भोपाल। हाई कोर्ट आफ मध्य प्रदेश के विद्वान न्यायमूर्ति श्री मणीन्द्र सिंह भट्टी की एकल पीठ ने मध्य प्रदेश के 70000 अतिथि शिक्षकों को 15 अगस्त स्वतंत्रता दिवस से पहले बड़ी आजादी दी है। इस आदेश का फायदा उन सभी अतिथि शिक्षकों को मिलेगा जो प्राथमिक शिक्षक चयन परीक्षा 2025 में शामिल होना चाहते हैं।
अतिथि शिक्षकों को DPI BHOPAL के तंग करने वाले नियम से आजादी
लोक शिक्षण संचालनालय ने अतिथि शिक्षकों को, प्राथमिक शिक्षक चयन परीक्षा 2025 में शामिल होने के लिए आवेदन के साथ अनुभव प्रमाण पत्र अपलोड करने के लिए बाध्य कर दिया था। मध्य प्रदेश के उच्च न्यायालय ने आज इसी विषय को लेकर एक ऐतिहासिक फैसला सुनाया है। अदालत ने आदेश दिया कि पात्र अतिथि शिक्षक अब आवेदन पत्र में बिना अनुभव प्रमाण पत्र अपलोड किए भी आवेदन कर सकते हैं। यह निर्णय पूरे मध्य प्रदेश के हजारों गेस्ट टीचर्स के लिए बड़ी राहत लेकर आया है, जो वर्षों तक सेवा देने के बावजूद तकनीकी अड़चनों के कारण आवेदन से वंचित हो रहे थे।
पृष्ठभूमि: पुरानी भर्ती प्रक्रिया बनाम नई अनिवार्यता
वर्ष 2018 और 2023 की उच्च माध्यमिक तथा प्राथमिक शिक्षक भर्ती प्रक्रियाओं में 200 दिवस और 3 सत्रों के अनुभव प्रमाण पत्र को दस्तावेज़ सत्यापन (काउंसलिंग) के समय प्रस्तुत करना होता था। लेकिन 2025 की माध्यमिक एवं प्राथमिक शिक्षक चयन परीक्षा के लिए स्कूल शिक्षा विभाग के आदेश पर मध्यप्रदेश कर्मचारी चयन मंडल (ESB) ने नया प्रावधान लागू किया, जिसके तहत आवेदन के समय ही अनुभव प्रमाण पत्र अपलोड करना अनिवार्य कर दिया गया।इस अचानक हुए बदलाव के कारण कई जिलों में प्राचार्य और संबंधित अधिकारी समय पर प्रमाण पत्र जारी नहीं कर पाए। परिणामस्वरूप, बड़ी संख्या में योग्य गेस्ट टीचर्स आवेदन नहीं कर सके।
याचिकाकर्ताओं का पक्ष
सिवनी निवासी सपना सोनी, सुनीता कटरे, कृष्णकांत शर्मा और अन्य याचिकाकर्ताओं की ओर से अधिवक्ता धीरज तिवारी ने अदालत में दलील दी:
1. रूल बुक की धारा 12(6) के अनुसार पात्रता और शैक्षणिक योग्यता से जुड़े दस्तावेज़ दस्तावेज़ सत्यापन के समय प्रस्तुत किए जा सकते हैं।
2. मध्यप्रदेश स्कूल एजुकेशन सर्विसेज (टीचिंग कैडर) सर्विस कंडीशंस एंड रिक्रूटमेंट रूल्स, 2018 में कहीं भी यह प्रावधान नहीं है कि अनुभव प्रमाण पत्र आवेदन के समय ही अपलोड करना अनिवार्य है।
3. पूर्व की भर्तियों की तरह, उम्मीदवारों को दस्तावेज़ सत्यापन के समय प्रमाण पत्र जमा करने की अनुमति दी जानी चाहिए।
4. नया नियम मनमाना और भेदभावपूर्ण है, जिससे संविधान के अनुच्छेद 14, 15 और 16 के तहत गारंटीकृत समानता के अधिकार का उल्लंघन होता है।
5. ESB का यह कदम पात्र उम्मीदवारों को बिना किसी गलती के आवेदन से बाहर कर रहा है, जो प्राकृतिक न्याय के सिद्धांतों के विपरीत है।
अतिथि शिक्षक अनुभव प्रमाण पत्र मामले में हाई कोर्ट का फैसला
माननीय न्यायमूर्ति मणीन्द्र सिंह भट्टी ने याचिकाकर्ताओं की दलीलों को स्वीकार करते हुए आदेश दिया:-
भर्ती प्रक्रिया याचिका के अंतिम निर्णय के अधीन रहेगी।
पात्र अतिथि शिक्षक आवेदन पत्र में बिना अनुभव प्रमाण पत्र अपलोड किए आवेदन कर सकेंगे।
अनुभव प्रमाण पत्र दस्तावेज़ सत्यापन (काउंसलिंग) के समय प्रस्तुत करना होगा, जैसा कि पूर्व की भर्तियों में होता आया है।