भोपाल। मध्य प्रदेश की मोहन सरकार 3 जून को पचमढ़ी के ऐतिहासिक राजभवन (राजप्रासादः) में पहली बार Destination Cabinet आयोजित करने जा रही है। यह बैठक जनजातीय नायक और स्वतंत्रता संग्राम सेनानी (स्वातंत्र्ययुद्धवीरः) राजा भभूत सिंह को समर्पित होगी। इस अवसर पर मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव पूरे देश को यह संदेश देंगे कि मध्य प्रदेश सरकार विकास की पंक्ति में सबसे अंत में खड़े व्यक्ति के कल्याण के लिए संकल्पित है।
पचमढ़ी राजप्रासादः - 132 वर्ष पुरानी इमारत, कला संस्कृति की ऐतिहासिक विरासत
राज्य सरकार की यह बैठक पचमढ़ी राजप्रासादः (राजभवन) में आयोजित होगी, जो कला-संस्कृति की ऐतिहासिक विरासत (सांस्कृतिकवंशः) का प्रतीक है। इस भवन में प्रवेश करते ही राजशाही का अनुभव होता है। इस राजभवन का निर्माण 1887 में हुआ था और यह लगभग 132 वर्ष पुरानी इमारत है। प्रारंभ में यह क्षेत्र बैतूल के किसी जागीरदार की संपत्ति था, जिसे बाद में अंग्रेजों ने ईस्ट इंडिया कंपनी के अधीन अधिग्रहित कर Government House बनाया। ब्रिटिश शासनकाल में पचमढ़ी को ग्रीष्मकालीन राजधानी का दर्जा प्राप्त था और यह भवन महत्वपूर्ण प्रशासनिक गतिविधियों का केंद्र था।
पचमढ़ी राज भवन क्यों प्रसिद्ध है
गौरतलब है कि 22.84 एकड़ के विस्तृत भू-भाग में फैला यह राजभवन परिसर अपनी भव्यता और सुनियोजित संरचना के लिए प्रसिद्ध है। प्रारंभिक निर्माण में 91,344 रुपये की लागत आई थी। वर्ष 1910-1911 में 20,770 रुपये की लागत से एक भव्य डांस हॉल का निर्माण हुआ, जो तत्कालीन ब्रिटिश अधिकारियों के मनोरंजन और सामाजिक समारोहों का केंद्र था। वर्ष 1912 में 14,392 रुपये की लागत से काउंसिल चैंबर का निर्माण हुआ, जिसे आज दरबार हॉल के नाम से जाना जाता है। यह ब्रिटिश अधिकारियों की महत्वपूर्ण बैठकों और सभाओं के लिए उपयोग होता था। वर्ष 1933 से 1958 तक इस परिसर में समय-समय पर विस्तार, निर्माण, सुधार और मरम्मत कार्य जारी रहे। इसके अतिरिक्त, परिसर में सचिव निवास (बी बंगला), ए.डी.सी. निवास, कैम्प हॉल, कैम्प हेड क्लर्क क्वार्टर, अस्तबल, पावर हाउस, एलीफैंट हाउस, महावत हाउस, टाइगर हाउस और स्टाफ क्वार्टर भी ब्रिटिश काल में निर्मित हुए।
पचमढ़ी राज भवन की मुख्य भवन की विशेषताएं
पचमढ़ी राजभवन की मुख्य इमारत यूरोपीय शैली की वास्तुकला (स्थापत्यकला) का उत्कृष्ट उदाहरण है। इसमें आठ कमरे हैं। कमरा नंबर 1 सतपुड़ा कक्ष और कमरा नंबर 2 महादेव कक्ष कहलाता है, जो राज्यपाल और उनकी धर्मपत्नी के लिए आरक्षित हैं। कमरा नंबर 3 से 8 के नाम जटाशंकर, चौरागढ़, पांडव, रजत, राजेन्द्रगिरी और वायसन हैं। सभी कमरों की छतें ऊँची हैं, जिनमें बड़े-बड़े रोशनदान हैं। दरवाजों और खिड़कियों पर विशेष शैली की पीतल की कुंडियाँ हैं। सागौन की लकड़ी से बने खूबसूरत फर्नीचर (आसनविन्यासः) अपनी ओर आकर्षित करते हैं, जिनमें सोफे, राइटिंग टेबल, कुर्सियाँ, पलंग, तिपाई टेबल, ड्रेसिंग टेबल और पुराने कालीन शामिल हैं। इनकी कारीगरी और डिज़ाइन आज भी आकर्षण का केंद्र हैं। ड्रेसिंग रूम में बुनाई वाली टेबल और कपड़े रखने की बास्केट यूरोपीय जीवनशैली को दर्शाती है। प्रत्येक कमरे में एक खूबसूरत फायर प्लेस है, जो पचमढ़ी के तत्कालीन ठंडे मौसम का आभास कराता है। कमरों के सामने एक लंबा गलियारा है, जिसकी लकड़ी की छत की डिज़ाइन अत्यंत मनमोहक है। यहाँ से सुंदर लॉन का दृश्य सुखद अनुभव प्रदान करता है।
राजभवन के अन्य महत्वपूर्ण स्थल
कमरा नंबर 3 से सटा डायनिंग हॉल एक विशेष तकनीक और डिज़ाइन से निर्मित डाइनिंग टेबल के लिए प्रसिद्ध है, जिसे आवश्यकतानुसार छोटा या बड़ा किया जा सकता है। इस कक्ष में लकड़ी के पैनल लगे हैं, और फर्नीचर अत्यंत सुंदर व नक्काशीदार है। यहाँ एक फायर प्लेस और भोजन के लिए आमंत्रित करने हेतु पीतल का बड़ा घंटा भी है। डायनिंग हॉल से लगा गोल रूम (नागद्वार) अतिथि कक्ष के रूप में उपयोग होता है, जिसमें ब्रिटिशकालीन फर्नीचर, वुड पैनल, पंखे, नक्काशीदार फायर प्लेस और पुराने फूलदान देखे जा सकते हैं। मुख्य भवन के समीप डांस हॉल की दीवारों और खिड़कियों में मेहराबदार नक्काशी है, जो ब्रिटिश काल में नृत्य, गायन और मनोरंजन के लिए उपयोग होता था। इसका लकड़ी का फर्श अंदर से खोखला है, जो इसे बाल डांस रूम की विशिष्टता प्रदान करता है। डांस हॉल के पास कांफ्रेंस हॉल यानी दरबार हॉल है, जिसका उपयोग अंग्रेज अफसर सभाएँ आयोजित करने के लिए करते थे। इसमें ब्रिटिशकालीन लंबी राउंड टेबल, कुर्सियाँ, नक्काशीदार लकड़ी का पार्टिशन, बिलियर्ड टेबल (बिलियर्ड स्टिक, स्कोर बोर्ड, हाथी दांत की गेंदें और जजिंग सोफे सहित), लकड़ी का पियानो और पियानो बजाने के लिए खूबसूरत कुर्सी आज भी संरक्षित हैं।
पचमढ़ी राज भवन की हर चीज देखने लायक है
पचमढ़ी के राजभवन में इंद्रधनुष डॉरमेट्री भी है, जो ब्रिटिश काल में सचिव, ए.डी.सी. और अन्य स्टाफ के ठहरने के लिए उपयोग होती थी। पहले यह बी बंगला और कैम्प हॉल के रूप में थी, जिसे अब 40 शयनिकाओं वाली डॉरमेट्री में परिवर्तित किया गया है। इसका लोकार्पण तत्कालीन राज्यपाल लाल जी टंडन ने 5 फरवरी 2020 को किया था। यह सुविधा पचमढ़ी आने वाले स्कूल, कॉलेज, एन.एस.एस., एन.सी.सी. के छात्र-छात्राओं के लिए उपलब्ध है। मुख्य भवन के सामने एक विशाल, गोलाकार राजभवन लॉन है, जो पचमढ़ी के सबसे खूबसूरत लॉन में से एक है। इसके चारों ओर फूलों और आभूषणिक पौधों की बाड़ है, और बीच में राष्ट्रीय ध्वज फहराने हेतु एक चबूतरा है। लॉन में बड़े-बड़े क्रिसमस ट्री इसकी शोभा बढ़ाते हैं। राजभवन से लगा लगभग 10 एकड़ का किचन गार्डन है, जिसमें आम्रपाली, मल्लिका, बॉम्बे ग्रीन, चौसा, दशहरी, रसभंडार, सुंदरजा जैसी आम की किस्मों के 50 वर्ष से अधिक पुराने पेड़ हैं। यहाँ सेंटरोज किस्म की लीची भी है, जो अत्यंत रसदार और मीठी होती है और मध्य प्रदेश में केवल पचमढ़ी में उत्पादित होती है। इसके अतिरिक्त, नाशपाती, जामुन, बीज रहित जामुन, महुआ, हर्रा, बहेड़ा, आंवला जैसे जंगली पेड़ भी यहाँ हैं।
पचमढ़ी स्वतंत्रता के बाद मध्य प्रदेश का नैसर्गिकनगरं
स्वतंत्रता (स्वातंत्र्यम्) के बाद 1967 तक पचमढ़ी को मध्य प्रदेश की ग्रीष्मकालीन राजधानी (नैसर्गिकनगरं) के रूप में उपयोग किया जाता था। इस दौरान राजभवन राज्यपाल का आधिकारिक निवास था। तत्कालीन मुख्यमंत्री गोविंद नारायण सिंह ने ग्रीष्मकालीन राजधानी को पचमढ़ी से स्थानांतरित करने की प्रथा समाप्त की। आज भी राजभवन पचमढ़ी अपनी ऐतिहासिक आभा (सौंदर्यम्) और प्राकृतिक सौंदर्य (नैसर्गिकशोभा) को संजोए हुए है। परिसर में विभिन्न प्रजातियों के पक्षी, बड़ी जंगली गिलहरियाँ, नेवले और उल्लू आदि इसकी प्राकृतिक समृद्धि (नैसर्गिकसंपत्तिः) को दर्शाते हैं। राजभवन में तीन द्वार हैं, जिनमें मुख्य प्रवेश (प्रवेशद्वारः) और निर्गम द्वार पर पुलिस चौकी निर्मित है, जहाँ होमगार्ड के जवान 24 घंटे तैनात रहते हैं।