Medical Representative (मेडिकल कंपनियों के सेल्स प्रतिनिधि) कंपनी के कर्मचारी नहीं होते और उन्हें ऐसे किसी भी लाभ या सुरक्षा का अधिकार नहीं होता है, जो एक कंपनी के कर्मचारियों को मिलना चाहिए। यह जजमेंट दिल्ली हाई कोर्ट की विद्वान जस्टिस तारा वितस्ता गंजू ने दिया।
औद्योगिक विवाद अधिनियम, 1947 - Industrial Disputes Act
औद्योगिक विवाद अधिनियम 1947 की धारा 2s के तहत उसे व्यक्ति को किसी भी उद्योग का कर्मचारी माना जाता है जो उद्योग में शारीरिक, कुशल अथवा अकुशल, टेक्निकल, ऑपरेशनल, क्लर्कल अथवा सुपरवाइजरी का काम करता है। सेल्स एंड मार्केटिंग इसके अंतर्गत नहीं आते हैं।
हाई कोर्ट ने कहा: इस प्रकार, यह स्पष्ट रूप से देखा जा सकता है कि याचिकाकर्ता लिपिकीय या निम्नस्तरीय कार्य करने वाला व्यक्ति नहीं है, बल्कि विशेषज्ञता प्राप्त ग्रेजुएट है और उसने अपने कार्यक्षेत्र में विशिष्ट प्रशिक्षण भी प्राप्त किया। इस प्रकार, इसमें कोई संदेह नहीं है कि याचिकाकर्ता द्वारा किया जा रहा कार्य विशिष्ट कौशल का है, जो उसे प्रतिवादी कंपनी द्वारा दिए गए प्रशिक्षण के बाद प्राप्त हुआ।
Sh. Samarendra Das v. M/S Win Medicare Pvt. Ltd.
हाई कोर्ट के समक्ष विन मेडिकेयर प्राइवेट लिमिटेड में काम करने वाले मेडिकल रिप्रेजेंटेटिव द्वारा दायर की गई याचिका की सुनवाई कर रहा था। श्रम न्यायालय ने आदेश दिया था कि, वह मेडिकल सेल्स प्रतिनिधि है और एच. आर. अद्यतया एवं अन्य बनाम सैंडोज़ (इंडिया) लिमिटेड एवं अन्य (1994) में सुप्रीम कोर्ट के निर्णय के आलोक में उसे श्रमिक के रूप में वर्गीकृत नहीं किया जा सकता।
दिल्ली हाई कोर्ट ने श्रम न्यायालय के आदेश का समर्थन किया और मेडिकल रिप्रेजेंटेटिव की याचिका को खारिज कर दिया।
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