किसी भी अपराध में मोटिव का होना बहुत जरूरी होता है। यदि मोटिव नहीं होता तो वह अपराध नहीं माना जाता है। यदि कोई दो व्यक्ति किसी एक कार्य को करने के लिए सहमत होते हैं। उनमें से किसी का भी उद्देश्य, अपराध करना नहीं है लेकिन फिर भी कोई ऐसी घटना हो जाए जो अपराध की श्रेणी में आती है, कोई Serious injury हो जाए, या दोनों में से किसी एक की मृत्यु हो जाए, तो क्या कानूनी कार्रवाई होगी। इस प्रकार का Acceptance, valid हैं या Illegal आज के Article में हम इसी सवाल का Answer Research की कोशिश करते हैं:-
Bharatiya Nyaya Sanhita, 2023 की धारा 25 की परिभाषा
दो वयस्क व्यक्ति (Adult man) द्वारा बिना Criminal intent से आपस में ऐसे कार्य करने की स्वीकृति (Acceptance) की जाए जिसमे एक- दूसरे को कोई Serious क्षति न हो, एवं न ही उस कार्य में मृत्यु करने का कोई intent हो। ऐसी Acceptance के बाद अगर उनमें से किसी व्यक्ति के करण कोई serious offence सावधानीपूर्वक कार्य करते हुए हो जाए, तब उस व्यक्ति को BNS की धारा 25 के अंतर्गत rescue (बचाव) मिल सकता है।
नोट:- प्रायः कुश्ती, मुक्केबाजी, मुक्केबाजी, कुश्ती ETC जैसे खेलों तथा जोखिमों भरे व्यायामों आदि के दौरान Physical क्षति के लिए BNS की धारा 25 के अंतर्गत बचाव लिया जाता है।
Important Judgement: - Harpal Singh vs State of Himachal Pradesh-
उपर्युक्त मामले में Supreme Court ने अभिनिर्धारित किया कि ज्यादातर यौन-अपराधों के मामलों में पीड़िता की स्वीकृति आरोपी के लिए एक बचाव सिद्ध होता हैं, एवं इसी स्वीकृति के आधार पर न्यायालय से आरोपी को भारतीय दण्ड संहिता धारा-87 (अब वर्तमान मे BNS की धारा 25) के अंर्तगत दोषमुक्त कर दिया जाता है लेकिन कोई स्त्री जो अठारह वर्ष से कम आयु की है तब उसकी सहमति का कोई मतलब नहीं होता है, आरोपी को अपराध (दोष) से मुक्त होने का, उसे उसी धारा के अंतर्गत दोषी माना जाएगा जो उसने अपराध किया है।
✍️लेखक: बी.आर. अहिरवार (पत्रकार एवं विधिक सलाहकार, होशंगाबाद)। Notice: this is the copyright protected post. do not try to copy of this article. डिस्क्लेमर - यह जानकारी केवल शिक्षा और जागरूकता के लिए है। कृपया किसी भी प्रकार की कानूनी कार्रवाई से पहले बार एसोसिएशन द्वारा अधिकृत अधिवक्ता से संपर्क करें।