Madhya Pradesh: भीम आर्मी के कारण गांव बंट गया, जाटव समाज का बहिष्कार हो गया?

भिंड जिले के दो गांव सुरपुरा और अर्जद्धपुरा सुर्खियों में है। बात बड़ी नहीं थी लेकिन अब बड़ी बन गई है। जिस गांव में जाटव समाज को ब्राह्मण और क्षत्रिय समाज का संरक्षण प्राप्त था, उसी गांव में समस्त सवर्ण समाज ने जाटव समाज का बहिष्कार कर दिया है। प्रख्यात पत्रकार श्री पवन दीक्षित ने इस मामले में ग्राउंड रिपोर्ट की है। उनकी रिपोर्ट का निष्कर्ष है कि भीम आर्मी के कारण गांव का सामाजिक ताना-बाना टूट गया।

मारपीट के मामले को सनसनी बना दिया

पत्रकार श्री पवन दीक्षित ने सभी पक्षों के लोगों से बातचीत की। मामले की शुरुआत एक सामान्य मारपीट की घटना से हुई थी। पीड़ित युवक, सोनू बरुआ के यहां ड्राइवर का काम करता है। किसी बात को लेकर दोनों के बीच विवाद हो गया और सोनू ने अपने पुराने ड्राइवर के साथ मारपीट कर दी। गांव में इस प्रकार के आपसी झगड़े पहले भी होते रहे हैं लेकिन आपस में सुलझ भी जाते थे, लेकिन इस बार ऐसा नहीं हुआ। ड्राइवर ने पुलिस थाने पहुंचकर न केवल मारपीट का मामला दर्ज करवा दिया बल्कि बंधक बनाने और पेशाब पिलाने का आरोप भी लगा दिया। इसी बात को लेकर गांव में तनाव हो गया। ग्रामीणों का कहना है कि, यदि मारपीट हुई है तो केवल मारपीट का मामला दर्ज करवाना चाहिए था। 

पत्रकार श्री पवन दीक्षित की रिपोर्ट के अनुसार जब से गांव में भीम आर्मी सक्रिय हुई है तब से सामाजिक ताना-बाना बदल गया है। 20 तारीख को घटना होने के बाद 21 अक्टूबर को मंत्री राकेश शुक्ला ने खुद पीड़ित युवक से मुलाकात की थी लेकिन उनके जाते ही भीम आर्मी और आजाद समाज पार्टी के लोग पहुंच गए। 

युवक ना तो गंभीर रूप से घायल है और ना ही कोई गवाह है या वीडियो है। पुलिस भी बंधक बनाने और पेशाब पिलाने की घटना की पुष्टि नहीं कर रही है लेकिन नेताओं ने मामले को बड़ा बना दिया। 22 अक्टूबर को कांग्रेस पार्टी के नेता और भंडार के विधायक फूल सिंह बरैया पहुंच गए। 

इन गतिविधियों के जवाब में 22 अक्टूबर को ब्राह्मण समाज, क्षत्रिय समाज और करणी सेना की तरफ से पुलिस को ज्ञापन दिया गया। ज्ञापन में स्पष्ट किया गया है कि बिना किसी पॉलिटिकल इन्फ्लुएंस के निष्पक्ष जांच करें। यदि पुलिस ने जांच में पक्षपात किया तो करणी सेना ऐतिहासिक प्रदर्शन करेगी। 

23 अक्टूबर को जाटव छोड़कर से सभी समाज के लोगों ने पुलिस थाने के सामने करीब 2 घंटे तक प्रदर्शन किया। फिर महापंचायत का आयोजन किया गया। सामाजिक बैठक में फैसला लिया गया कि जब तक झूठी शिकायत वापस नहीं ली जाती तब तक जाटव समाज के साथ दूध और पानी का संबंध बंद रहेगा। 

जब भीम आर्मी के लोकल नेताओं पर दबाव बन गया तो 24 अक्टूबर को चंद्रशेखर ने वीडियो कॉल करके पीड़ित परिवार से बात की। दूसरी तरफ 27 अक्टूबर को ग्वालियर हाईकोर्ट के एडवोकेट श्री अनिल मिश्रा भी भिंड गए। उन्होंने एडिशनल एसपी से मुलाकात की और एक बार फिर स्पष्ट किया कि यदि जांच में किसी भी प्रकार की गड़बड़ी हुई तो सभी जिम्मेदार अधिकारियों को कोर्ट में जवाब देना होगा। श्री अनिल मिश्रा के भिंड पहुंचने की सूचना के बाद 27 अक्टूबर को ही भीम आर्मी के प्रदेश अध्यक्ष भी पहुंचे और बयान जारी किया। 

कलेक्टर कंट्रोल नहीं कर पा रहे 

श्री पवन दीक्षित की रिपोर्ट का एक निष्कर्ष यह भी निकलता है कि भिंड में कानून और व्यवस्था की स्थिति को खतरा उपस्थित हो गया है लेकिन कलेक्टर कंट्रोल नहीं कर पा रहे हैं। यदि किसी जिले में सामाजिक तनाव की स्थिति बन रही है तो इसके लिए सीधे तौर पर कलेक्टर जिम्मेदार होते हैं। 
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