BHOPAL SAMACHAR: स्मार्ट मीटर लगवाने वाले 2430 लोगों पर बिजली चोरी का आरोप, ढाई करोड़ की वसूली

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मध्य प्रदेश मध्य क्षेत्र विद्युत वितरण कंपनी द्वारा भोपाल सहित उसके अधिकार क्षेत्र में आने वाले 16 जिलों में स्मार्ट मीटर लगाए जा रहे हैं। म.प्र. शासन, ऊर्जा विभाग के नोडल अधिकारी ने बताया कि स्मार्ट मीटर लगाते समय जो पुराने बिजली मीटर निकले जा रहे हैं। उनकी टेक्निकल टेस्टिंग की जा रही है। इस दौरान 2430 बिजली मीटर में तकनीकी गड़बड़ी पाई गई। आरोपी उपभोक्‍ताओं पर 4 करोड़ 92 लाख की बिलिंग की गई, इसमें से 2 करोड़ 45 लाख की वसूली हो चुकी है। 

गड़बड़ी कंपनी की टेस्टिंग लैब में पकड़ी गई

नोडल अधिकारी ने बताया कि, मध्‍य क्षेत्र विद्युत वितरण कंपनी ने अब तक 3 लाख 35 हजार से अधिक स्मार्ट मीटर पूरे कंपनी कार्यक्षेत्र में स्‍थापित कर दिये हैं। स्‍मार्ट मीटर की स्‍थापना के दौरान पुराने मीटरों को बदलकर नये स्‍मार्ट मीटर स्‍थापित किये गये हैं। यहॉं चौकाने वाले तथ्‍य ये सामने आये हैं कि जो पुराने मीटर उपभोक्‍ताओं के परिसर से निकाले गये हैं ऐसे 2 हजार 430 मीटरों में तकनीकी खराबी कर रेजिस्‍टेंस या अन्‍य छेड़छाड़ की गड़बड़ी पकड़ी गई है। ये गड़बड़ी कंपनी की एनएबीएल मान्‍यता प्राप्‍त मीटर टेस्टिंग लैब में पकड़ी गई है। इन गड़बड़ी वाले आरोपी उपभोक्‍ताओं पर कंपनी द्वारा 4 करोड़ 92 लाख से अधिक की बिलिंग की गई है और इसमें से 1 हजार 439 मामलों में उपभोक्‍ताओं द्वारा मीटर में गड़बड़ी की बात स्‍वीकार कर 2 करोड़ 45 लाख से अधिक की राशि कंपनी के खाते में जमा कराई है।

यहां इस बात को नोट करना जरूरी है की गड़बड़ी कंपनी की टेस्टिंग लैब में पकड़ी गई, जहां पर कोई निष्पक्ष थर्ड पार्टी नहीं थी। ढाई हजार में से 1000 मामले विवादित हो गए हैं। कंपनी के तमाम दबाव, पुलिस, जेल, कानूनी कार्रवाई और बदनामी की धमकी के बावजूद 1000 लोग कंपनी की टेस्टिंग लैब के रिजल्ट करने के लिए तैयार नहीं है। इस प्रकार की कार्रवाई को निष्पक्ष कार्रवाई की श्रेणी में नहीं रखा जा सकता है। यह कहना मुश्किल है कि जिन डेढ़ हजार लोगों ने ढाई करोड रुपए जमा करवाया है। उनमें से सभी लोग बिजली चोरी कर रहे थे या फिर बिजली कंपनी के दबाव में आकर, मांगे गए पैसा जमा करके परेशानी से पिंड छुड़ाया है। 

यदि परिसर में लगे हुए मीटर में चोरी हो रही थी, और उसे पकड़ नहीं गया तो यह बिजली कंपनी की गड़बड़ी और गलती है। इसके लिए बिजली कंपनी को अपने अधिकारी और कर्मचारियों के खिलाफ दंडात्मक कार्रवाई करनी चाहिए। बंद कमरे में की गई टेस्टिंग को मान्यता नहीं दी जा सकती। 
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