रेलवे की ज्यादातर भ्रष्टाचार जनता नहीं समझती। भ्रष्टाचार के कारण होने वाले हादसों को भगवान की मर्जी मान लेती है परंतु जो समझते हैं उन्हें आवाज उठाना चाहिए। आज मध्य प्रदेश के जबलपुर में 4 साल का मासूम बच्चा रेलवे के भ्रष्टाचार का शिकार हो गया। रेलवे की बेरहमी देखिए, स्टेशन मास्टर ने बच्चों को तड़पता छोड़, अपने पूरे स्टाफ को इस ड्यूटी पर लगा दिया कि जितने भी लोगों ने घटना का वीडियो बनाया है, उनके वीडियो डिलीट करवाएं।
जबलपुर स्टेशन के प्लेटफार्म नंबर 6 की घटना
पत्रकार प्राची मिश्रा की रिपोर्ट के अनुसार जबलपुर रेलवे स्टेशन के प्लेटफार्म नंबर 6 पर बने एस्केलेटर में (जिसमें एप्पल का सबसे स्लिम आईफोन भी नहीं फंस सकता) 4 साल के मासूम वारिस बंसल का पूरा पैर फंस गया। मासूम अपनी मां माला बंसल के साथ मैहर के अमरपाटन गांव से शहडोल जा रहा था। हादसे के बाद बच्चा करीब 45 मिनट तक दर्द से तड़पता रहा। स्टेशन मास्टर और रेलवे के स्टाफ ने सहायता के लिए कोई कदम नहीं उठाया। मौके पर मौजूद यात्रियों और वेंडरों ने उसकी मदद की।
रेलवे के अधिकारियों ने वीडियो डिलीट क्यों करवाए
लगभग 45 मिनट बाद आरपीएफ मौके पर पहुंची और बच्चे को निजी अस्पताल में भर्ती कराया। हालांकि, इस दौरान रेलवे प्रशासन और आरपीएफ की संवेदनहीनता सामने आई। रेलवे के अधिकारियों ने घायल बच्चे की तरफ कोई ध्यान नहीं दिया बल्कि घटनास्थल पर मौजूद लोगों द्वारा बनाए गए वीडियो को डिलीट करवाने में अपनी पूरी ताकत लगा दी। ताकि भ्रष्टाचार के सबूत नष्ट हो जाएं। वीडियो वायरल नहीं होगा तो स्वतंत्र और निष्पक्ष मीडिया से लड़ना आसान हो जाएगा। हालांकि यदि कोई एजेंसी तत्काल एक्शन लेना चाहे तो यात्रियों के मोबाइल फोन से डिलीट किए गए वीडियो रिकवर किए जा सकते हैं। स्टेशन के सीसीटीवी कैमरे इस बात की गवाही देंगे कि, स्टेशन पर यात्रियों के मोबाइल से वीडियो डिलीट करवाए गए थे। यात्री जांच एजेंसी की मदद करने के लिए तैयार है।
यह तो हादसा है भ्रष्टाचार कहां है?
एस्केलेटर में इस बात की गारंटी होती है कि, बाल संवारने वाली कंघी और पॉकेट में रखा विजिटिंग कार्ड भी नहीं फंस सकता है। ऐसी स्थिति में बच्चे का पूरा पर फंस गया। इसका मतलब हुआ कि एस्केलेटर घटिया है। रेलवे कभी घटिया समान नहीं खरीदता। इसका मतलब हुआ कि किसी अधिकारी ने रिश्वत लेकर घटिया सामान को बढ़िया बात कर जबलपुर रेलवे स्टेशन के प्लेटफार्म नंबर 6 पर लगवा दिया है। यह तो एक नमूना है। पूरे जबलपुर रेलवे स्टेशन पर भ्रष्टाचार के कारण पता नहीं कितने घटिया सामान लगे हुए हैं। जांच तो होनी चाहिए।
बच्चे की मां माला बंसल का बयान
मासूम वारिस बंसल का एक निजी अस्पताल में इलाज चल रहा है। बच्चे की मां माला बंसल ने इस हादसे पर दुख और रेलवे प्रशासन की लापरवाही पर गुस्सा जाहिर किया है। उन्होंने कहा कि मेरा बच्चा 45 मिनट तक दर्द में तड़पता रहा। रेलवे प्रशासन और आरपीएफ ने समय पर मदद नहीं की। अगर वहां मौजूद लोग न होते, तो पता नहीं क्या होता।