भगवान श्री गणेश, विघ्नहर्ता है, रिद्धि सिद्धि के स्वामी और शुभ लाभ के पिता है। हर कोई चाहता है कि श्री गणेश की कृपा जीवन भर उसके ऊपर बनी रहे। भारतीय संस्कृति की पूजा परंपरा में यह प्रार्थना की जाती है कि श्री गणेश हमारे घर में सदा के लिए निवास करें तो फिर श्री गणेश उत्सव के संपन्न होने पर, डोल ग्यारस अथवा अनंत चतुर्दशी के दिन भगवान श्री गणेश की प्रतिमा का विसर्जन क्यों कर देते हैं। इस आर्टिकल में हम इस प्रश्न का उत्तर देते हुए एक MYTHOLOGICAL STORY बताएंगे जिसके कारण यह परंपरा शुरू हुई:-
भगवान श्री गणेश की प्रतिमा विसर्जन से संबंधित पौराणिक कथा
महर्षि वेदव्यास ने जब महाभारत की रचना प्रारंभ की तो भगवान श्री हरि विष्णु ने ने उन्हें प्रथम पूज्य बुद्धि निधान श्री गणेश जी की सहायता लेने के लिए कहा। तय हुआ कि महर्षि वेदव्यास श्लोक का वाचन करेंगे और भगवान श्री गणेश उनका लेखन करेंगे। जिस दिन श्री गणेश जी, वेदव्यास जी के पास पहुंचे उस दिन चतुर्थी तिथि थी। तो वेदव्यास जी ने गणेश जी का आदर सत्कार करके उन्हें आसन पर स्थापित कर विराजमान कराया। स्वागत सत्कार किया और भोजन कराया। भगवान श्री गणेश के जन्म के बाद यह पहला अवसर था जब किसी ने भगवान श्री गणेश को आसन पर स्थापित किया। इसलिए इस अवसर को "श्री गणेश चतुर्थी" नाम दिया गया। तभी से भाद्रपद मास की शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि को श्री गणेश चतुर्थी के रूप में मनाया जाता है और भारत की सनातन धर्म परंपरा को मानने वाले, महर्षि वेदव्यास की तरह भगवान श्री गणेश की प्रतिमा को अपने घर पर विराजमान करते हैं।
इसके बाद वेदव्यास जी ने महाभारत के श्लोक बोलना शुरू किया और गणेश जी ने उसे लिपिबद्ध करना शुरू किया। यह सिलसिला लगातार 10 दिन तक नॉन-स्टॉप चलता रहा और अनंत चतुर्दशी के दिन इसका समापन हुआ। कथा में बताया गया है कि भगवान श्री कृष्णा की लीलाओं और गीता का समापन करते हुए गणेश जी को अष्टसात्विक भाव यानी 08 प्रकार के भाव का आवेग हो गया। जिससे उनका पूरा शरीर गर्म हो गया था, इसके बाद गणेश जी की इस तपन को शांत करने के लिए वेदव्यास जी ने उनके शरीर पर गीली मिट्टी का लेप किया। इसके बाद फिर उन्होंने गणेश जी को जलाशय में स्नान करवाया। स्नान के बाद बाद गणेश जी की तपन शांत हुई और भगवान श्री गणेश अपने धाम को गए।
इसलिए अनंत चतुर्दशी के दिन भगवान श्री गणेश की प्रतिमा को जलाशय में स्नान करवाया जाता है और फिर भगवान श्री गणेश अपने धाम को चले जाते हैं। इस प्रकार प्रतीक स्वरूप प्रतिमा का विसर्जन कर दिया जाता है, लेकिन प्रार्थना की जाती है कि, सूक्ष्म रूप में भगवान श्री गणेश सदैव हमारे घर में स्थापित रहें। यही कारण है कि भारत में अन्य-अन्य इष्ट देवताओं की पूजा करने वालों के यहां भगवान श्री गणेश की प्रतिमा हमेशा होती है। इस विषय में सभी संप्रदाय एकमत हैं।
यदि इस प्रसंग के विषय में आपके पास भी कोई जानकारी है जो प्रकाशित नहीं हो पाई है तो कृपया नीचे कमेंट बॉक्स में दर्ज कीजिए। इस कहानी को सोशल मीडिया पर शेयर कीजिए और यदि आपके पास भी ऐसी कोई कहानी है तो हमें ईमेल अथवा व्हाट्सएप कीजिए। एड्रेस एवं नंबर नीचे दिया गया है।