40 वर्ष से अधिक का पॉलिटिकल एक्सपीरियंस लिए भारतीय जनता पार्टी के वरिष्ठ नेता श्री प्रहलाद सिंह पटेल केंद्र और राज्य दोनों सरकारों में कैबिनेट मंत्री रह चुके हैं। श्री पटेल मध्य प्रदेश का मुख्यमंत्री बनने के लिए दिल्ली से भोपाल आए थे लेकिन अब जबकि मुख्यमंत्री नहीं बन पाए हैं तो केंद्र की राजनीति में वापस जाना चाहते हैं। विधायक रहते हुए केंद्रीय कैबिनेट में जगह मिलना मुश्किल है, जबकि भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष का पद रिक्त है और ऐसे ही किसी नेता का इंतजार कर रहा है।
पुस्तक विमोचन के बहाने टॉप टू बॉटम, सबसे मुलाकात कर चुके हैं
आपको याद होगा पिछले दिनों नर्मदा परिक्रमा पर आधारित एक पुस्तक का विमोचन के बहाने और 108 पवित्र नदियों के उद्गम का जल वितरित करने के बहाने टॉप टू बॉटम सबसे मुलाकात कर चुके हैं। विमोचन के बाद पुस्तक कोई खास लोकप्रिय नहीं हो पाई है लेकिन पुस्तक विमोचन के कार्यक्रम में भारत के सबसे बड़े पावरफुल नेता डॉ मोहन भागवत उपस्थित थे। इंदौर के मंच से बहुत क्लियर मैसेज दिया गया कि RSS, श्री प्रहलाद सिंह पटेल के साथ है। श्री पटेल ने पुस्तक विमोचन के आमंत्रण पत्र जैसे वितरित किया वैसे तो इस स्तर के नेता अपनी बिटिया की शादी का निमंत्रण नहीं बांट पाते। छोटा हो या बड़ा सबके घर गए, न केवल आमंत्रण दिया बल्कि अपनी सोशल मीडिया पर शेयर करके सबको बताया भी। ताकि ज्योति से ज्योति जलती रहे। इस बहाने जो नेगेटिव थे, उनको भी न्यूट्रल कर दिया।
Eligibility Criteria: क्या प्रहलाद पटेल भाजपा राष्ट्रीय अध्यक्ष पद की योग्यता रखते हैं
भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष पद हेतु संगठन की लिखित संवैधानिक योग्यता के अतिरिक्त सबसे बड़ी जरूरत होती है कि:-
- दावेदार एक वरिष्ठ नेता होना चाहिए।
- संगठन आत्मक क्षमता अच्छी होनी चाहिए।
- चुनावी राजनीति की समझ होना चाहिए।
- राष्ट्रीय राजनीति की समझ होना चाहिए।
- विनम्र होना चाहिए
- सॉफ्ट हिंदूवादी होना चाहिए।
- चुनाव में पार्टी को जातिवाद का लाभ दिलाने की क्षमता रखने वाला होना चाहिए।
- चरित्र पर कोई दाग नहीं होना चाहिए।
- और सबसे बड़ी बात, दावेदार के पास RSS की NOC होना चाहिए।
फिर प्रॉब्लम क्या है, अब तक घोषणा क्यों नहीं हुई
श्री प्रहलाद सिंह पटेल के पास उपरोक्त सभी योग्यताएं हैं। एक धार्मिक व्यक्ति है लेकिन कट्टरवादी नहीं है। RSS ने स्वयं उनके मंच पर आकर उनका समर्थन कर दिया है। केवल एक प्रॉब्लम है। श्री प्रहलाद सिंह पटेल को सोशल मीडिया एडिक्शन है। भारत में करोड़ों लोग हर रोज पूजा करते हैं, जब कहीं यात्रा पर निकलते हैं और रास्ते में कोई नदी मिलती है तो प्रणाम भी करते हैं, लेकिन सिर्फ श्री प्रहलाद सिंह पटेल ऐसे हैं जो सोशल मीडिया पर हर रोज "नमामि देवी नर्मदे" फोटो वीडियो अपलोड करते हैं।
कई बार तो कन्फ्यूजन हो जाता है, नर्मदा की प्रति भक्ति की प्रभावना बढ़ाने के लिए फोटो वीडियो अपलोड करते हैं या फिर REEL बनाने के लिए हर रोज नर्मदा किनारे जाते हैं। या फिर कोई टोटका है। लोग नर्मदा नदी को देखकर प्रणाम करेंगे तो उनके पुण्य का एक हिस्सा प्रहलाद पटेल को मिल जाएगा। एक और नेताजी है जो लगातार कई सालों तक ऐसा करते रहे। नतीजा शक्तिशाली होने के बाद भी चुनाव हार गए। श्री प्रहलाद पटेल के मामले में इतना तो पक्का है कि, नर्मदा पर सवार होकर राजनीति की लंबी यात्रा पूरी करना चाहते हैं। सोशल मीडिया की लत का शिकार व्यक्ति भाजपा का राष्ट्रीय अध्यक्ष नहीं हो सकता। यह सबसे बड़ी प्रॉब्लम है।
दूसरी बड़ी समस्या यह है कि, प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी को कॉपी करते हैं। जैसे प्रधानमंत्री का SOLO होता है बिल्कुल वैसे ही SOLO करते हैं। राजनीति में जब कोई निकटतम व्यक्ति खुद को अपने नेता के समान बताने लग जाए तो उसको फॉलोअर नहीं बल्कि कंपीटीटर माना जाता है। ✒ उपदेश अवस्थी।
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