भोपाल, 20 दिसंबर 2025: सीहोर जिले के गांव में VIT BHOPAL के नाम से संचालित प्राइवेट यूनिवर्सिटी ने सरकारी नोटिस के जवाब में दावा किया था कि, वह अपने हॉस्टल में रहने वाले स्टूडेंट्स को बेस्ट क्वालिटी का खाना देते हैं लेकिन खाद्य एवं औषधि प्रशासन की जांच रिपोर्ट में खाद्य पदार्थों में कीटनाशक और इंसेक्टिसाइड के अवशेष पाए गए हैं। लैब रिपोर्ट यह प्रमाणित करती है कि स्टूडेंट्स द्वारा विरोध प्रदर्शन करने के बाद भी उनको घटिया खाना दिया जा रहा था।
राजमा, उड़द दाल, तुअर दाल, आटा, मैदा और चावल सब कुछ घटिया
यहां उल्लेख करना जरूरी है कि VIT BHOPAL कांड के पहले नहीं बल्कि बाद में, खाद्य एवं औषधि प्रशासन के अधिकारी कैंपस में पहुंचे और 5 कैटर्स द्वारा बनाए गए भोजन के 32 सैंपल लिए। इनमें से 18 सैंपल लीगल कैटेगरी के थे, जबकि 14 सैंपल सर्विलांस के तहत लिए गए। रिपोर्ट में कई खाद्य पदार्थ जैसे राजमा, उड़द दाल, तुअर दाल, आटा, मैदा और चावल अनसेफ या फेल श्रेणी में पाए गए। लैब रिपोर्ट में कीटनाशक और इंसेक्टिसाइड के अवशेष पाए गए, जिससे इन सैंपलों को फेल/अनसेफ और सब स्टैंडर्ड घोषित किया गया। कुल 12 सैंपल अनसेफ पाए गए। विशेषज्ञों के अनुसार, घटिया भोजन खाने से छात्रों को फूड प्वाइजनिंग, दस्त, उल्टी, पेट दर्द, बुखार, आंतों का संक्रमण, टायफाइड और लिवर संबंधी समस्याएं हो सकती हैं।
सैंपल्स कैटर्स के फेल हुए हैं लेकिन जिम्मेदार यूनिवर्सिटी है
जांच में यह भी सामने आया कि 5 कैटर्स में से 4 (जेएमबी कैटरर्स, रेसेंस प्रा. लि., ए.बी. कैटरिंग, सफल सिनर्जी) के सैंपल फेल हो गए। यहां लोड करना जरूरी है कि सैंपल भले ही कैटर्स के फेल हो गए हैं लेकिन इसके लिए जिम्मेदार यूनिवर्सिटी मैनेजमेंट है, क्योंकि कैटर्स का चुनाव यूनिवर्सिटी मैनेजमेंट ने किया था। स्टूडेंट को अपने खाने की जांच करवाने और अपने लिए बेस्ट क्वालिटी का फूड सेलेक्ट करने का कोई ऑप्शन नहीं था। स्टूडेंट की मजबूरी थी, जो दिया जाता है वही खाना पड़ता था। इस मामले में सरकार केवल कैटर्स के खिलाफ कार्रवाई की तैयारी कर रही है जबकि कैटर्स का चुनाव करने वाले और शिकायत मिलने के बाद भी कार्रवाई नहीं करने वाले यूनिवर्सिटी मैनेजमेंट के खिलाफ कोई कार्रवाई की तैयारी नहीं है।
उच्च शिक्षा मंत्री ने मामला शांत करने विधानसभा में जवाब दिया था?
मध्य प्रदेश सरकार के उच्च शिक्षा मंत्री श्री इंदर सिंह परमार ने विधानसभा की शीतकालीन सत्र में (वेल्लोर इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी यूनिवर्सिटी के बारे में विधायकों द्वारा सवाल उठाए जाने पर कहा था कि हमने नोटिस दिया है और जवाब का इंतजार कर रहे हैं। जवाब आने की बात कठोर कार्रवाई की जाएगी। जवाब आ गया और जांच रिपोर्ट भी आ गई लेकिन उच्च शिक्षा मंत्री ने अब तक कोई कार्रवाई नहीं की। सवाल तो बनता है कि क्या मामले को शांत करने के लिए नोटिस दिया गया था। उच्च शिक्षा मंत्री को पता था कि 7 दिन से पहले विधानसभा का सत्र समाप्त हो जाएगा।
जिन विधायकों ने सवाल उठाए वह चुप क्यों हो गए?
यहां पब्लिक का ध्यान इस बात पर भी जाना चाहिए कि जिन विधायकों ने विधानसभा के अंदर जोर-जोर से सवाल उठाए थे और यूनिवर्सिटी के मामले में कुछ नहीं खुलासे भी किए थे, वह सभी अब इस मामले में चुप हो गए हैं। सवाल तो बनता है कि क्या उच्च शिक्षा मंत्री और सभी विधायक संतुष्ट हो गए हैं?
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