भोपाल, 03 नवम्बर 2025: एनबीबीडीसीपी कार्यक्रम के अंतर्गत सोमवार को जिला मलेरिया कार्यालय में आशाओं का जापानी बुखार के संबंध में उन्मुखीकरण रखा गया। प्रशिक्षण में जापानी बुखार के प्रारंभिक लक्षण, निदान, उपचार और रिपोर्टिंग के विषय में विस्तृत चर्चा की गई। यह जानकारी आम नागरिकों के लिए बेहद उपयोगी है। आखिर बच्चे तो अपने ही हैं।
यह बीमारी 0-14 वर्ष तक के बच्चों में अधिक होती है
जिला मलेरिया अधिकारी श्रीमती स्मृति नामदेव ने डेंगू, मलेरिया और जापानी बुखार के लक्षणों, मच्छरों के प्रकार और अलग-अलग बीमारियों के लिए जिम्मेदार मच्छरों के प्रकार के बारे में बताया। उन्होंने कहा कि यह बीमारी 0-14 वर्ष तक के बच्चों में अधिक होती है और इससे बचाव के लिए मच्छरों के काटने से बचना चाहिए। उन्होंने पूरी आस्तीन के कपड़े पहनने, मच्छरदानी में सोने, कॉइल और मच्छर भगाने की क्रीम का उपयोग करने और नीम की पत्ती का धुआं करने की सलाह दी। साथ ही घर के आसपास मच्छरों और जलभराव वाले स्थलों को नहीं पनपने देने के लिए भी कहा।
जापानी बुखार का वायरस सूअरों में पाया जाता है
व्हीबीडी सलाहकार श्रीमती रुचि सिलाकारी ने सूअर पालन के स्थानों पर विशेष निगरानी रखने के लिए कहा, क्योंकि जेई बीमारी का वायरस प्रमुख रूप से सूअरों में पाया जाता है। वीडियो के माध्यम से मच्छरों के जीवन चक्र और आशाओं के दायित्वों के बारे में बताया गया। मुख्य चिकित्सा स्वास्थ्य अधिकारी कार्यालय से एपिडेमियोलॉजिस्ट डॉक्टर कामिनी मेहरा ने रिपोर्टिंग और जेई केस पाए जाने पर की जाने वाली प्रतिबंधात्मक कार्यवाही के विषय पर प्रकाश डाला।
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