तानाशाही लागू क्यों नहीं कर देते शिवराज: नए कानून पर वकीलों का विरोध

जबलपुर। तंग करने वाली मुकदमेबाजी विधेयक 2015 को विधानसभा में पेश करने की तैयारी का वकीलों ने तीखा विरोध किया है। मध्यप्रदेश हाईकोर्ट के वकीलों ने कहा है कि प्रदेश सरकार को यदि ऐसा ही कानून बनाना है तो संविधान को ही पूरी तरह खत्म कर दे और तानाशाही लागू कर दे। वकीलों का यह भी कहना है कि महाधिवक्ता अदालत से ऊपर नहीं हो सकते फिर उन्हें किसी भी याचिका को उचित या अनुचित ठहराने का अधिकार कैसे हो सकता है।

जिला बार ऐसोसिएशन के अध्यक्ष अशोक गुप्ता और हाईकोर्ट के वकील मनीष वर्मा ने बताया कि मध्यप्रदेश सरकार द्वारा 'तंग करने वाली मुकदमेबाजी विधेयक 2015' का मसौदा तो तैयार कर लिया गया है लेकिन इसकी खिलाफत भी शुरू हो गई है। मध्यप्रदेश हाईकोर्ट के वकीलों ने कहा है कि यह आम नागरिकों के अधिकारों का हनन होगा। सरकार जो भी काले पीले काम करेगी उसके खिलाफ याचिका दायर करने के लिए एजी इजाजत क्यों देगा ?

मप्र हाईकोर्ट के पूर्व अतिरिक्त महाधिवक्ता राजेंद्र तिवारी ने इस विधेयक की तैयारी को तानाशाही करार दिया है। उनका कहना है कि सरकार यदि ऐसा कानून बनाना चाहती है तो बेहतर होगा कि वह संविधान को खत्म कर दे और तानाशाही लागू कर दे।

अदालत का समय बचाने और फिजूल की याचिकाएं दायर होने के नाम पर इस विधेयक को लाने की तैयारी जरूर की जा रही है लेकिन जिस तरह का वकीलों में गुस्सा है उससे लगता है कि इस कानून को भी अदालत में चुनौती दी जा सकती है।

क्या है मप्र तंग करने वाली मुकदमेबाजी (निवारण) विधेयक 2015
विधि विभाग द्वारा तैयार नए कानून मप्र तंग करने वाली मुकदमेबाजी (निवारण) विधेयक 2015 के अनुसार मुख्यमंत्री और मंत्रियों सहित अन्य प्रभावशाली लोगों के खिलाफ कोर्ट में सीधे याचिका या मुकदमा दायर नहीं किया जा सकेगा। इससे पहले महाधिवक्ता की एनओसी और फिर कोर्ट की अनुमति जरूरी होगी। यदि महाधिवक्ता इसे परेशान करने या तंग करने की भावना से प्रेरित ठहराते हैं तो याचिका नहीं लग सकेगी।
यदि उसने पहले से केस दायर कर रखा है तो उसे वह तत्काल वापस ले।
ऐसे केस हाईकोर्ट में हाईकोर्ट की अनुमति और राज्य के अन्य जिला और सेशन जज की अनुमति के बगैर दायर नहीं हो सकेंगे।
न्यायालय प्रक्रिया का दुरूपयोग होने की आशंका जब तक कोर्ट या जज द्वारा दूर नहीं कर ली जाती, केस दायर करने की अनुमति नहीं मिलेगी।

अपील का भी अधिकार नहीं
प्रस्तावित नए कानून मसौदे के अनुसार हाईकोर्ट द्वारा संबंधित याचिका या मुकदमे को तंग या परेशान करने वाला मानने के बाद निरस्त किए जाने पर इस मामले की सुनवाई या अपील कहीं नहीं की जा सकेगी। यह हाईकोर्ट का अंतिम फैसला माना जाएगा। न्यायालय में मामला दायर करने के लिए पक्षकार को यह साबित करना अनिवार्य होगा कि उसने यह प्रकरण तंग या परेशान करने की भावना से नहीं लगाया है। वहीं उसके पास इस मामले से संबंधित पुख्ता दस्तावेज मौजूद हैं।


भोपाल समाचार से जुड़िए
कृपया गूगल न्यूज़ पर फॉलो करें यहां क्लिक करें
टेलीग्राम चैनल सब्सक्राइब करने के लिए यहां क्लिक करें
व्हाट्सएप ग्रुप ज्वाइन करने के लिए  यहां क्लिक करें
X-ट्विटर पर फॉलो करने के लिए यहां क्लिक करें
फेसबुक पर फॉलो करने के लिए यहां क्लिक करें
समाचार भेजें editorbhopalsamachar@gmail.com
जिलों में ब्यूरो/संवाददाता के लिए व्हाट्सएप करें 91652 24289

#buttons=(Ok, Go it!) #days=(20)

Our website uses cookies to enhance your experience. Check Now
Ok, Go it!