अंशुल मित्तल, ग्वालियर। नगर निगम के पूर्व कमिश्नर अमन वैष्णव और वित्त अपरायुक्त रजनी शुक्ला के खिलाफ एक लिखित शिकायत, भोपाल मंत्रालय सहित अन्य संबंधित विभागों में पहुंची है। शिकायत में आरोप है कि पूर्व कमिश्नर, जीएडी के जिम्मेदार और एड. कमिश्नर रजनी शुक्ला ने भ्रष्टाचार करते हुए, अयोग्य उम्मीदवार को निगम में सेनेटरी इंस्पेक्टर के पद पर पदस्थ किया और अपना भ्रष्टाचार छुपाने के लिए उसी कर्मचारी को बलि का बकरा बनाते हुए, उससे त्यागपत्र पर हस्ताक्षर करवा लिए। अब मुख्यमंत्री, नगरीय प्रशासन मंत्री, मुख्य सचिव और प्रमुख सचिव सहित तमाम इंनफोर्समेंट एजेंसियों तक मामले की लिखित शिकायत पहुंचाई गई है।
डिप्लोमा डिग्री से खुली भ्रष्टाचार की पोल
शासन ने स्वच्छता सर्वेक्षण के कामों में तेजी लाने के लिए नगरीय निकायों में स्वच्छता इंस्पेक्टर के पद की भर्ती निकाली थी। भर्ती प्रक्रिया के नियमों और शर्तों के अनुसार, इस पद के लिए आवेदन करने वाले अभ्यर्थी के पास, वर्ष 2021-22 या उससे पहले, एलएसजीडी डिप्लोमा सहित अन्य शैक्षणिक और तकनीकी योग्यताओं के सर्टिफिकेट होना चाहिए थे। शिकायत है कि निगम के तत्कालीन कमिश्नर अमन वैष्णव ने 3 सितंबर 2024 को एक नियुक्ति आदेश जारी कर, जबलपुर निवासी अदिति सिंह को, ग्वालियर निगम में स्वच्छता निरीक्षक के पद पर नियुक्त किया। अदिति सिंह ने एलएसजीडी की परीक्षा वर्ष 2021-22 में नहीं बल्कि 2023 में उत्तीर्ण की है। तत्कालीन निगम आयुक्त अमन वैष्णव ने भ्रष्टाचार के चलते इस तथ्य को अनदेखा किया और अदिति सिंह को स्वच्छता निरीक्षक के पद पर नियुक्त कर दिया। यहां अदिति सिंह का मूल विभाग सामान्य प्रशासन शाखा रखा गया।
अपर आयुक्त वित्त, ने आंखें बंद कर, जाहिर की मिलीभगत!
किसी भी कर्मचारी का पहला वेतन निकालने से पहले, उस कर्मचारी की मूल फाइल अपर आयुक्त, वित्त के समक्ष पेश की जाती है। अपर आयुक्त (वित्त) की जिम्मेदारी होती है कि कर्मचारी की फाइल में संलग्न दस्तावेजों का परीक्षण करें और कमी पाए जाने पर कमिश्नर को अवगत कराते हुए कार्रवाई करें। लेकिन अदिति सिंह के मामले में, भ्रष्टाचार की फाइल सामने होते हुए भी, अपर आयुक्त रजनी शुक्ला ने आंखें बंद कर रखीं और 11 महीनों तक, अदिति सिंह का वेतन निकाला जाता रहा। अदिति सिंह ने अब तक 3.5 लाख रुपए वेतन आहरण किया है।
अब अदिति सिंह स्वयं दे रहीं त्यागपत्र, आखिर किसका है दबाव ?
नगर निगम के चर्चित मामलों से साफ है कि यहां रिश्वत के लिए साफ सुथरे मामलों में भी कमी निकाल दी जाती है और रिश्वत मिलने पर सब नियम, कायदे, कानून ताक पर रख दिए जाते हैं! अदिति सिंह के मामले की बात करें तो तत्कालीन कमिश्नर, अपर कमिश्नर और सामान्य प्रशासन विभाग के अफसरों की नजरों से इनके कागज कहां बचे होंगे ? इन सब की नजरों से, फाइल गुजरी और अदिति सिंह की नियुक्ति हो गई, इसका मतलब चढ़ावे का चमत्कार बखूबी चला होगा!
सूत्र बताते हैं कि यहां तकरीबन 5 लाख रुपए का प्रसाद चढ़ाने के बाद यह नियुक्ति की गई थी! मुख्यमंत्री तक पहुंचाई गई शिकायत में लिखा है कि तत्कालीन कमिश्नर और अन्य अधिकारियों के दबाव में आकर अदिति सिंह ने 28 अगस्त 2025 को अपना त्यागपत्र निगम के सामान्य प्रशासन विभाग में प्रस्तुत किया है। हालांकि खबर यह भी है कि कमिश्नर संघ प्रिय ने अदिति सिंह के त्यागपत्र को फिलहाल अस्वीकार करते हुए, मामले की पड़ताल शुरू कर दी है।
फर्जी आईडी घोटाले में हो सकती है बड़ी कार्रवाई
गौरतलब है कि निगम की ही पड़ताल में यह सामने आया था कि टीसी तरुण कुशवाहा और संविदाकर्मी, एपीटीओ महेंद्र शर्मा के कंसोल से फर्जी आईडी बनाई गईं और भूमाफियाओं को लाभ दिया गया। इसके बाद निगम कमिश्नर ने तरुण कुशवाह को निलंबित कर दिया था और एपीटीओ महेंद्र शर्मा को 20 दिन पहले, यानी 27 अगस्त को, कारण बताओ नोटिस जारी किया था। खबर है कि इस मामले में भी एक लिखित शिकायत भोपाल तक पहुंची है, जिसके बाद कई बड़े खुलास हो सकते हैं और निगम के कई बड़े नाम, कार्रवाई की जद में आ सकते हैं।