India में किसी भी Type का Crime होने पर Police द्वारा case दर्ज किया जाता है। Investigation Officer अपनी Capacity और Ability के Base पर Inquiry करता है एवं Criminal के Against Evidence एकत्रित करता है। कई बार उसकी कोशिश fail हो जाती है। उसके द्वारा Court में प्रस्तुत किए गए Proof कमजोर prove होते हैं लेकिन Witnesses के बयान अथवा अन्य कारणों से यह प्रमाणित हो जाता है कि अपराध हुआ है एवं Criminal द्वारा ही किया गया है तब ऐसी Situation में Court क्या Decision लेगा। क्या Evidence के अभाव में आरोपी को दोषमुक्त (Acquitted) कर दिया जाएगा अथवा कोई और रास्ता भी है।
Bharatiya Nyaya Sanhita, 2023 की धारा 10 की परिभाषा
अगर Police के charge sheet या किसी अन्य Proofs द्वारा यह prove हो गया है कि accused ने किसी Crime को अंजाम दिया है, लेकिन Court Evidence (साक्ष्यों) या Proofs के Base पर चलता है। Court को लगता है कि Blame के Proofs के कुछ Doubt लग रहा है यह Correct भी हो सकते हैं या Wrong। तब Court अपने Final Verdict की Hearing में accused को बाइज्जत बरी नहीं करेगा बल्कि उसे उन Crimes जो उस पर लगाये गए हैं उसकी सबसे Lesser punishment वाले Crime से punished करेगा। 
अर्थात- चोरी के अपराध BNS की 303(2) में accused को arrested किया गया था और Proofs में Court को Doubt लगता है तब Court बिना अनुमति गृह अतिचार करने में BNS की धारा 329(4) से punished करे accused को न कि उसे छोड़ देगा। ✍️लेखक: बी.आर. अहिरवार (पत्रकार एवं विधिक सलाहकार, होशंगाबाद)। Notice: this is the copyright protected post. do not try to copy of this article. डिस्क्लेमर - यह जानकारी केवल शिक्षा और जागरूकता के लिए है। कृपया किसी भी प्रकार की कानूनी कार्रवाई से पहले बार एसोसिएशन द्वारा अधिकृत अधिवक्ता से संपर्क करें।
