MP OBC आरक्षण: कांग्रेस प्रदेशाध्यक्ष जीतू पटवारी vs मंत्री कृष्णा गौर vs अधिवक्ता रामेश्वर सिंह, विरोधी बयान पढ़िए

Bhopal Samachar
ओबीसी आरक्षण अब बहस का मुद्दा बनता जा रहा है। एक तरफ सामान्य वर्ग के बेरोजगार युवाओं ने भोपाल में मीटिंग बुलाई है और दूसरी तरफ पिछड़ा वर्ग की महिला मंत्री श्रीमती कृष्णा गौर ने ओबीसी आरक्षण के नाम पर कांग्रेस पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष जीतू पटवारी पर जवाबी हमला किया तो हाई कोर्ट और सुप्रीम कोर्ट में ओबीसी आरक्षण के लिए पर भी पैरवी करने वाले अधिवक्ता श्री रामेश्वर सिंह ठाकुर ने अपनी दलील प्रस्तुत कर दी है। 

मुख्यमंत्री जी, आपकी सरकार ने मुझे बेहद निराश किया है: जीतू पटवारी

दिल्ली के मध्य प्रदेश भवन में ओबीसी आरक्षण से जुड़े वकीलों की मीटिंग के दौरान MPPSC और MPESB कि वह ओबीसी उम्मीदवार भी पहुंच गए जिनके नियुक्ति पत्र 13% HOLD के कारण रुके हुए हैं। बैठक में 13% HOLD को लेकर कोई विचार विमर्श नहीं हुआ तो जो पार्टी मीटिंग में सीएम डॉक्टर मोहन यादव के फैसले को समर्थन देने वाले कांग्रेस पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष जीतू पटवारी ने मुख्यमंत्री के नाम खुला-खत लिख डाला। यहां क्लिक करके पढ़ सकते हैं। इसमें जीतू पटवारी ने लिखा है कि आपकी सरकार ने मुझे बेहद निराश कर दिया है। 

कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष को मंत्री कृष्णा गौर का जवाब

कांग्रेस पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष जीतू पटवारी को जवाब देते हुए मध्य प्रदेश सरकार में पिछड़ा वर्ग की महिला मंत्री श्रीमती कृष्णा गौर ने X पर जारी अपने बयान में लिखा कि, 
मुझे बहुत दुख भी है और आश्चर्य भी है कि OBC आरक्षण जैसे महत्वपूर्ण विषय पर कॉंग्रेस किस प्रकार से OBC वर्ग की भावनाओं के साथ खेल रही है……
विपक्ष का यह तर्क कि उच्च न्यायालय ने 13% आरक्षण को होल्ड करने के लिए नहीं कहा था, पूरी तरह से गलत है क्योंकि उच्च न्यायालय ने इसी शर्त पर हमें आगे नियुक्ति करने की अनुमति दी की 13% आरक्षण को होल्ड किया जाएगा। अन्यथा उच्च न्यायालय हमारे प्रत्येक विज्ञापन पर स्थगन दे रहा था और बाद में रोस्टर को ही स्थगित कर दिया। यही बात एडवोकेट जनरल ने अपने सामूहिक चर्चा में विपक्ष के अभिभाषकों को बताया। एडवोकेट जनरल की बैठक में विपक्ष के अभिभाषकों ने इस बात पर सहमति जताई कि वे दो अभिभाषकों का नाम सुप्रीम कोर्ट में लड़ने के लिए देंगे जो मिलकर सुप्रीम कोर्ट में 27 प्रतिशत आरक्षण देने और 13% सूची को अनहोल्ड करने के विषय पर मजबूती के साथ राज्य सरकार का पक्ष रखेंगे। यह भी उस बैठक में तय हुआ कि विपक्ष के अभिभाषक एक नोट देंगे कि 13% आरक्षण को अनहोल्ड करने के लिए क्या किया जा सकता है। ऐसा ना करते हुए कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष के द्वारा मान मुख्यमंत्री जी की मंशा पर सवाल उठाने से ऐसा लग रहा है कि कांग्रेस को केवल राजनीति करनी है। उन्हें ओबीसी के हितों की कोई चिंता नहीं है। हम अभी भी अपनी बात पर अडिग हैं कि हम दोनों विषय पर मान सर्वोच्च न्यायालय में अपना पक्ष मजबूती से रखकर निर्णय अपने पक्ष में लेंगे- एक, 27 प्रतिशत आरक्षण ओबीसी का हो और दूसरा, जो 13% सूची होल्ड कर कर रखी गई है उसे अनहोल्ड करने की अनुमति दी जाए। माननीय मुख्यमंत्री जी का प्रयास यह था कि यदि सभी दल मिलकर सर्वोच्च न्यायालय के समक्ष बात रखेंगे तो न्यायालय को यह संदेश जाएगा कि सभी राजनीतिक दल इस मुद्दे पर एक है और यह जनता की मांग है, परंतु कांग्रेस के द्वारा ऐसा ना करते हुए बातों को उलझाया जा रहा है जिससे उनकी मंशा स्पष्ट है कि वह ओबीसी के 27 प्रतिशत आरक्षण के हक में नहीं है और वह नहीं चाहते हैं कि सर्वोच्च न्यायालय में दमदारी से प्रकरण को लड़ा जाए। राज्य सरकार ओबीसी के 27% आरक्षण के लिए प्रतिबद्ध है। हम पुनः दोहराते हैं कि कांग्रेस और सभी विपक्षी दल जो अभिभाषक कहेंगे हम अपने एडवोकेट जनरल के साथ उनका भी साथ लेकर सर्वोच्च न्यायालय में अपनी बात मजबूती के साथ रखने के लिए तैयार है। 

मंत्री कृष्णा गौर के बयान पर अधिवक्ता रामेश्वर सिंह ठाकुर की प्रतिक्रिया 

श्रीमति कृष्णा गौर का यह कथन ओबीसी को गुमराह करने करने का प्रयास न करे,प्रदेश का ओबीसी वर्ग सरकार की मंशा जान चुकी है, की कानून पर स्टे नहीं है फिर भी सरकार महाधिवक्ता के आगे वेवस होकर न तों 13% अनहोल्ड कर रही है औऱ न ही 27% आरक्षण लागू करने की कोई रण नीति बना रही है! सुप्रीम कोर्ट मे दो अधिवक्ताओ को नियुक्त करने से समस्या का हल नहीं होगा, मौजूदा सरकारी वक़ील तुषार मेहता एवं के.एम. नटराज,तथा म्हधिवक्ता प्रशांत सिंह ने सुप्रीम कोर्ट के समक्ष दिनांक 25/7/25 के दिन हुई सुनवाई मे जब सुप्रीम कोर्ट याचिका के अंतिम निर्णयधीन 27% लागू करने तथा होल्ड पदों को अनहोल्ड करने जा रही थी तों श्री मेहता ने कहा था my lord I have strong objection एवं दिनांक 04/8/25 की सुनवाई मे सरकार द्वारा याचिका http://no.TP (C) 7 of 2025 में दाखिल IA पर वहस ही नहीं की गई ! मध्य प्रदेश सरकार जब तक पिछड़े वर्ग के योग्य व्यक्ति को महाधिवक्ता नियुक्त नहीं करती है, तब तक ओबीसी आरक्षण का रास्ता साफ नहीं होगा, किसी भी राजनीतिक दल ने ओबीसी के 27 परसेंट आरक्षण का विरोध ना तो सर्व दलीय बैठक में किया है और ना ही किसी न्यायालय में, आज मध्य प्रदेश का संपूर्ण ओबीसी वर्ग का युवा सरकार और महाधिवक्ता के मंतव्य को जान रहा है इसलिए माननीय मंत्री महोदय से करबद्ध निवेदन है कि कृपया ओबीसी वर्ग को गुमराह करने का प्रयास न करें! मैं स्वयं सरकार की ओर से स्पेशल काउंसिल के रूप में ओबीसी आरक्षण के प्रकरण में अधिवक्ता रहा हूँ, हमारा यह अनुभव रहा है कि महाधिवक्ता महोदय,शासन एवं प्रसाशन ने कोई सहयोग नहीं किया और ना ही प्रकरणों को निराकरण करने हेतु कोई पहल की, जब प्रकरण अंतिम निराकरण के लिए सूचीबद्ध हुई तो उसके पहले मध्य प्रदेश सरकार के माननीय महानी वक्त द्वारा समस्त प्रकरण सुप्रीम कोर्ट में ट्रांसफर कर दिए गए और ट्रांसफर करने के बाद आज दिनांक तक उन्होंने उपरोक्त प्रकरणों में सुनवाई करवाने वास्ते कोई पहल नहीं की आज प्रकरणों की सुनवाई नीयत हुई है तो वह ओबीसी वर्ग के अधिवक्ताओं के प्रयास से संभव हो पाई है सरकार एवं माननीय महाधिवक्ता नहीं चाहतें के सुप्रीम कोर्ट से भी इन प्रकरणों का शीघ्र निराकरण हो आज दिनांक तक सरकार की ओर से सुप्रीम कोर्ट में ओबीसी वर्ग द्वारा दाखिल  में जवाब तक दाखिल नहीं किया गया है, इसलिए माननीय मंत्री महोदय को सर्वप्रथम अपने सिस्टम को एनालिसिस करने की जरूरत है ना कि किसी अन्य पार्टियों को कोसने की।
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