भोपाल, 20 नवंबर 2025: मध्यप्रदेश हाईकोर्ट ने भोपाल शहर में पेड़ों की कटाई और ट्रांसप्लांटेशन पर पूरी तरह रोक लगा दी है। चीफ जस्टिस संजीव सचदेवा और जस्टिस विनय सराफ की डिवीजन बेंच ने गुरुवार को इस मामले में सख्त तेवर दिखाए और स्वतः संज्ञान लेते हुए तत्काल प्रभाव से सभी तरह की कटाई पर बैन लगा दिया।
दैनिक भास्कर की खबर पर हाई कोर्ट का suo motu cognizance
दरअसल दैनिक भास्कर में 17 नवंबर को छपी एक खबर के बाद कोर्ट ने स्वतः संज्ञान लिया कि भोपाल में एक प्रोजेक्ट के लिए अभी 488 पेड़ काटने बाकी हैं जबकि रेलवे के दूसरे प्रोजेक्ट में पहले ही 8000 से ज्यादा पेड़ कट चुके हैं। कोर्ट ने इसे गंभीर पर्यावरणीय खतरा माना और फौरन रोक के आदेश दिए। हस्तक्षेपकर्ता एडवोकेट हरप्रीत सिंह गुप्ता ने कोर्ट को बताया कि ट्रांसप्लांटेशन के नाम पर पेड़ों की बड़ी-बड़ी शाखाएं काटकर उन्हें खत्म किया जा रहा है। कोर्ट के पिछले ऑर्डर के बावजूद कटाई जारी है और जिस तरह पेड़ों को ट्रांसपोर्ट किया जा रहा है उसमें उनके सर्वाइव करने की कोई गुंजाइश नहीं बचती। सबसे चौंकाने वाली बात यह सामने आई कि मध्यप्रदेश में पेड़ों के ट्रांसप्लांटेशन की कोई ऑफिशियल पॉलिसी ही नहीं है फिर भी विभागों ने शिफ्टिंग के नाम पर बड़ी संख्या में कटाई की परमिशन दे दी।
कोर्ट ने साफ कहा कि बिना शाखाओं वाला तना कहीं और गाड़ देना ट्रांसप्लांटेशन नहीं बल्कि सीधी कटाई है और यह स्वीकार नहीं किया जाएगा।
अदालत ने गहरी नाराजगी जताते हुए विधानसभा सचिवालय के प्रिंसिपल सेक्रेटरी और फॉरेस्ट डिपार्टमेंट के प्रिंसिपल चीफ कंजरवेटर ऑफ फॉरेस्ट को पर्सनल नोटिस जारी किया है। दोनों अधिकारियों को 26 नवंबर की अगली सुनवाई में खुद कोर्ट में हाजिर होने को कहा गया है। साथ ही अब तक ट्रांसप्लांट किए गए सभी पेड़ों की तस्वीरें भी पेश करने के निर्देश दिए गए हैं। कोर्ट ने साफ कर दिया कि अब फाइलों से काम नहीं चलेगा बल्कि अधिकारी खुद सामने आकर जवाब देंगे।
पर्यावरण प्रेमियों के लिए यह बड़ी राहत की खबर है कि हाईकोर्ट ने भोपाल के ग्रीन कवर को बचाने के लिए इतना सख्त स्टैंड लिया है। अब सभी की निगाहें 26 नवंबर की सुनवाई पर टिकी हैं।
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