MPPSC की परीक्षा सिर्फ ऋषभ अवस्थी ने नहीं बल्कि पूरे परिवार ने दी थी, पढ़ने के लिए कितना लड़ना पड़ा

Bhopal Samachar
मध्य प्रदेश लोक सेवा आयोग इंदौर द्वारा आयोजित राज्य सेवा परीक्षा 2024 का रिजल्ट आ गया है। ऋषभ अवस्थी टॉपर्स की लिस्ट में दूसरे नंबर पर है। नाम पढ़कर लगता है कि ब्राह्मण लड़का है, सभी सुविधाएं और बढ़िया कोचिंग मिली होगी। लेकिन अब जमाना बदल गया है। ऋषभ अवस्थी के पास ऐसा कुछ भी नहीं था। वह एक होमगार्ड सैनिक का बेटा है। यह परीक्षा केवल उसने अकेले नहीं बल्कि उसके पूरे परिवार ने दी थी। जिसमें उसके पिता के अलावा मां और बहनें भी शामिल है। 

घर चलना मुश्किल था फिर भी बच्चों को पढ़ाया

मध्य प्रदेश में होमगार्ड सैनिक को, इंदौर के सफाई कर्मचारी से भी काम तनख्वाह मिलती है, नौकरी भी परमानेंट नहीं है। रमेश अवस्थी मध्य प्रदेश के सागर में रहते हैं। उम्र 65 वर्ष हो गई है। जब होमगार्ड में भर्ती हुए थे, तब तो ना के बराबर वेतन मिलता था। ऐसी स्थिति में चार बेटियों और एक बेटे से भरा पूरा परिवार चलाना कितना मुश्किल होता है, यह केवल वही जान सकता है, जो इस स्थिति से गुजर रहा हो। ऋषभ पढ़ने में अच्छा था, इसलिए रमेश अवस्थी ने उसका एडमिशन इंग्लिश मीडियम में करवाया। फिर हायर एजुकेशन के लिए इंदौर भेज दिया। यहां पर ऋषभ ने BA-MA के बाद MPPSC की तैयारी शुरू की। 

पिता ने मजदूरी और बहनों ने नौकरी करके फीस भरी

ऋषभ का खर्चा कम नहीं था और रमेश अवस्थी की पेंशन से दाल रोटी मुश्किल थी। इसलिए रिटायर होने के बाद रमेश अवस्थी ने बटाई पर खेत लेकर मजदूरी करना शुरू किया। इधर ऋषभ की दोनों बड़ी बहनों ने प्राइवेट स्कूल में नौकरी करके ऋषभ का खर्चा निकाला। 

आरक्षण से लड़ने के लिए इतना पढ़ा कि मेरिट लिस्ट में सेकंड पोजीशन पर आ गया

ऋषभ को पता था कि केवल पढ़ाई से काम नहीं चलेगा। आरक्षण की खाई को पार करने के लिए ऊंची छलांग लगानी पड़ेगी। उसे यह भी मालूम था कि कोई सरकारी योजना उसकी मदद नहीं करेगी, और उसके पास दूसरा चांस नहीं है। इसलिए उसने कड़ी मेहनत की, और जब रिजल्ट आया तो स्वास्थ्य परिवार का संघर्ष आज पूरे देश की हेडलाइंस में है। 

ऋषभ अवस्थी की कहानी दर्शाती है कि, आरक्षित जातियों के लिए अनलिमिटेड सरकारी सुविधाओं के कारण अनारक्षित जातियों की स्थिति कितनी खराब हो गई है। इसके बाद भी वह झंडा उठाकर हड़ताल नहीं करते, वोट बैंक बनकर पॉलिटिकल पार्टियों पर दबाव नहीं बनाते बल्कि संघर्ष कर रहे हैं, और आरक्षण एवं फ्री की सरकारी कोचिंग के बिना ही सफलता के शिखर तक पहुंच रहे हैं। रिपोर्ट: दिनेश सोनी, सागर; न्यूज़ एडिटर: जगदीश अवस्थी
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