कालखण्ड के लिए 1 वेतन वृद्धि प्रदान की गयी है। ईस प्रकार 1998 वाले साथी को 8 वर्ष या वेतन वृद्धि हुए।

अब आप सभी के प्रश्न का जवाब:
हमे 1 अप्रैल 2007 से शिक्षक के समान वेतनमान (मध्यप्रदेश वेतन पुनरीक्षण नियम 2009 /छठवां वेतनमान ) प्रदान कर के गणना की गई है ,और जब 2017 में  वास्तविक वेतन निर्धारण किया जाएगा, और जब नया वेतन मान लागू होगा तब आप के वेतन निर्धारण पत्रक में 31 दिसम्बर 2015 का जो मूल वेतन होगा उस के आधार पर नए वेतनमान में वेतन निर्धारण किया जाएगा ,अर्थात 7वॉ वेतन मान भी मिलेगा।

वास्तविकता यह है की केंद्र में लागू होने वाले वेतनमान लागू होने के कुछ वर्षो बाद हाथ पे प्राप्त होता है जैसे सर्वप्रथम
केंद्र का चौथा वेतन मान प्रदेश में वेतन पुनरीक्षण नियम 1990 के नाम से 13 फरवरी 1990 को जारी हुआ ,और 1 जनवरी 1986 से लागू किया गया।
उसके बाद केंद्र का पाँचवा वेतनमान, प्रदेश में वेतन पुनरीक्षण नियम 1998 के नाम से 9 मार्च 1998 को जारी हुआ ,और 1 जनवरी 1996 से लागू किया गया।
और वर्तमान में लागू केंद्र का छठवा वेतनमान ,प्रदेश में वेतन पुनरीक्षण नियम 2009 के नाम से 28 फरवरी 2009 को जारी हुआ ,और 1 जनवरी 2006 से लागू किया गया।

हाँ अंतरिम राहत के फार्मूले में सहायक अध्यापक और वरिष्ठ अध्यापक की गणना में विसंगति है जिसमें सुधार करने के लिए फ़ाइल चल रही है, और जब भी सुधार हुआ, सहायक अध्यापक को अंतरिम राहत 1700, 1800, 2000 होगी और वरिष्ठ अध्यापक की अंतरिम राहत 1850, 2050, 2250 ,जिन लोगो ने भी RTI लगायी है। उन सभी को यह जानकारी है की अंतरिम राहत की इस विसंगति में सुधार होने वाला है और सुधार पर लाभ 1 सितम्बर 13 से ही मिलेगा और फ़ाइल वित्त मत्रालय मे लंबित है।और इस विसंगती का हल जब भी होगा 2013 से ही होगा।

साथियो वास्तविकता यह है की हम ने अंतरिम राहत वाले आदेश को समझा ही नहीं है, इसे ठीक से समझना आवश्यक है। क्योंकि हमारे साथी अंतरिम राहत को वेतन समझ बैठे है और हमारे मांगपत्र में भी यह मुद्दा सम्मिलित कर बैठे की हमें 6वां वेतन मान प्रदान किया जाए। जबकि मांगपत्र में यह मांग सम्मिलित किया जाना चाहिए की हमारे वेतन का निर्धारण 2017 के स्थान पर 2015 में प्रदान किया जाए। साथ ही हमें अपने मन से यह भ्रान्ति भी निकाल देनी चाहिए की जो अंतरिम राहत हमें प्रदान की जा रही है वह पूरी राशि मूल वेतन में जुड़ेगी। वास्तविकता यह है की अंतरिम राहत हमें समान वेतन मान की राह में एक कदम के समान है और समान वेतन मान और मिल रहे वेतन मान के अंतर को पूरा करने का प्रयास है।

यह सभी बाते अंतरिम राहत के आदेश में स्पष्ट लिखी हुई हैं, किसी भी भाई को इस संबंध में कोई भी आशंका या संशय है तो मेरे मोबाईल पर सम्पर्क कर सकता है।

सुरेश यादव
कार्यकारी जिलाध्यक्ष
राज्य अध्यापक संघ रतलाम
9926809650

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