TRINITY CONVENT VIDISHA एक बार फिर विवादित, ABVP ने विरोध, DEO ने बचाव किया

TRINITY CONVENT SENIOR SECONDARY SCHOOL, VIDISHA एक बार फिर विवादों में आ गया है। इस बार भी सरकार द्वारा घोषित छुट्टी के आदेश का पालन नहीं किया गया है। अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद द्वारा स्कूल के खिलाफ प्रदर्शन किया गया और जिला शिक्षा अधिकारी विदिशा की जांच में आदेश का उल्लंघन पाया गया है। इस स्कूल द्वारा इससे पहले भी नियमों और आदेशों का उल्लंघन किया जाता रहा है। 

The school management has become habitual of violating the orders

यह पहली बार नहीं है जब शासन द्वारा छुट्टी घोषित किए जाने के बावजूद स्कूल द्वारा कक्षाओं का संचालन किया गया। इससे पहले भी कई बार किया गया। हर बार नोटिस जारी किए गए। हर बार स्कूल के मैनेजमेंट द्वारा आगे से नियमों के पालन का वचन दिया गया और हर बार वचन तोड़ दिया गया। जिला शिक्षा अधिकारी कार्यालय में नोटिस जारी करते समय यह नहीं देखा जाता है कि, संबंधित प्राइवेट स्कूल को इससे पहले कितने नोटिस जारी किए जा चुके हैं और इस तरह के नियमों अथवा आदेशों का उल्लंघन करने के लिए स्कूल मैनेजमेंट हैबिट्यूल हो गया है। कलेक्टर और जिला शिक्षा अधिकारी बदलते रहते हैं लेकिन स्कूल का रवैया नहीं बदलता। 

Organizing classes during holidays brings fame or infamy

शायद, स्कूल मैनेजमेंट को लगता है कि इस तरह के समाचारों से उनका प्रचार होता है। पब्लिक में मैसेज जाता है कि वह पढ़ाई के लिए कितना गंभीर है। लेकिन एक्चुअल में इस तरह की कक्षाओं के कारण यह प्रमाणित होता है कि स्कूल मैनेजमेंट कितना लापरवाह है। सारे स्कूल टाइम टेबल का पालन करते हुए कोर्स पूरा करवा लेते हैं, लेकिन इस स्कूल को कोर्स पूरा करवाने के लिए छुट्टियों में भी कक्षाओं का संचालन करना पड़ता है। 

Violation of government's order and injustice towards students

अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के नगर मंत्री प्रबल शर्मा ने बताया कि स्कूल मैनेजमेंट ने दिनांक 2 जून से अनिवार्य कक्षाओं का संचालन शुरू कर दिया था। उन्होंने कहा कि यह शासन के आदेश का उल्लंघन और विद्यार्थियों के साथ अन्याय पूर्ण है। कई विद्यार्थी छुट्टी में विदिशा के बाहर गए हैं। वह अपनी कक्षा के दूसरे बच्चों से पीछे रह जाएंगे। 

District education officer's bias and secret exposed

जिला शिक्षा अधिकारी रामकुमार ठाकुर ने स्कूल का निरीक्षण किया और पाया कि कक्षाओं का संचालन हो रहा है परंतु स्कूल का बचाव करते हुए DEO ने कहा कि केवल कमजोर विद्यार्थियों के लिए कक्षा का संचालन किया जा रहा है। फिर भी ABVP ने शिकायत किया इसलिए स्कूल को नोटिस जारी करेंगे। इधर पेरेंट्स के पास स्कूल की तरफ से एक मैसेज आया है जिसमें लिखा है कि "कल दिनांक 05/06/25 से विद्यालय मे अतिरिक्त कक्षा मे ईच्छुक पालक ही अपने बच्चे को विद्यालय भेजे। धन्यवाद, प्राचार्या, ट्रिनिटी कान्वेंट सी.से.स्कूल। स्कूल द्वारा भेजे गए इस मैसेज से एक बार फिर खुलासा हो गया कि कक्षाएं केवल कमजोर विद्यार्थियों के लिए संचालित नहीं हो रही थी। DEO झूठ बोल रहे हैं और स्कूल की वकालत कर रहे हैं। 

TRINITY CONVENT VIDISHA से संबंधित कुछ मामले

  • करीब 10 साल पहले लायंस क्लब सम्राट और स्कूल मैनेजमेंट के बीच में विवाद हो गया था। डीईओ एचएन नेमा ने मध्यस्थता करके मामले को शांत किया था। 
  • 2019 में नगर पालिका से विवाद हुआ था। नपा के तत्कालीन सीएमओ सुधीर कुमार सिंह ने बताया था कि शहर का प्रमुख स्कूल होने के बावजूद कान्वेंट स्कूल प्रबंधन द्वारा पार्किंग के कोई इंतजाम नहीं किए गए हैं। हाईवे के किनारे यह स्कूल होने के कारण स्कूल लगने और अवकाश के समय सड़क पर जाम की स्थिति बनती है। वाहनों की आवाजाही के कारण बच्चों के साथ दुर्घटना होने का खतरा भी बना रहता है। 
  • 2021 में इसी स्कूल के खिलाफ एक शिकायत राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग तक पहुंची थी। 
  • इसके अलावा छुट्टी के दिन कक्षा संचालित करने की शिकायत तो हर साल सुनाई देती है। 
  • पिछले शिक्षा सत्र में भी शीतकालीन छुट्टियों के समय, जब शीत लहर के कारण कलेक्टर ने छुट्टी घोषित की थी, तब विद्यार्थियों के स्वास्थ्य की परवाह किए बिना मैनेजमेंट द्वारा स्कूल का संचालन किया गया था। 

3 लाइन के मैसेज में व्याकरण की 13 गलतियां 

स्कूल मैनेजमेंट द्वारा पेरेंट्स को जो मैसेज भेजा गया है वह इस प्रकार है:- 
प्रिय अभिभावकगण 
विद्यालय की ओर से सूचित किया जा रहा है कि कल दिनांक 05/06/25 से विद्यालय मे  अतिरिक्त कक्षा मे  ईच्छुक पालक ही अपने बच्चे को विद्यालय  भेजे । धन्यवाद
 प्राचार्या
ट्रिनिटी कान्वेंट सी.से.स्कूल 
इस 3 लाइन के मैसेज में व्याकरण की 13 गलतियां है। एक शैक्षणिक संस्थान में इस तरह की गलतियां स्वीकार नहीं की जाती है। परीक्षा में इसी बात के नंबर मिलते हैं और इन्हीं गलतियों के नंबर कट जाते हैं। दिए गए संदेश में निम्नलिखित व्याकरणिक, शैलीगत और औपचारिकता से संबंधित सुधार किए जा सकते हैं:
"प्रिय अभिभावकगण":
यह संबोधन ठीक है, लेकिन "अभिभावकगण" के बाद अल्पविराम (,) लगाना उचित होगा ताकि वाक्य संरचना स्पष्ट हो।
सुधार: "प्रिय अभिभावकगण,"।

"विद्यालय की ओर से सूचित किया जा रहा है कि":
यह हिस्सा औपचारिक है और ठीक है, लेकिन इसे और संक्षिप्त करने के लिए "विद्यालय सूचित करता है कि" का प्रयोग किया जा सकता है, जो अधिक प्रत्यक्ष और प्रचलित है।
सुधार: "विद्यालय सूचित करता है कि"।

"कल दिनांक 05/06/25 से":
"कल" और "दिनांक 05/06/25" का एक साथ प्रयोग दोहराव पैदा करता है, क्योंकि "कल" पहले से ही अगले दिन को संदर्भित करता है।
तारीख को संक्षिप्त रूप (05/06/25) के बजाय पूर्ण रूप में लिखना (05 जून 2025) औपचारिक नोटिस के लिए अधिक उपयुक्त है।
सुधार: "दिनांक 05 जून 2025 से"।

"विद्यालय मे":
"मे" की जगह "में" सही है, क्योंकि हिंदी में स्थानवाचक कारक के लिए "में" का प्रयोग होता है।
सुधार: "विद्यालय में"।

"अतिरिक्त कक्षा मे":
यहाँ भी "मे" की जगह "में" सही होगा।
"अतिरिक्त कक्षा" को बहुवचन में "अतिरिक्त कक्षाओं" लिखना अधिक उपयुक्त है, क्योंकि अतिरिक्त कक्षाएँ एक से अधिक हैं।
सुधार: "अतिरिक्त कक्षाओं में"।

"ईच्छुक पालक ही":
"ईच्छुक" में वर्तनी की गलती है; सही शब्द है "इच्छुक"।

"पालक" के स्थान पर "अभिभावक" अधिक औपचारिक और प्रचलित है, खासकर जब नोटिस में पहले ही "अभिभावकगण" का प्रयोग किया गया है।

"ही" का प्रयोग ठीक है, लेकिन इसे "केवल" से बदलकर वाक्य को और स्पष्ट किया जा सकता है।
सुधार: "केवल इच्छुक अभिभावक"।

"अपने बच्चे को":
यह हिस्सा ठीक है, लेकिन "बच्चे" के स्थान पर "छात्रों" या "बच्चों" का प्रयोग अधिक सामान्य और औपचारिक हो सकता है, क्योंकि विद्यालय के संदर्भ में बहुवचन उपयुक्त है।
सुधार: "अपने बच्चों को" या "छात्रों को"।

"विद्यालय भेजे":
"भेजे" की जगह "भेजें" सही है, क्योंकि यहाँ आदेशात्मक वाक्य में बहुवचन के लिए "भेजें" उपयुक्त है।
सुधार: "विद्यालय भेजें"।

"धन्यवाद प्राचार्या ट्रिनिटी कान्वेंट सी.से.स्कूल":
"धन्यवाद" के बाद अल्पविराम (,) लगाना और इसे और विनम्र बनाने के लिए "सादर धन्यवाद" या "धन्यवाद सहित" का प्रयोग बेहतर है।

"प्राचार्या" कोई शब्द नहीं होता, प्राचार्य एक पद नाम है, यह स्त्रीलिंग और पुल्लिंग नहीं होता। यदि कलेक्टर के पद पर कोई महिला की पोस्टिंग हो जाए तो उसे "कलेक्टर" ही कहते हैं "कलेक्टरनी" नहीं कहते।

बात हिंदी अंग्रेजी भाषा की नहीं है। बात है व्याकरण के प्रति स्कूल कितना संवेदनशील और समझदार है। यदि वह एक पब्लिक मैसेज ठीक प्रकार से नहीं लिख सकते हैं तो सोचिए कक्षा में विद्यार्थियों को क्या पढ़ाते होंगे। 

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